आर्यभट्ट बनने की राह पर प्रथम कृष्णा, रक्षा मंत्री ने दी बधाई

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न्यूजडेस्क – कहते हैं जब किसी अंदर प्रतिभा कूट कूट कर भरी हो तो पूत के पांव पालने से ही दिखने लगते हैं ऐसी ही एक प्रतिभा रायबरेली जैसे जिले से निकली है और आज पूरे देश मे माता पिता को भी गौरवान्वित करा रही है, हम बात कर रहे हैं आईसीएसई बोर्ड में परचम लहराने वाले होनहार छात्र प्रथम कृष्णा की, जिन्होंने न सिर्फ जिले का नाम रोशन किया है बल्कि देश मे अपनी प्रतिभा का जो परचम लहराया है उसकी सराहना देश के रक्षामंत्री ने भी की है, लोग प्रथम को भविष्य का दूसरा आर्यभट्ट बताते हुए उनको बधाई दे रहे हैं।

राजनाथ सिंह ने दी बधाई

वर्तमान समय मे लखनऊ में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे प्रथम कृष्णा ने हाल ही में घोषित हुए आईसीएसई बोर्ड के नतीजों में अपना परचम लहराया था।

रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा भेजा गया बधाई पत्र

जिसके बाद देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पत्र भेजकर प्रथम को बधाई देते हुए कहा है कि आपके भविष्य की लंबी यात्रा बाकी है, प्रथम को भेजे बधाई संदेश में राजनाथ सिंह ने कहा कि आप ऐसे ही सफलता के झंडे गाड़कर एक सशक्त व महान भारत के निर्माण में अपना योगदान करें, प्रथम की इस अपार सफलता पर उनके पिता श्री कृष्ण जी महाराज को भी बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।

लहराया मेधा का परचम

लखनऊ में रहकर अपनी मेधा दिखा रहे प्रथम कृष्णा ने इंटरनेशनल बेंचमार्क टेस्ट की गणित प्रतियोगिता में 100 पर्सेंट अर्जित कर सबको चकित कर दिया, उनकी इस उपलब्धि के लिए स्कूल प्रशासन की तरफ से भी उनको 50 हजार का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। देश और स्कूल के बाकी बच्चो के लिए एक मिसाल बन कर उभरे प्रथम से रिपोर्ट टुडे ने खास बातचीत की।

प्रथम ने दिया कड़ी मेहनत का संदेश

रिपोर्ट्स टुडे से बातचीत में प्रथम ने सबसे पहले अपने पिता और जन आस्था के केंद्र मुड़िया डीह आश्रम के पीठाधीश्वर श्री श्रीकृष्ण को अपना आदर्श और मेहनत के लिए प्रेरित करने वाला बताया साथ ही यह भी कहा कि स्कूल के सभी टीचर्स ने भी उन्हें काफी लगन के साथ पढ़ाया है जिनके ऋण उतारने के लिए अब वो देश के लिए कुछ करना चाहता है। अपने सहपाठियों के लिए भी प्रथम ने समय मैनेजमेंट का सन्देश दिया। प्रथम की माने तो उसने कोरोना काल मे भी बाकायदा टाइम टेबल बना कर पढ़ाई की। खाली समय में किताबे पढ़ने के अलावा परिवार के साथ ज्ञान वर्धक बाते भी शास्त्रार्थ की तरह करना प्रथम के शौक में शामिल है।

Mahendra

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