चलो कुछ पाॅजिटिव हो जाए

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राकेश कुमार अग्रवाल
पूरे देश और दुनिया से आ रही खबरें डराने वाली हैं . इन खबरों को जिस सनसनी की तरह परोसा जा रहा है वह उन सच्चाईयों से भी ज्यादा डरावना है . खबरों को देखकर तो लगता है कि यदि कयामत नाम की वाकई कोई सच्चाई है तो दुनिया का अंत नजदीक आ गया है . मीडिया पर जो खबरें चल रही हैं वह डर को कम करने के बजाए डर का हाॅरर शो जरूर बन गई हैं .
करोडों की संख्या में लोग अपनों से दूर परदेश में चार पैसे कमाने के वास्ते पडे हुए हैं . ऐसे में लाॅकडाउन और कोरोना कर्फ्यू जैसे उपाय स्थितियों को और भी वेदना बढाने वाला बना रहे हैं . उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय द्वारा प्रदेश के पांच बडे शहरों में लाॅकडाउन लगाने के आदेश को यह कहकर की गरीबों की आजीविका भी उतनी ही जरूरी है . उच्च न्यायालय के आदेश को मानने के बजाए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई . जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया . और अगले ही दिन प्रधानमंत्री ने यह संदेश देकर की लाॅकडाउन अंतिम विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा . प्रधानमंत्री के इस कदम से भले कोई सहमत हो न हो लेकिन सम्पूर्ण लाॅकडाउन की ओर फिर देश को ले जाना मेरे हिसाब से कोई दूरदर्शिता पूर्ण उपाय नहीं है .
याद रखने की जरूरत है कि जब तक यह दुनिया रहेगी समस्यायें किसी न किसी रूप में विद्यमान रहेंगीं . और हर समस्या जब तक समाधान नहीं पा लेती है तब तक वह सबसे बडी समस्या के रूप में ही नजर आती है . बचपन से पढते आए हैं कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है . दरअसल वो जो आवश्यकता है वो अपने देशकाल की सबसे विकट समस्या रही होती है . जिसका वैज्ञानिकों ने तकनीकी समाधान खोजा . और उसका फायदा पूरी मानव सभ्यता को मिला . बार बार याद रखने की जरूरत है कि हर समस्या जरूर एक समाधान लेकर आती है .
कुछ समस्याओं के समाधान वैज्ञानिक और तकनीकी विद खोजते हैं . कुछ समस्याओं के समाधान सरकारों के पास होते हैं . कुछ समस्यायें घर की चहारदीवारी के अंदर सुलझ जाती हैं तो कुछ समस्याओं के निराकरण के लिए समाज को आगे आना होता है .
कोविड एक ऐसी समस्या है जिसका समाधान केवल एक संस्था के पास नहीं है . अगर आप इस मुगालते में हैं कि कोरोना वायरस से निपटना केवल सरकार का काम है या केवल सरकार इससे पार पा जाएगी तो आप गलतफहमी में है . सरकार को भी इस मामले में सुपर सरकार बनने की जरूरत नहीं है . मेरा मानना है कि कोविड रूपी इस समस्या के समाधान के सूत्र आपसी समन्वय से जुडे हैं . पूरे देश को एक टीम मानकर टीमवर्क के रूप में जब तक इस्तेमाल नहीं किया जाएगा तब तक कोविड से पार नहीं पाया जा सकता है . क्योंकि कोविड कोई राजनीतिक समस्या नहीं है . इसलिए इस समस्या का समाधान राजनीति में नहीं है . कोविड कानून व्यवस्था की भी समस्या नहीं है जो पुलिसिया डंडे या सायरन के हूटरों से थम जाएगी . यह एक मानव जीवन और उसके स्वास्थ्य से जुडी समस्या है . जो संक्रामक रूप से फैलती जा रही है . कोविड को लेकर बीते सवा साल में जितने समाधान पूरी दुनिया में प्रस्तुत किए जा चुके हैं . वो चौंकाने वाले हैं . कोविड 19 जितनी बडी और विकराल समस्या है उसके उन्मूलन के लिए उतनी ही तेजी से पूरी दुनिया में काम हुआ . एक नई वैक्सीन के डेवलपमेंट से लेकर परीक्षण और मंजूरी में सामान्य तौर पर बीस वर्ष लग जाते हैं . महज 9 माह बाद वैक्सीन बनकर तैयार हो गई . पूरी दुनिया में लगभग 80 से अधिक रिसर्च संस्थान वैक्सीन के शोध पर डटे हैं . आपात परिस्थिति में आधा दर्जन वैक्सीन को तो इजाजत भी मिल गई . परीक्षण के लिए किट विकसित हो गई . ढेरों परीक्षण मरीजों पर चल रहे हैं . चिकित्सकों ने कोविड के नियंत्रण और थमती सांसों को थामने के लिए दवाओं के जितने प्रयोग और काॅम्बीनेशन इस्तेमाल किए हैं उनको अगर सूचीबद्ध किया जाए तो यह भी एक अजूबे से कम नहीं होगा . थर्मल स्कैनर , पल्स ऑक्सीमीटर तो थर्मामीटर से गए गुजरे हो गए हैं . घरों में भले थर्मामीटर न हो लेकिन पल्स ऑक्सीमीटर जरूर मिल सकता है . आरोग्य सेतु ऐप का कितना गाना गाया गया आज वो कहां है . कंटेनमैंट जोन बनाने को लिए व आवाजाही रोकने के लिए किस तरह प्रशासनिक नाकाबंदी का प्रयोग किया गया इतना तो माफिया , गैंगस्टरों की धरपकड में भी नहीं हुई .
सबसे बडी तारीफ करनी होगी देश के लोगों की . बहुतों ने बहुत कुछ कोरोना में खोया है . फिर भी जिजीविषा से बडा कुछ भी नहीं होता है . और इंसान की भी फीनिक्स की भांति यही खूबसूरती है कि जब सब कुछ नष्ट होते हुए दिखता है तब भी वह उम्मीद का दामन नहीं छोडता है .
कोरोना से हम सबको अपने अपने स्तर से छापामार युद्ध की तरह खुद को बचाते हुए जूझना है . याद रखिए दुनिया का नहीं , कोविड 19 का अंत करीब आ रहा है . न खुद डरिए न दूसरों को डराइए . अपना और अपने परायों का मनोबल न खोइए . ये धैर्य और हौसले की लडाई है आपके दमखम की लडाई है . यूं ही वाकओवर नहीं देना है . जो होगा अच्छा होगा बस याद रखिए ऑलवेज बी पाॅजिट्व .

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