खीरों कस्बे में ‘डेथ पॉइंट’ बन चुके हैं अवैध नर्सिंग होम

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20 से 25 हजार रुपये तक वसूलते हैं एक प्रसव में झोलाछापों पर स्वास्थ्य विभाग कब कसेगा शिकंजा।

डिग्री न डिप्लोमा फिर भी छोलछाप वर्षो से चला रहे है नर्सिंगहोम ।।

रिपोर्ट – दिवाकर त्रिपाठी, खीरों

खीरों (रायबरेली) । थाना क्षेत्र के अंतर्गत कस्बा खीरों में व इसके आसपास अवैध नर्सिंग होम व झोलाछाप का मकड़जाल दिन- प्रतिदिन फैलता ही जा रहा है। कुकुरमुत्ता की तरह फैले ऐसे झोलाछाप अस्पताल अपनी काली कमाई के चक्कर में आए दिन लोगों की जान ले रहे हैं। ऐसे में इन्हें ‘डेथ पॉइंट’ अर्थात् ‘मौत का केंद्र बिंदु’ की संज्ञा दी जाए तो गलत न होगा। स्वास्थ्य विभाग की ओर से खीरों कस्बे में चल रहे ऐसे ग्यारह अवैध अस्पतालों व झोलाछाप क्लीनिकों की एक सूची जारी की गई है। जो सोशल मीडिया पर आजकल बहुत वायरल हो रही है। जिसको लेकर चर्चाओं का बाजार काफी गर्म है। इनका काला धंधा स्वास्थ्य विभाग की सरपरस्ती मे दिन दूनी रात चौगुनी फल फूल रहा हैं।जब शाशन कि ओर से छोलछापो पर नकेल कसने के निर्देश के बावजूद जिम्मेदार मौन साधे हुवे हैं जिससे उनकी कार्य शैली पर सवलिया निशाना लगाना लाजिमी हैं। छोलछापो का एक कुनबा कस्बा खीरो मे पाहो रोड पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों में पूरी साजो-सजावट के साथ बैठे सूटेड- बूटेड डॉक्टर साहब नहीं वास्तव में झोलाछाप हैं। उन्हीं अवैध अस्पतालों में से एक कस्बे के पाहो रोड पर स्थित है। सूत्रों की माने जिसमें लगभग एक माह के भीतर ही दो प्रसूताओं की मौत हो चुकी है। जिस पर स्वास्थ्य विभाग अभी तक मौन है। अब सवाल यह उठता है कि ऐसे ‘डेथ पॉइंट’ पर आखिर स्वास्थ्य विभाग को कार्यवाही करने में अभी कितना और वक्त लगेगा?

खीरों कस्बे के पाहो रोड पर स्थित अवैध हॉस्पिटल आरके चौधरी में लगभग एक माह के भीतर ही दो प्रसूताओं को मार डाला गया। पहला केस 13 जुलाई का है। सूत्रों कि माने तो जिसमें थाना क्षेत्र के खजुहा गांव की एक गर्भवती महिला का 25 हजार रुपये में ऑपरेशन से प्रसव कराया गया। प्रसव के बाद नवजात तो बच गया लेकिन प्रसूता की प्रसव के दौरान ही मौत हो गई। झोलाछाप के हाथ-पांव फूल गए। तुरंत ही वह लाश में तब्दील हो चुकी प्रसूता को अपनी निजी कार में डालकर घंटों इधर-उधर टहलाता रहा। कई घंटे बाद प्रसूता की मौत का राज खुला। जिसका दूसरा केस 12 अगस्त का है। जिसमें उन्नाव जिले के बिहार थाना क्षेत्र के नेवती गांव की एक गर्भवती महिला का प्रसव कराया गया। जन्मी हुई बेटी तो बच गई लेकिन प्रसूता की मौके पर ही अस्पताल में मौत हो गई। झोलाछाप ने इस केस को सीएचसी से जोड़ते हुए बताया कि प्रसव मेरे यहां नहीं बल्कि सरकारी अस्पताल में हुआ था। सूत्रों से हकीकत पता करने पर मामला खुला कि वह प्रसव सीएचसी में नहीं बल्कि उसी झोलाछाप के यहां 23 हजार रुपये में कराया गया था। दोनों ही मामलों में स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों ने अभी तक मौन धारण कर रखा है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि आखिर कब तक झोलाछाप इस तरह से लोगों की जान को हल्के में निपटाते रहेंगे? अवैध नर्सिंग होम पाहो रोड स्थित आर के चौधरी अवैध हॉस्पिटल में इससे पहले भी कई बार रोगियों की मौतों का काला खेल खेला जा चुका है। जिनके राज दफन कर दिए गए हैं।

स्वास्थ्य विभाग से 11 झोलाछाप की सूची जारी-

सीएचसी अधीक्षक डॉ भावेश सिंह ने रायबरेली सीएमओ डॉ संजय कुमार शर्मा को आवश्यक कार्यवाही करने से संदर्भित खीरों कस्बे व आसपास के फिलहाल 11 अवैध हॉस्पिटल, नर्सिंग होम, पाली क्लीनिक व झोलाछाप क्लिनिक की सूची जारी कर दी है। जिनमें आर के चौधरी हॉस्पिटल पाहो रोड, देव नर्सिंग होम पंचायत भवन के सामने, हर्ष पॉलीक्लिनिक दुकनहां रोड, डॉ राजेश कुमार दुकनहां रोड-उन्नति खेड़ा, जनता हॉस्पिटल अतरहर रोड, रामा डेंटल क्लीनिक पाहो- अतहर रोड, एसके अग्निहोत्री अतरहर रोड, वीके सचान अतहर रोड, दो बंगाली और सरस्वती इंटर कॉलेज रोड स्थित राजू डॉक्टर शामिल हैं।

अब बड़ा सवाल यह उठता है कि एक के बाद एक अवैध नर्सिंग होम में हो रही रोगियों की मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मौन क्यों हैं? कहीं न कहीं इस सारे खेल में प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों की संलिप्तता को नकारा नहीं जा सकता है। छोलछापो डॉक्टरो पर अभियान सिर्फ कागजों पर चल रहा है।यदि ऐसा ना होता तो पूरा कूनबा जेल मे होता।।

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