आकाश में कोरोना घना है.. लेखकों से अभी मिलिए..लेखनी से बाद में..

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कोरोना का अभी चल रहा है. यह भी नहीं पता कि कब तक चलेगा? लेकिन कोरोना संकट का शुरुआती दौर जिस तरह गुजरा है उसे हमने-आपने सब ने नजदीक से देखा और भोगा है..

इसी देखें और भोगे हुए का नाम है- “आकाश में कोरोना घना है..”

इस विचार को “आकार” देने में नए-पुराने कई लेखकों और पत्रकारों ने कई “प्रकार” से कोरोना काल को देखा और लिखा. यह लिखने वालों में साधारण भी है और असाधारण भी. किताब आने के पहले उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा के इन लेखकों-पत्रकारों के नाम तो जान ही लिए जाएं. कहानी संग्रह छप कर आने के बाद लेखनी से परिचय तो होगा ही..

आकाश में कोरोना घना है.. के लेखक-पत्रकार..
#निर्मल गुप्त ( मेरठ), #कुसुमलता सिंह ( नई दिल्ली) #वात्सल्य राय ( नई दिल्ली) #अनूप मणि त्रिपाठी( लखनऊ), #डॉ. संध्या सिंह (लखनऊ) #स्नेहलता( लखनऊ), #पंखुरी सिन्हा( नई दिल्ली), #संतोष त्रिवेदी ( नई दिल्ली), #राजेंद्र पंडित( लखनऊ), #अमरेश द्विवेदी( नई दिल्ली), #महेंद्र सिंह( नई दिल्ली), #अवधेश पांडे (ग्रेटर नोएडा), #प्रियंका भारद्वाज( हनुमानगढ़ राजस्थान) #सविता आनंद( नई दिल्ली) #अभिषेक सहज( लखनऊ) #दुर्गा शर्मा( लखनऊ) #नागेंद्र बहादुर सिंह चौहान( बख्शी का तालाब लखनऊ) #शेफाली सुरभि( सोनीपत हरियाणा), #कोमल नारायण त्रिपाठी( ऊंचाहार रायबरेली), #गौरव तिवारी( रायबरेली) #गौरव अवस्थी( रायबरेली) #राकेश द्विवेदी( उरई), #सना आफरीन( रायबरेली)

आप जानते हैं..
प्रख्यात कथाकार चित्रा मुद्गल ने इस संग्रह को अपना आशीर्वाद दे दिया है.. आप सब पाठकों के आशीर्वाद का इंतजार है..

गौरव अवस्थी

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