मनरेगा का काम न मिलने से मज़दूर कर रहे पलायन

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हमीरपुर। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा ग्रामीण क्षेत्रों से हो रहे पलायन को रोकने के लिए चलाई थी।लेकिन जिले में रोजगार के अवसर कम है। मजदूरी के लिए भी अब काम नहीं मिल पा रहा है। जिले में बड़ा कोई कारखाना नहीं होने के कारण मजदूरों को काम नहीं मिल पाता है।

मौदहा विकास खण्ड के ग्राम पंचायत खण्डेह जो जनपद का दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला गाँव है। यहां पर 6 माह से मनरेगा पूरी तरह बंद पड़ा है। प्रशासन की उदासीनता के चलते इस गाँव से सैकड़ो परिवार दूसरे राज्यो को पलायन कर चुके है।और अभी भी पलायन जारी है।

खण्डेह गाँव निवासी राजू तिवारी ने बताया कि हमारे गाँव मे प्रधान द्वारा पंचायत के कामो में भ्रष्टाचार के चलते डी पी आर ओ ने सचिव को निलंबित कर गाँव मे पंचायत काम चलाने के लिए समिति गठित कर दी पर किसी को वित्तीय पावर नही दिया गया। इस कारण यहां लोग बहुत ही परेशान हैं।पेयजल संकट हो चाहे सफाई का कार्य हो सब ठप पड़े है।

गाँव के ही अशोक दुबे ने हमारा गाँव जिले आबादी में दूसरा सबसे बड़ा गाँव है लेकिन यहां सरकारी सुविधाओ के नाम पर कुछ नही जिले में रोजगार के अवसर नही है इसलिए यहां से दिल्ली गुजरात हरियाणा मुम्बई पंजाब आदि राज्यो में हमारे गाँव से सैकड़ों लोग पलायन कर गए है।

इस सम्बंध में ग्राम पंचायत सचिव ओमप्रकाश प्रजापति से गाँव मे साफ सफाई पेयजल व मनरेगा के सम्बंध में बात की तो उन्होंने बताया कि मुझे इक्कीस सितम्बर को चार्ज मिला था लेकिन वित्त विहीन होने के कारण जितना मुझसे हो रहा है मै गाँव के काम करवा रहा हूँ। 

ग्राम पंचायत खण्डेह में जॉब कार्ड बने हैं, जिसमे जॉब कार्ड एक्टिव हैं।

जिम्मेवार कौन ?

– रोजगार सेवक

– ग्राम पंचायत सचिव

– प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी

– प्रखंड विकास पदाधिकारी

– उप विकास आयुक्त

– मनरेगा कमिश्नर

– ग्रामीण विकास विभाग

– केंद्रीय ग्रामीण विकास विभाग

काम नहीं मिल रहा, क्यों न करें पलायन

मौदहा क्षेत्र के खण्डेह गांव के मजदूरों का महानगरों की ओर पलायन शुरू हो गया है। पंचायत में मनरेगा योजना बंद रहने से मनरेगा मजदूरों के बीच रोजगार के लाले पड़ गए हैं. गाँव चुन्नू कहार, बरदानी,राजू कहार, राहुल धुरिया, गुलाम, पूरन, दिबिया प्रजापति, प्रेमनारायण, बरदानी धुरिया,बबलू, लक्ष्मी,भूपेन्द्र आदि मजदूरों को भी काम नहीं मिलने के कारण रोजगार के लिए वे केरल,दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, कोलकाता जैसे महानगर की ओर कूच कर रहे हैं.

ठेकेदार कर रहे आदिवासियों का शोषण

रोजगार के लिए पलायन कर रहे ग्रामीणों का शोषण मजदूरों के ठेकेदार कर रहे हैं। ग्रामीण मजदूरों को दूसरे राज्यों में भेजने के लिये ठेकेदार मोटा कमीशन लेते हैं। मजदूरों को दूसरी भाषा समझ में नहीं आती। ठेकेदार इसी का फायदा उठाता है।

  • एम डी प्रजापति
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