आलोचना कविता की सहचर होती है – कवि अशोक वाजपेयी

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नई कविता रूढ़िवादिता के मुक्ति की तलाश की कविता है – कवि नंदकिशोर आचार्य

दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस ,श्यामा प्रसाद मुख़र्जी महिला महाविद्यालय एवं श्याम लाल महाविद्यालय( सांध्य ) के संयुक्त तत्वावधान में दो-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस संगोष्ठी का विषय था ” हिंदी काव्य आलोचना : तब और अब “

इस संगोष्ठी में तीनों महाविद्यालयों के प्राचार्य क्रमशः प्रो. बिजयलक्ष्मी नंदा,प्रो. साधना शर्मा एवं प्रो.नचिकेता सिंह ने स्वागत वक्तव्य देते हुए ऐसे आयोजनों की सार्थकता को रेखांकित किया।उद्घाटन सत्र में बीज वक्तव्य देते हुए वरिष्ठ कवि अशोक वाजपेयी ने कहा कि आलोचना में कविता का रस लेने की क्षमता होनी चाहिए।कविता में अनछुए गहरे निहितार्थों को सामने लाना और नए रास्तों को उद्घाटित करना आलोचकों का मुख्य काम है।

प्रथम सत्र में प्रो० गोपेश्वर सिंह ने ‘भक्ति काव्य’ के अखिल भारतीय स्वरूप का विस्तार से विश्लेषण करते हुए कहा कि हमें समयानुसार आलोचना के पैमानों को परखकर,उनमें नयापन लाने के साथ दूरदृष्टिता का परिचय देना होगा। दूसरे वक्ता प्रो. सुधीश पचौरी ने रीतिकालीन काव्य आलोचना की घिसीपिटी परंपरा को बदलने पर बल देते हुए कहा कि नायिका भेदों के वर्णन से ज्यादा जरूरी है,उस नायिका के मानसिक द्वंद्वों को उजागर करना। दूसरे दिन के दूसरे तकनीकी सत्र में प्रो० रामेश्वर राय ने छायावादी काव्य के प्रति हिंदी आलोचना के पूर्वाग्रह को विस्तार से रेखांकित करते हुए प्रेम के अनेक पक्षों को विभिन्न संदर्भों से जोड़कर देखा। दूसरे वक्ता प्रो. नंद किशोर आचार्य ने नई कविता को लेकर हुई आलोचना के कई पक्षों को रखते हुए कहा कि नई कविता अभी भी अच्छे आलोचकों की तलाश में है। तृतीय और अंतिम तकनीकी सत्र में दलित चिंतक जयप्रकाश कर्दम ने विमर्शों की राजनीति विशेषकर दलित साहित्य के प्रति आलोचकों के पूर्वाग्रहों का उल्लेख किया।

अंत में दिल्ली विश्वविद्यालय की विभागाध्यक्ष प्रो० सुधा सिंह ने कविता की स्त्री भाषा और उसके सामाजिक परिप्रेक्ष्य को भक्तिकालीन कविता से लेकर विमर्शों से उपजी कविताओं का विस्तार से विश्लेषण किया। अंत में डॉ. संगीता राय ने इस संगोष्ठी के सार्थक आयोजन के लिए तीनों कॉलेजों के प्रिंसिपलों , विभागाध्यक्षों ,संयोजकों सहित विभिन्न महाविद्यालय से काफी संख्या आए शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों के साथ इस आयोजन के मुख्य सूत्रधार श्यामलाल महाविद्यालय ( सांध्य) हिंदी विभाग से संबद्ध डॉ. प्रमोद कुमार द्विवेदी को विशेष रूप से धन्यवाद दिया।

रिपोर्ट- राकेश कुमार अग्रवाल

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