आत्मसात करने योग्य है महात्मा गांधी के विचार

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महात्मा गांधी पिछली सदी सहित इस सदी के भी महानायक हैं।आगे के वर्षों में भी जब शांति सद्भाव प्रेम दया करुणा अहिंसा की बात होगी तो गांधीजी उसमें सर्वोच्च स्थान पर दिखेंगे।यह सर्वोच्चता सिर्फ इसलिए नहीं की उनमें श्रेष्ठता है इसलिए भी की गांधी मजबूरी,विवशता और परेशानियों के रास्ते से गुजर कर आत्म बल को प्राप्त किया।

वही आत्म बल जो उन्हें सच बोलने के लिए प्रेरित करती है। वह शारीरिक श्रम जिसे वह हेय नहीं समझते। वे स्पष्टवादी,सच बोलने वाले संत थे जिसमें सामने वाले अनैतिक, सत्ता मद में चूर व्यक्ति को निरुत्तर करने की क्षमता थी।
गांधीजी कदापि कायरता की बात नहीं करते।वह अक्सर कहते हैं कि अहिंसा तो वीरों का गहना है।क्षमाशीलता तो किसी तपस्वी की जमा पूंजी है।

गांधीजी के ऊपर जितने साहित्य पुस्तकें शोध और ग्रंथ लिखे गए हैं शायद ही और किसी और पर लिखे गये हो। बापू ने जीवन के हर उन मर्म को छुआ जिससे वह होकर गुजरे थे, जो समाज के सामने समस्या थी।उन्होंने खुद को सत्य की कसौटी पर कसा था। सभी धर्मों को श्रेष्ठ बताने वाले महात्मा गांधी जी कि अपने धर्म के प्रति सच्ची निष्ठा थी‌।

वह अक्सर कहा करते थे कि मेरे हाथ पैर मुंह नाक काट दें तब भी मैं जिंदा रहूंगा।लेकिन मेरे राम को मुझ से अलग करके मुझे जिंदा नहीं रखा जा सकता।वह अपने जीवन के अंतिम सांस तक मानवता को समर्पित रहे।

आज जब विश्व में चहुंओर मानवता त्राहि-त्राहि कर रही हो, हिंसा का बोलबाला हो,मानव निर्मित सीमा रेखाएं व्यक्ति को आणविक यंत्रों से समाप्त करने पर तुली तो हम सबको महात्मा गांधी याद आते हैं। आइंस्टीन ने यूं ही नहीं कहा था कि आने वाली पीढ़ियां इस बात पर विश्वास नहीं करेंगे कि हाड़ मांस का भी ऐसा आदमी हुआ होगा।

वह महान वैज्ञानिक हार्दिक अभिनंदन का पात्र है जिसने महात्मा गांधी के बारे में एससी ऐसे महान उद्गार व्यक्त किए।दुर्भाग्य आज यह भी है कि देश एक ऐसे महान संत को सिर्फ जन्मदिन और पुण्य तिथि के दिन याद करता है। आज उन बच्चों नौनिहालों को महात्मा गांधी के बारे में अधिकाधिक बताने और गांधी विचारों से भिज्ञ कराने की जरूरत है जो विद्यालयीय शिक्षा में है।

उन्हें भी गांधी विचारों से संपन्न करना होगा जो उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं या विज्ञान के विविध विषयों का अध्ययन कर रहे हैं।गांधी जी सिर्फ आजादी की लड़ाई नहीं लड़े बल्कि वह एक समाज सुधारक भी थे।उन्होंने सबसे छोटे कार्य स्वच्छता को लेकर अपने विचार रखे तो उनके विचार शिक्षा व्यवस्था को भी लेकर था।

गांधीजी के जीवन का सबसे उज्जवल पक्ष यह भी था कि वे दूसरों को जो कुछ भी उपदेश देते थे पहले उन्हें वह अपने ऊपर लागू करते थे।गांधीजी के आदर्शों का हृदय से अनुपालन किया जाए तो संपूर्ण विश्व में मानवता के कार्य व्यवहार सर्वोच्च होंगे।विज्ञान और बाजारवाद के बावजूद मनुष्यों में परस्पर प्रेम,अनुराग,दया,करुणा भातृत्व बना रहेगा।

आज जब राष्ट्र और विश्व गांधी जी की जन्म जयंती मना रही है वैसे में हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने घर के उन होनहारों को जो कल राष्ट्र के कर्णधार होंगे उन्हें गांधी जी के विचारों से परिचित करायेगें और एक अहिंसक इंसान बनाने की ओर ले जायेगें।

(लेखक- प्रणय कुमार सिंह, इंटर कॉलेज में शिक्षक और टीचर्स पेरेंट्स स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं।)

रिपोर्ट- राजकुमार गुप्ता

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