केवल एक राजधानी, बड़ी नाइंसाफी है भाई!

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राकेश कुमार अग्रवाल

मुझे ऐसे लोगों से सख्त नफरत है जो नेताओं की बातों को गंभीरता से नहीं लेते . खासतौर पर उन लोगों से जरूर नफरत है जो , मंत्रियों , मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री के समय समय पर दार्शनिकों की तरह दिए जाने सूक्ति संदेशों का मजाक उडाते हैं . या उनके विद्वत वचनों को गंभीरता से नहीं लेते . माननीय प्रधानमंत्री 3 अक्टूबर 2014 से लगातार हर महीने मन की बात कर रहे हैं . और हम देशवासी उनकी बात को हर बार सुनते आ रहे हैं .
पहली बार मेरी बडी ममता मयी दीदी ने प्रधानमंत्री जी के बगल में बैठकर अपने ही घर में मन की बात कह डाली . उन्होंने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125 वीं जयंती पर आयोजित पराक्रम दिवस समारोह में कहा कि देश में केवल एक राजधानी क्यों होना चाहिए . उन्होंने कहा कि देश में कम से कम चार राजधानियां होनी चाहिए . और बारी बारी से चारों शहरों को राजधानी बनाना चाहिए . हम भी दीदी का आँख मूंदकर समर्थन करते हैं . लेकिन दीदी की कंजूसी से हम नाराज भी हैं . दीदी ने केवल चार शहरों को राजधानी बनाने की मांग की . दीदी अगर इनकी संख्या 40 या 400 कर देतीं तो भला उनका क्या चला जाता ? प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद देश में पांच साल बाद कितने शहर स्मार्ट सिटी बने पता नहीं लेकिन यदि 40 या 400 शहरों को देश की राजधानी बनाया जाता तो राजधानी बनने वाले शहरों का कायाकल्प जरूर हो जाता .
कल्पना करो कि 11-12 दिसम्बर 1911 को यदि ब्रिटेन के किंग व भारत के शासक जार्ज पंचम ने दिल्ली दरबार में दिल्ली को देश की नई राजधानी बनाने की घोषणा न की होती तो क्या आज दिल्ली देश की राजधानी होती ? जिस समय दिल्ली को देश की राजधानी बनाया गया था उस वक्त दिल्ली शहर मुम्बई , कोलकाता , चेन्नई , लखनऊ और हैदराबाद से भी पिछडा शहर था . दिल्ली के केवल तीन फीसदी लोग अंग्रेजी पढ पाते थे . धन्नासेठ यहां पैसा नहीं लगाना चाहते थे . बडी संख्या में लोग यहां घूमने नहीं आते थे .
सर एडविन लुटियन एवं सर हरबर्ट बेकर को राजधानी के रूप में दिल्ली की डिजायन का जिम्मा सौंपा गया था . लाॅर्ड हार्डिंग ने 4 साल में दिल्ली को राजधानी बनाने का सपना देखा था लेकिन प्रथम विश्व युद्ध छिड जाने के कारण राजधानी का स्वरूप साकार होने में 20 वर्ष लग गए . इस तरह 13 फरवरी 1931 को दिल्ली राजधानी के रूप में अस्तित्व में आई थी . आज देश में जब भी कोई नया बदलाव आता है . नई योजना नई सौगात की बात आती है श्री गणेश दिल्ली से होता है .
मेरा तो मानना है कि जब जम्मू कश्मीर में दो राजधानी हो सकती हैं . उत्तर प्रदेश में दो और आँध्रप्रदेश में पांच उप मुख्यमंत्री हो सकते हैं तो राजधानियां भी ढेरों बनाई जा सकती हैं .
हम बूढे होने की दहलीज पर हैं लेकिन आज तक हमने न राजपथ देखा न गणतंत्र दिवस की परेड देखी . न पीएम हाउस देखा न संसद देखी . यदि ढेर सारी राजधानियां बनेंगी तो हमारी बुंदेलखंड की राजधानी में भी कभी प्रधानमंत्री झंडा फहरायेंगे . राष्ट्रपति परेड की सलामी लेंगे . हम भी नाती – नातिनों के साथ हाथों में झंडा लेकर परेड देखने अपनी राजधानी जायेंगे . दूसरे शहरों में रहने वाले यार , रिश्तेदार परेड देखने आयेंगे . हमारे यहां एयरपोर्ट बनेगा . हवाई जहाज उतरेंगे . हम सभी लोग उडनखटोला देख सकेंगे . पर्यटन विकास होगा . एम्स बनेगा तो बीमारों को इलाज के लिए दिल्ली नहीं भागना पडेगा . राजधानी बनने पर यहां भी अपोलो , एस्कोर्ट , मेडीसिटी मेदांता व मैक्स जैसे हास्पिटल खुल जायेंगे . चमचमाती सडकें व मर्सिडीज , बीएमडब्ल्यू जैसी लक्जरी गाडियों के दर्शन हो जायेंगे . रेलवे हमारी राजधानी को राजधानी , तेजस , वंदे भारत और शताब्दी एक्सप्रेस से जोड देगी . हो सकता है देर सबेर बुलेट ट्रेन भी हमारी राजधानी को मिल जाएगी . माॅल होंगे , सिनेमा हाल होंगे . देश विदेश के नेता और प्रतिनिधि मंडल आएंगे . मेट्रो हो जाएगी . खद्दरधारी नेता व उनके समर्थक जब तक राजधानी का कामकाज चलेगा यहीं मंडरायेंगे . हमारी अपनी संसद होगी . हो सकता है कि कभी हम लोगों को भी संसद की सीधी कार्यवाही देखने का मौका मिले . नेताजी कैसे संसद से वाॅकआउट करते हैं , कैसे वेल में चले जाते हैं . सभापति के आसन तक कैसे पहुंच जाते हैं . न जाने कितने अजूबे हम सभी को लाइव देखने को मिलेंगे .
हमारी बुंदेली राजधानी के इर्द गिर्द भी एनसीआर की तर्ज पर कुछ गांवों , कस्बों का विकास हो जाएगा . दो चार उद्योग धंधे लग जायेंगे . अम्बानी , अडाणी की फैक्ट्रियां लग जायेंगी . जिससे पलायन रुकेगा . बिजली , पानी की चौकस व्यवस्था हो जाएगी . बिल भी आधे भरने पडेंगें . और क्या भरोसा देश को अगला प्रधानमंत्री हमारी राजधानी से मिल जाए . फिर तो सैफई , इटावा , बनारस , गोरखपुर की तरह हमारा चौतरफा विकास होगा .
दीदी कुछ समय से मीडिया ने आपकी छवि नकारात्मक बना दी है . लेकिन मुझे तो लगता है कि सबका साथ सबका विकास की संकल्पना को आपने ही बुलंद आवाज दी है . वाकई आप ममतामयी बडी दीदी हो ! दीदी आप संघर्ष करो हम आपके साथ हैं .
आपका छोटा भाई
आकांक्षी
राजधानी क्षेत्र बुंदेलखंड

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