चित्रकूट में नहीं होना चाहिए शिव तांडव स्त्रोत

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चित्रकूट श्रीराम की भूमि है। यहां पर भगवान राम ने अगस्त, अ़ित्र आदि ऋषियों की सहायता से शिवलिंग की स्थापना की, पूजन किया। यहां पर बैठकर श्री राम चरित मानस की रचना की गई। चित्रकूट की मर्यादा गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखित रूद्राष्टक से है। अगर यहां पर शिव तांडव स्त्रोत का गायन हो रहा है तो वह गलत है। आरती की भी मर्यादा होती है, अच्छा बनाने के चक्कर में परंपराओं को खत्म नही करना चाहिए। मंदाकिनी गंगा की अपनी अलग विशेषता है। आरती स्थानीय साधू संतों व स्थानीय समुदाय से बात कर ही बदलनी चाहिए थी, अगर ऐसा हुआ है तो गलत है। वैसे इसके पूर्व बृन्दावन से आए संत रामदास जी ने भी इसका पुरजोर विरोध किया। जिसमें उन्हें संतों व प्रशासन का आश्वासन भी मिला, लेकिन अभी तक आरती का तरीका व शब्दावली न बदलने के कारण स्थानीय लोग निराश हैं।

संदीप रिछारिया

Sandeep Richhariya

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