जल्द ही WHO में गरजेगा न्यू इंडिया का योग और आयुर्वेद

1481

Report by – Sandeep Richhariya

2020 की जनवरी के अंतिम दिन केरल में कोरोना के पहले मरीज ने दस्तक दी। कई चरण के डॉक्टरी उपचार के बाद यह मालूम चला कि यह चीन के बुहान शहर की प्रयोगशाला की दुर्गंध है। खैर दिल्ली तक खबर पहुँची तो इसका आंकलन किया करने के बाद विश्व व्यापी भयावहता का आंकलन कर प्रधानमंत्री ने पहले जनता से कर्फ्यू लगाने को कहा,लेकिन दो दिन बाद देशव्यापी लाकडाउन की घोषणा कर दी। महामारी से निपटने के लिए किसी भी देश के पास कोई दवा न होने से अमेरिका, इटली, स्पेन, बिट्रेन आदि में बहुत अफरा तफरी मची। लेकिन इसी बीच हमारे देश मे प्रधानमंत्री मोदी ने कुशल अभिभावक की भूमिका का निर्वहन करते हुए लोगों को शांति व सदभाव का कईं बार पाठ पढ़ाया। वैसे इस दौरान देशवासियो ने योग के साथ आयुर्वेद के नुख्सों को सामने लाकर यह सिध्द कर दिया भारतीय दर्शन सर्वश्रेष्ठ है। मलेरिया की दवा का कोरोना में प्रयोग इस बात को सिध्द करता है कि भारतीय मेघा का कोई सानी नही है। मास्क व सेनेटाइजर घर घर बने और बटे तो त्रिकुट को शारीरिक क्षमता बढ़ाने का बेहतर विकल्प मानकर आंगनबाड़ी को इसे बॉटने की जिम्मेदारी सौपी। यह सब देख विश्व के कई देशों ने भारत को who की विशेष सीट के लिए आमंत्रित किया है। अब who के मंच से योग दिवस की गूँज के साथ ही आयुर्वेद की धमक भी सुनाई देगी।

भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में मिलेगी अहम जिम्मेदारी ।

भारत के स्वास्थ्य मन्त्री डॉ हर्षवर्धन होंगे कार्यकारी अध्यक्ष ।

कोरोना के संक्रमण को रोकने में काफी हद तक कामयाब रहने वाले भारत को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में एक अहम जिम्मेदारी मिलने जा रही है। भारत 22 मई को WHO के एग्जिक्यूटिव बोर्ड का चेयरमैन बनने जा रहा है।

भारत दुनिया के उन 10 चुनिंदा देशों में है, जिन्हें अगले तीन सालों के लिए एग्जिक्यूटिव बोर्ड में जगह मिली है। भारत के लिए गर्व की बात ये है कि उसे एग्जिक्यूटिव बोर्ड का चेयरमैन देश चुना गया है। इसके अलावा WHO सदस्य देशों ने कोरोना संक्रमण रोकने में विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका की निष्पक्ष जांच कराने का फैसला लिया है।

भारत को मिली WHO के एग्जिक्यूटिव बोर्ड की चेयरमैनशिप

भारत डब्ल्यूएचओ की इस बॉडी में जापान की जगह लेगा। अभी जापान के डॉ हिरोकी नाकाटानी एग्जिक्यूटिव बोर्ड के सदस्य हैं। भारत के अलावा इस बोर्ड में बोत्सवाना, कोलंबिया, घाना, गिनी-बिसाऊ, मेडागास्कर, ओमान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, रूस और ब्रिटेन को जगह मिली है।

भारत के पास ये अहम जिम्मेदारी उस वक्त आ रही है जब कोरोना वायरस को लेकर चीन और अमेरिका के बीच तल्खी है। कोरोना वायरस संक्रमण की सही जानकारी नहीं देने पर अमेरिका चीन से खफा है और इस मामले में कार्रवाई की मांग कर रहा है। ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देश भी इस मामले चीन के खिलाफ जांच की मांग कर रहे हैं।

बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के इतिहास में पहली बार 18-19 मई को जेनेवा में टेलीकॉन्फ्रेन्सिन्ग के जरिये वर्ल्ड हेल्थ एसेम्बली आयोजित की गई थी। इस एसेम्बली में दुनिया भर में अब तक 47 लाख लोगों को संक्रमित करने वाले और तीन लाख से ज़्यादा लोगों की जान लेने वाले कोरोना वायरस से प्रभावी ढंग से निपटने पर चर्चा हुई।

1.5K views
Click