कोरोना का असर : भिखारियों व संतों के पेट पर भारी, प्रमुख द्वार ने संतों के भोजन को किया आधा

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चित्रकूट के प्रमुख मंदिर कामदगिरि परिक्रमा का प्रमुख द्वार राम मोहल्ला के स्वयंभू जगद्गुरु और भगवान का भगवान बन बैठे रामस्वरूपाचार्य का कारनामा। गरीबों और अभ्यागतों के भोजन में कर रहे हैं कटौती।

चित्रकूट। संपूर्ण विश्व के साथ – साथ सारा देश आज जहां कोरोंना जैसी भयानक महामारी से लड़ रहा है और देश के साथ साथ प्रदेशों की सरकारें, प्रशासनिक मशीनरी, पुलिस प्रशासन, समाजसेवी संगठनों के साथ ही आमजन मानस भी एक दूसरे का दर्द महसूस करके सहयोग कर रहा है। इस माहौल में जहां देश और समाज को सर्वाधिक इंसानियत के साथ ही मानवता की जरूरत है तो वहीं समाज में कुछ ऐसे भी लोग है जो दिखावे के लिए समाज के हितचिंतक होने का ढोंग करते हैं। बात चित्रकूधाम के प्रमुख मंदिर कामदगिरि प्रदक्षिणा का प्रमुख द्वार राम मोहल्ला की हो रही है जहां साल की 12 अमावस्या पर्वों में उमड़ने वाली करोड़ों श्रृद्धालु तीर्थ यात्रियों के आने पर करोड़ों रुपए का चढ़ावा चढ़ता है। करोड़ों रुपए का चढ़ावा आने के बावजूद वर्तमान समय में इस मंदिर के महंत / अध्यक्ष और स्वयंभू जगद्गुरु के साथ ही भगवान का भी भगवान बन बैठे कामदगिरि ” पीठाधीश्वर ” रामस्वरूपाचार्य के साथ ही उनके छोटे भाई मदन गोपाल दास यहां मंदिर के भंडारे में आने वाले गरीब, अशहाय, अभ्यागत,साधू – संतो को भरपेट भोजन भी नहीं दे रहे हैं। वर्षों से चली आ रही इस मंदिर में भंडारे की परंपरा रही है कि भंडारे के समय चाहे जितने भी लोग आ गए हों, भोजन सब को दिया जाता रहा है। लेकिन वर्तमान हालातो में जिस समय धर्म नगरी चित्रकूट में इस तरह के भंडारों की सर्वाधिक आवश्यकता है उस समय यहां भोजन में कटौती की जा रही है। यहां भोजन करने वाले कुछ साधुओं के साथ ही अभ्यागतो ने बताया कि इस समय उन्हें भर पेट भोजन नहीं दिया जाता। तो वहीं कुछ ने बताया कि केवल दो रोटी और सब्जी ही दी जा रही है। लगभग यही हाल चित्रकूट के अधिकांश मठ – मंदिरों का है। जानकी कुण्ड स्थित अखंड परम धाम आश्रम में जहां हमेशा सौ, दो सौ लोगों को भोजन मिलता था वहां गेट पर ताला लगा हुआ है। और भोजन व्यवस्था बंद होने के कारण साधू – संत परेशान हैं। वर्तमान हालातों को लेकर धर्म नगरी चित्रकूट के स्थानीय निवासियों ने, समाजसेवियों के साथ ही नगर परिषद चित्रकूट के मुख्य नगर परिषद अधिकारी सहित जहां आमजनमानस तक ने यह बीड़ा उठाया है कि यहां पर कोई भी भूखा न रहने पाये, फिर चाहे वो मनुष्यों के साथ ही मूक बंदर ही क्यो न हो। लेकिन धर्म नगरी चित्रकूट के मठ – मंदिरों के महंतो ने लॉक डाउन परिस्थितियों में गरीब, के भोजन को लॉक डाउन करना शुरु कर दिया है। करोड़ों रुपए के आश्रमों में रहने वाले इन मठ – मन्दिरों के महंत बीस-२, पच्चीस – २ लाख की गाड़ियों में घूम रहे हैं। डनलप के गद्दों पर सोते हैं। लेकिन इनके पास गरीबों को भोजन कराने के लिए पैसा नहीं है। अभी बीते दिनों 25 मार्च के दिन कामदगिरि प्रदक्षिणा का प्रमुख द्वार राम मोहल्ला में 25 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले भव्य मंदिर निर्माण का शिलान्यास किया गया। इनके पास मंदिर निर्माण के लिए पैसा है लेकिन गरीबों को भोजन देने के लिए नहीं। धर्म नगरी चित्रकूट के स्थानीय अधिकांश बड़े बड़े मठ – मंदिर लगभग प्राईवेट लिमिटेड कंपनी बन चुके हैं जिन्हें न तो सामाजिक सरोकारों से ही कोई लेना देना है और न ही मानवता और इंसानियत से। मुझे लगता है कि यह स्थित बेहद ही दुर्भाग्य पूर्ण है।

Sandeep Richhariya

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