कम्युनिटी ट्रांसमिशन का कोई खतरा नहीं – जिलाधिकारी

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रायबरेली में कोरोना को लेकर उड़ रही अफवाह और हॉटस्पॉट बढ़ाने को लेकर लोगो मे बन रहे भय को जिलाधिकारी ने दूर कर दिया है। कल कोरोना के 33 और आज 8 पाजिटिव केस मिलने के बाद अफवाहों का बाजार गर्म हो गया। लोगो को खबरों के रूप में झूठ परोसा गया कि रायबरेली के अलग अलग क्षेत्रो से मरीज सामने आए है और वहां कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में जनता के मन मे अपनी सुरक्षा के प्रति भय व्याप्त हो गया था। रिपोर्ट्स टुडे ने पूरे मामले पर पड़ताल की जिसमे कुछ अलग ही तथ्य सामने आए।

कौन है ये लोग

कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट आने के बाद लोगो ने अपने अपने तरीके से इसका मतलब निकाला किसी ने लीक मेल को आधार माना तो किसी ने फेसबुक और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से जन्मे समाचारों को ही पुख्ता जानकारी मान ली। रिपोर्ट्स टुडे की पड़ताल में ये बात सामने आई कि ये सभी वो लोग है जो दिल्ली के तब्लीगी जमात में शामिल होकर आए थे और यहां छिपे थे। जिला प्रशासन ने धरपकड़ कर के इन्हें तो क्वारण्टाइन किया ही था साथ ही उन लोगो को भी क्वारन्टाईन किया था जो इनके सम्पर्क में आये थे। इन सभी लोगो की पहले कोविड-19 जांच की गई थी जिसमे सबकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी।

जिलाधिकारी ने सूझबूझ दिखा कर करवाई दुबारा जांच

निगेटिव रिपोर्ट के बाद भी इन सबको ऐहतियात के तौर पर अलग अलग कृपालु इंस्टिट्यूट में रख दिया गया था। संक्रमण फैलने से बचने के लिए इनके खाने पीने से लेकर बाकी सारे इंतजाम भी कोरोना पाजिटिव मरीजो की तरह थे। लगभग एक महीने में इनके अंदर कोरोना का कोई लक्षण न आने पर इन्हें वापस इनके घर भेजने की तैयारी हुई। लेकिन जिलाधिकारी शुभ्रा सक्सेना ने एक बार फिर इनके सेम्पल लेकर जांच करवाने के लिए भेजने हेतु अधीनस्थों को निर्देशित किया। जिसके बाद दूसरी जांच में ये 41 लोग पाजिटिव आये और संख्या 43 पहुँच गई।

नियमो का खुलेआम हुआ उलंघन

वैसे तो कोरोना पाजिटिव मरीजो की पहचान बताना कानून का उलंघन है किंतु व्हाट्सएप से लेकर फेसबुक तक लोगो ने इनके नाम ही नही उजागर किये बल्कि एड्रेस भी डाल दिया जिससे अफरातफरी का माहौल बन गया। लोगो मे अपने आसपड़ोस में ही कोरोना पॉजिटव मिलने से फैली दहशत के बाद प्रशासन को कोसने का दौर शुरू हो गया। जबकि प्रशासन दिन भर अपने तरीके से लोगो को समझाता रहा कि ये पहले से क्वारन्टाईन किये गए लोगो के रिजल्ट हैं। इसमे घबराने की जरूरत नही है।

क्या कहा जिलाधिकारी ने

पूरे मामले पर जिलाधिकारी शुभ्रा सक्सेना ने स्पष्ट किया कि यदि इनके अंदर लक्षण न दिखने पर इन्हें ऐसे छोड़ दिया जाता तो स्थिति गंभीर हो सकती थी। समय रहते इनके दुबारा टेस्ट पर लिए गए निर्णय ने कम्युनिटी ट्रांसमिशन के खतरे को कम कर दिया। यदि ये लोग बाहर जाते और लोगो से मिलते तो स्थिति बदल सकती थी। हमे नम्बर बढ़ने से परेशान होने की जरूरत नही है क्योंकि कम्युनिटी में फैलने से रोकने के लिए हम पहचान कर रहे हैं और हर कदम पर तैयार हैं। हर स्थिति पर सीधी नजर है। जिलाधिकारी ने ये भी स्पष्ट किया कि बछरावां को हॉटस्पॉट नही बनाया गया है। जिन लोगो ने भ्रामकता फैला कर पैनिक माहौल बनाया है उन्हें चिन्हित किया जाएगा। सभी लोग लॉक डाउन का पालन करें और लोगो से भी करवाएं।

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