प्रोजेक्टसेवियों के बालश्रम का केंद्र आदिवासी ही हैं

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चित्रकूट। छोटे बच्चों को लेकर बाल श्रम का हौवा खड़ा कर हल्ला मचाने वाले समाजसेवी अपनी भृकुटि वही टेढ़ी करते है जहाँ पर उन्हें प्रोजेक्ट दिखाई देता है। समाजसेवियों की नजर में बरगढ़, मानिकपुर, भरतकूप आदि क्षेत्र इस कदर रचे बसे है कि उन्हें धर्मक्षेत्र में काम करने वाले छोटे मजदूर नही दिखाई देते। विचारणीय बात यह है कि कोरोना काल मे जहाँ सभी वर्गों के लोगो ने लोगो की खूब मदद की। एक स्वयंसेवी संस्था ने अपने कार्यक्षेत्र में कुछ समाग्री बाटी पर दूसरी किसी संस्था को किसी की मदद करते नही देखा गया। यह बात और है कि जब मदद के लिए ज्ञान देने की बात आती है तो यह सबसे आगे खड़े नजर आते है। पत्रकारों को मैनेज करने के माहिर कुछ समाजसेवी मन्दाकिनी नदी के सबसे बड़े हितचिन्तक बनकर खुद को बड़ा साबित करने के लिए बांदा डीएम से अवार्ड भी ले चुके है।

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