संदीप रिछारिया (वरिष्ठ संपादक)
चित्रकूटधाम में मन्दाकिनी, पयस्वनी और सरयू नदियों का संगम राघव प्रयाग घाट पर होता है।लेकिन अब यह केवल किताबी बाते है। चित्रकूटधाम के भूमाफियाओं ने पयस्वनी और सरयू को गायब कर विशाल भवन और होटल खड़े कर दिए। अधिकारियों ने भी धनलिप्सा के चलते इन जीवन देने वाली पौराणिक धाराओं को बचाने की जगह उनको गायब करने में सहयोग करने का काम किया। कभी विशाल तट वाली धाराएं सिकुड़कर आज गंदे नाले में तब्दील कर दी गई है। लगातार माफिया नदियों की जमीनों को पाटकर नदी का पाट गायब कर रहे है।
मेरे आत्मन भले ही गोस्वामी जी ने मन्दाकिनी को चित्रकूटधाम की पहचान चिन्ह से जोड़ा हो,लेकिन अनुसुइया के जंगलों से निकलने के बाद उनमें मिलकर अपना अस्तित्व समाप्त करने वाली अनेक नदियां है। वैसे धर्म नगरी की बात करे तो हनुमानधारा का जल बन्दरचुहि होते हुए प्रमोडवन के सामने मिलता है। श्री कामदगिरि परिक्रमा के ब्रह्मकुंड से पयस्वनी निकलकर आती है और उत्तर से सरयुधारा आकर निर्मोही अखाड़े के पीछे मिलती है। तीनो नदियों के संगम के स्थान को राघव प्रयाग घाट कहा जाता है।लेकिन आज श्री राम के द्वारा अपने पिताजी का पिंड तर्पण करने वाला राघव प्रयाग घाट गायब हो गया।2008 में अमिताभ बच्चन ने भी यही पर अपनी माता तेजी बच्चन की अस्थियां। सिराई थी। लेकिन वर्षो से यह बदहाल है। हम सबको इसे मुक्त कराने और अविरल बहाव के लिए अपने अपने स्तर पर प्रयत्नशील होना चाहिए।

 
            