राकेश कुमार अग्रवाल
एक तरफ जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद ( डीडीसी ) चुनावों की गहमागहमी जोरों पर है दूसरी ओर चुनावों में गतिरोध पैदा करने के लिए फिर से दहशतगर्दी का सहारा लिया जा रहा है . गुरुवार को जम्मू – श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग नगरोटा स्थित टोल प्लाजा पर जांच के दौरान ट्रक में बैठे आतंकवादियों द्वारा की गई फायरिंग के बाद सुरक्षा बलों ने ट्रक को ग्रेनेड लांचर से उडा दिया . जिससे ट्रक में सवार जैश- ए – मोहम्मद के चारों आतंकवादी मारे गए .
गौरतलब है कि नवगठित केन्द्र शासित प्रदेश में सरकार आगामी 28 नवम्बर को जिला विकास परिषद चुनाव कराने जा रही है .
केन्द्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 व 35 ए को बेमानी करते हुए जम्मू कश्मीर राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था . एवं वहां के सभी प्रमुख राजनीतिज्ञों जिनमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री शामिल थे को नजरबंद कर दिया था . एक एक कर राजनीतिज्ञों की रिहाई व सवा साल की खामोशी के बाद केन्द्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में राजनीतिक हलचल शुरु करते हुए जिला विकास परिषद चुनावों को कराने की घोषणा की .
धारा 370 व 35 ए को जम्मू कश्मीर से हटाने एवं उसे दो केन्द्र शासित प्रदेश में बांटने से राज्य के नेता खासे खफा हैं एवं पुराने रूप स्वरूप की बहाली को लेकर 4 अगस्त 2019 को एकजुटता दिखाते हुए गुपकर रोड स्थित फारुख अब्दुल्ला के आवास पर एकजुट हुए थे . इस बैठक में नेशनल कांफ्रेंस , पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी , कांग्रेस , पीपुल्स कांग्रेस , अवामी नेशनल कांफ्रेंस और सीपीआई ( एम ) शामिल थे. सभी दलों ने पुरानी स्थिति की बहाली की मांग को लेकर एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए थे . जिसे गुपकर घोषणा कहा गया .
नई व्यवस्था के तहत जम्मू कश्मीर में 20 जिला विकास परिषदों के लिए चुनाव होने जा रहे हैं . सभी बीसों जिला विकास परिषदों का नेतृत्व अध्यक्ष करेंगे. अध्यक्षों का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा . एवं इनका दर्जा कनिष्ठ मंत्री के माफिक होगा . इस नई व्यवस्था के निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं कि केन्द्र सरकार जिला विकास परिषदों को ताकतवर बनाना चाह रही है जबकि निर्वाचित विधायकों को विकास परिषद अध्यक्षों के मुकाबले कमजोर करना चाहती है .
जम्मू कश्मीर का गुपकर संगठन भी बेमन से ही सही अब जिला विकास परिषद चुनावों में उतरने जा रहा है . उसने सात राजनीतिक दलों के संगठन पीपुल्स एलायंस फाॅर गुपकर ( गुपकर जन संगठन ) के बैनर तले एक साथ चुनाव लडने का ऐलान भी कर दिया है . हालांकि गुपकर संगठन के विरोध में भाजपा हमलावर है . उ.प्र. के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुपकर संगठन को कोसने का कोई मौका नहीं छोडते . ऐसा भी माना जा रहा है कि पडोसी देश भी नहीं चाहता कि जिला विकास परिषद चुनाव शांति से सम्पन्न हो जाएं इसलिए चुनावों के ऐन बीच में दहशतगर्दी का वातावरण बनाया जाए . गुरुवार को मारे गए चार आतंकवादी और उनके पास से बरामद भारी मात्रा में हथियार आदि सामान बताता है कि उनका मकसद चुनावी प्रक्रिया को कमजोर करना है . ये चुनाव सर्दियों में हो रहे हैं और यही मौसम घुसपैठियों का माना जाता है जब घुसपैठिए मौसम का फायदा उठाकर सीमापार से आकर भारत में घुसने का प्रयास करते हैं . सीमा पर माहौल को तनावपूर्ण दर्शाने के लिए पाकिस्तान आए दिन अकारण फायरिंग करता है एवं संघर्ष विराम का उल्लंघन करता है . गत वर्ष 2019 में पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का बार बार उल्लंघन किया . 2019 में संघर्ष विराम के उल्लंघन की जहां 3168 घटनाएँ घटीं वहीं इस वर्ष इसी समयावधि में संघर्ष विराम के उल्लंघन की घटनाओं में रिकार्ड इजाफा हुआ है . इनका आँकडा बढकर 3589 तक जा पहुंचा है .
तीन दशक से आतंकवाद से जूझ रहे राज्य को इस अलगाववादी मुहिम की भारी कीमत चुकानी पडी है . इन तीन दशकों में राज्य में 46000 से ज्यादा लोग लोग मारे जा चुके हैं . इनमें 11000 विदेशी आतंकियों को मिलाकर 24000 आतंकवादी , 7000 सुरक्षाकर्मी व 16000 आम नागरिक हैं . आम नागरिकों में भी ज्यादातर मुस्लिम हैं . साउथ एशिया टेरेरिज्म पोर्टल द्वारा जारी किए गए आँकडों के अनुसार इस वर्ष 5 जून तक 92 आतंकी मारे गए . 29 जवान शहीद हुए . 55 आतंकी घटनायें हुईं जिसमें 10 नागरिकों की मौत हुई .
जम्मू कश्मीर एक नई तरह की व्यवस्था और राजनीति के दौर में है . तीन दशक तक राज्य में अलगाववाद और हिंसा का तांडव रहा है . नई व्यवस्था सफल न हो ऐसी कोशिश दहशतगर्दों एवं पडोसी देश दोनों की होगी . ताकि केन्द्र सरकार के नए कदम की लानत मलानत की जा सके . ऐसे में सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों की भूमिका और भी ज्यादा बढ गई है . इसकी शुरुआत चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों को सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने से हो गई है . चुनावी प्रक्रिया में गुपकर संगठन यदि सहयोग करता है तो दहशतगर्दों के लिए प्रक्रिया को चोट पहुंचा पाना आसान न होगा .