रामायणकालीन तमसा नदी के अस्तित्व पर संकट

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अयोध्या। रामायणकालीन तमसा नदी के अस्तित्व पर संकट छाया है। 89 किलोमीटर लम्बी इस नदी पर जगह-जगह अतिक्रमण हो गया है। जिसके चलते लगातार नदी की चौड़ाई कम होती जा रही है। खासकर यहां काजी सराय बाजार में अतिक्रमणकारियों ने नदी को नाले के रूप में तब्दील कर दिया है।

अतिक्रमण से 300 फुट नदी की जगह अब 70 फुट तक सिमटी

हालात ये बन गए हैं कि कभी 250-300 फीट चौड़ाई में बहने वाली नदी अतिक्रमण के कारण सिकुड़ते सिकुड़ते महज 60-70 फीट ही रह गई है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि एनजीटी के नियमों का तहसील प्रशासन भी पालन करा पाने में असमर्थ है। नियम है कि नदी के दोनों ओर सौ सौ मीटर दायरे में मकान आदि नहीं बनाए जा सकते हैं लेकिन यहां बीते पांच वर्षों में कब्जा कर नदी का अस्तित्व समाप्त किया जा रहा है। लोगों का कहना है कि यदि इसी तरह अतिक्रमण जारी रहा तो दो-चार वर्षों के बाद नदी सिर्फ मानचित्र के पन्नों में ही सिमट कर रह जाएगी।

भविष्य में आने वाली पीढ़ी मानचित्र के सहारे ही जान पायेगी कि काजी सराय से होकर रामायण काल की तमसा नदी भी बहती थी। इस नदी का रामायण कालीन धार्मिक इतिहास रहा है। तमसा नदी का उल्लेख रामायण और प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम द्वारा भी वनवास यात्रा के दौरान सीता जी लक्ष्मण जी के साथ प्रथम रात्रि तमसा नदी के तट पर प्रवास करने का उल्लेख रामचरितमानस एवं रामायण में मिलता है।

पूर्व जिलाधिकारी डॉ अनिल पाठक की सराहनीय पहल के चलते करोड़ों रुपए खर्च करके मनरेगा योजना के तहत तमसा नदी का गहरीकरण भी कराया जा चुका है। क्षेत्र के जागरूक लोगों का कहना है कि नदी के किनारे अतिक्रमण होने के चलते नदी के आकार आकृति से छेड़छाड़ हो रही है। और अतिक्रमण होने से प्राचीन नदी के मूल स्वरूप में परिवर्तन दिखाई पड़ रहा है।

जलालपुर शाहगंज मार्ग के किनारे क्षेत्र की पुरानी काजी सराय बाजार स्थित है। सड़क के समीप से उत्तर दिशा में तमसा नदी गुजरती है। सड़क के पटरी के किनारे पूरी बाजार बसी हुई है और सड़क बाजार के बीच से गुजरती है।

बताया गया कि सड़क के उत्तर तरफ कई दुकानदारों द्वारा अपनी दुकानों और मकान को काफी पीछे बढ़ाकर नदी की जमीन में निर्माण करा लिया गया है। जिसके चलते तमसा नदी अतिक्रमण की चपेट में हो गई है। और इसका स्वरूप एवं आकृति बाजार के किनारे बदली नजर आ रही है। कुछ निर्माण पुराने हैं जबकि कुछ लोगों द्वारा नया निर्माण किया गया है।

तमसा नदी के किनारों पर दूर-दूर तक पाटों पर कूड़े के ढेर के अलावा लोगों की बहुमंजिला इमारतें बनी हुईं या निर्माणाधीन हैं। बाजार से निकलने वाले कचरे को नदी के किनारों पर ठिकाने लगाया जाता है।

इस बाबत तहसीलदार राजेश कुमार वर्मा ने बताया कि काजी सराय बाजार में कुछ लोगों द्वारा तमसा नदी के किनारे अतिक्रमण व अवैध निर्माण किए जाने का मामला संज्ञान में आया है। राजस्व टीम से नदी की जमीन का सर्वे करवाकर नदी की जमीन से अतिक्रमण हटाया जाएगा।

इस नदी का उदगम् स्थल मवई के ग्राम लखनीपुर में माना जाता है। यहां पर एक सरोवर से इसका अभ्युदय हुआ है। तमसा नदी मवई, रुदौली, अमानीगंज, सोहावल, मिल्कीपुर, मसौधा, बीकापुर और तारुन आदि विकास खंडों से होते हुए फैजाबाद से अम्बेडकरनगर व गोसाईगंज के पास तक प्रवाहित होती है।

वर्तमान में यह नदी अम्बेडकर नगर से निकलकर आज़मगढ़, मऊनाथ भंजन (मऊ) होते हुए बलिया जिले में गंगा में मिलती है। इसकी कुल लंबाई 89 किलोमीटर बताई जाती है।

  • मनोज कुमार तिवारी
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