आपदा में अवसर, कमाई करना याद मगर जिम्मेदारियां भूला स्वास्थ्य महकमा

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रायबरेली – जिले में रोजाना पैर पसार रहे कोविड वायरस के संक्रमितों का लूटने का खेल पर्दे के पीछे शुरू हो चुका है। वायरस संक्रमित का मानसिक अर्थिक और शारीरिक उत्पीड़न न हो इसके लिए योगी सरकार पानी की तरह पैसे बहा रही है। एक एक मरीज को ट्रेस कर के उसके अच्छे इलाज की समुचित व्यवस्था सरकार ने अपने कंधों पर उठा रखी है। लेकिन इससे इतर बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्रतिबद्ध सरकार के मंसूबो पर पानी फेरने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने भी कमर कस ली है। मरीजो को हेल्थ किट से लेकर तमाम जरूरी चीजों की आपूर्ति न होने की शिकायतें तो शुरू से आ रही हैं किंतु अब चौकाने वाले वो तथ्य सामने आ रहे हैं जिनसे सरकार की भी नींद उड़ सकती है।

सरकार ने जारी किये हैं निर्देश

कोविड संक्रमित होने के बाद जरूरी इलाज के किये सरकार ने अस्थाई एल-1 और एल-2 अस्पताल बनवाये हैं। जिनमे संक्रमण के बाद मरीजो को रख कर उनके सही होने तक इलाज और खाने की व्यवस्था सरकार करती है। जिसके एल-1 अस्पताल रेयान इंटरनेशनल स्कूल में गंदगी का अम्बार और अव्यवस्था की खबरें आप पहले भी देख चुके हैं। इन खबरों के सोशल मीडिया से लेकर तमाम समाचार पत्रों में प्रकाशित होने के परिणाम स्वरूप कोविड के मरीजों में डर बैठ गया। लोग इन सेंटर पर जाने के नाम पर भागने लगे। नतीजा ये रहा कि सरकार ने होम कोरोटाइन से लेकर पेड सुविधायुक्त कमरों की व्यवस्था हेतु होटल और अन्य जगहों को अधिग्रहीत कर लिया। जिनका सुविधा के नाम पर रोजाना का चार्ज मरीज के परिजनों से जमा करवाया जाना लगा।

सुविधा देने के नाम पर खेल

ऐसे स्थानों के नामित होते ही इन में भ्रष्टाचार ने जड़ें फैला ली। रायबरेली के बटोही रिसोर्ट को प्राइवेट पेड कोरोनटाइन सेंटर बना दिया गया। मरीज के जाते ही मेडिकल सेवा के लिए 2 हजार रुपये और प्रतिदिन का रूम का किराया अनुमानित आगामी 10 दिनों के लिए जमा करवाया जाने लगा। कोविड के मरीज वहां जैसे ही आये उन्हें लगा प्राइवेट के नाम पर मृग मरीचिका में वे फंस चुके हैं। वहां मौजूद लोगो ने बताया कि सुविधा के नाम पर हर कमरे में एक झाड़ू मिली। जिससे आपको ख़ुद कमरे की सफाई कर पोंछा लगाना है। कमरे के ऐसी के तार पहले ही काट दिए गए हैं। पूरे परिवार के साथ और अकेले कोरोनटाइन लोगो ने बताया कि डॉक्टर या कोई भी पैरामेडिकल स्टाफ यहां देखने तक नही आता। अपने रिसोर्स से दवा पता कर के उन्हें खाना पड़ रहा है। हां एक बड़ी केतली में काढ़ा बना कर रख दिया जाता है जिससे कोविड मरीज उसे पी सकें। अब तके रिपोर्ट्स टुडे की टीम को खाने को लेकर किसी मरीज से शिकायत नही मिली।

आखिर मरीज के पैसे का किसकी जेब में हो रहा उपयोग

अब बड़ा सवाल ये है कि जब शासनादेश में सारी बाते स्पष्ट हैं और मरीजों पर कम बोझ डाल कर इलाज के लिए ये रास्ता निकाला गया है तो इस सुविधा मे जमा किये जा रहे रोज हजारों रुपये किस की जेब मे जा रहे हैं। सफाई कर्मी से लेकर पैरामेडिकल स्टाफ कहाँ है ? क्या भगवान भरोसे कोरोना मरीजों को छोड़ दिया गया है ? ये एक बड़ा कारण है कि जनपद में कोरोना का आंकड़ा कम होने के बजाय रोजाना बढ़ रहा है। सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय को ध्यान देने की जरूरत है।

साहब तो बेफिक्र हैं

पूरे मामले पर जब जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संजय कुमार शर्मा से बात करने का प्रयास किया गया तो हमेशा की तरह उन्होंने फोन रिसीव करना मुनासिब नहीं समझा।

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