गाँव की बेटी बनी लेक्चरर, पहले वेतन से गरीबों, ज़रूरतमंदों को खिलाई खिचड़ी

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  • युवाओं की बदलती सोच का अनूठा उदाहरण हैं डॉ. यामिका पटेल
  • बोली – सफलता के लिए सिर्फ कल्पना नहीं, सार्थक कर्म भी ज़रूरी

वाराणसी। जीवन की तमाम विषम परिस्थितियों को मात देकर सफलता की इबारत लिखने का एक उम्दा उदाहरण हैं कचनार की डॉ. यामिका पटेल। संषर्षों की की सीढ़ियां चढ़कर आज डॉ. यामिका पटेल कानपुर के प्रतिष्ठित राजकीय पालिटेक्निक कॉलेज में मैकेनिकल डिपार्टमेंट में प्रवक्ता की ज़िम्पमेदारी संभाल रही हैं। 

डॉ. यामिका का कहना है कि सफलता के लिए सिर्फ कल्पना ही नहीं, सार्थक कर्म भी जरूरी है। सीढिय़ों को देखते रहना पर्याप्त नहीं, बल्कि उन पर चढऩा भी जरूरी है। डॉ. यामिका का कहना है कि गाँव में तमाम विपरीत परिस्थितियों में पली-बड़ी, उसी ईश्वर ने मेरी पतवार एक नेक व रहमदिल इन्सान मेरे मम्मी-पापा के हाथों में सौंप दी। मैंने भी अपने कष्टों को कर्म की धारा में पिरोकर मुकाम हासिल करने का लक्ष्य साधा।

बचपन से यामिका थीं प्रतिभाशाली

बचपन से ही प्रतिभाशाली छात्र रही। पारिवारिक जिम्मेदारियों के बावजूद इरादों पर अडिग हो, अपने पिता ओमप्रकाश सिंह पटेल के ख्वाबों को पूरा किया। जिन्दगी के तमाम अवरोधकों को चकनाचूर करते अपनी मंजिल को हासिल किया।

अपने क्षेत्र के ज़रूरतमंदों को समर्पित किया पहला वेतन

अपने माता-पिता की विचारधारा और सामाजिक उत्थान में अग्रणी भूमिका से प्रेरित होकर डॉ. यामिका ने अपना पहला वेतन अपने गाँव कचनार, रानी बाज़ार, राजातालाब, बीरभानपुर आदि गाँव के ग़रीबों, ज़रूरतमंदों के बीच मकर संक्रांति के अवसर पर खिचड़ी खिलाकर किया।

जिसमें पिता ओमप्रकाश सिंह पटेल, छोटे भाई विवेक पटेल, सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता, मनोज पटेल, राहुल पटेल, बाबू लाल उर्फ़ माइकल सोनकर, दीपक पटेल, विष्णु पटेल, हेमन्त राय, बाबा पटेल, अनिल गुप्ता, आनंद पटेल, बालपिट, पुवरसन आदि लोगों ने ज़रूरतमंदों के बीच जाकर खिचड़ी वितरण किया।

राजकुमार गुप्ता

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