टेक्नीक बनी शातिरों की कमाई का चोखा धंधा

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राकेश कुमार अग्रवाल
एक साल पहले जब देश में कोरोना के चलते लाॅकडाउन लग चुका था . उसी दौर में ओटीटी प्लेटफार्म पर एक वेब सीरीज आई थी ” जामताडा…..सबका नंबर आएगा .” देश के कम चर्चित राज्य झारखंड का एक गांव जामताडा के शातिर युवाओं की कारिस्तानी पर आधारित इस वेब सीरीज ने उजागर किया था कि गांव के किशोर एवं युवा किस तरह तकनीकी का बेजा इस्तेमाल लोगों को ठगने , उन्हें चूना लगाने में कर रहे हैं . मोबाइल , कम्प्यूटर और लैपटाप की मदद से ये युवा अपने को किसी बैंक का अधिकारी बताकर उनसे उनके डेबिट कार्ड की जानकारी लेकर पूरा एकाउंट खाली कर देते हैं . जामताडा में ऐसे युवा एक दो नहीं सैकडों में हैं . जो खेतों , खलिहानों , मैदानों या गांव के तालाबों के किनारे बैठकर गुपचुप ढंग से अपना नेटवर्क चला रहे थे .
हाल ही में उत्तर प्रदेश – मध्यप्रदेश की सीमा पर बसा एम पी का नवसृजित जिला निवाडी के एक छोटे से गांव अस्तारी से जामताडा के तर्ज पर साइबर ठगी के नेटवर्क की खबर ने सभी को चौंका दिया . भोपाल साइबर क्राइम पुलिस ने जामताडा माॅड्यूल की तर्ज पर ठगी करने वाले चार जालसाजों को दबोचा है . पकडे गए आरोपियों में कोई मिडिल फेल है तो कोई बीए पास है . इन जालसाजों ने लगभग 800 लोगों से 80 लाख रुपयों की ठगी कर डाली . साइबर क्राइम पुलिस के अनुसार ये जालसाज बीते सात सालों से ऑनलाइन ठगी का गोरखधंधा कर रहे हैं .
ग्राम चोपडाकला के रहने वाले मजदूर परवेज खान ने अपनी बहन की शादी के लिए कुछ रकम खून पसीने की कमाई से इकट्ठी की थी . जालसाज विनोद ने विकास शर्मा बनकर परवेज को फोन किया कि तुम्हारा मोबाइल नंबर लकी ड्रा में आया है . तुम्हें 3.9 लाख रुपए मिलेंगे .लेकिन तुम्हें टैक्स के 38000 रुपए पहले जमा करने पडेंगे . परवेज जालसाज के झांसे में आ गया . उसने बडी रकम के लालच में पैसे जमा कर दिए . बाद में उसे पता चला कि वह ठगा जा चुका है . उसने जब पुलिस को शिकायत की तब साइबर क्राइम टीम को उक्त नंबर निवाडी जिले के अस्तारी गांव का मिला . पुलिस व साइबर टीम ने जब अस्तारी पहुंच कर टोह ली तब उसे पता चला कि खेतों और दुकानों से तमाम युवा दिनभर फोन पर बात कर रहे हैं . तीन दिन की मशक्कत के बाद साइबर पुलिस ने जालसाजों को धर दबोचा .
फेसबुक , फोन पे , समेत तमाम साइबर माध्यमों से ठगी का यह गोरखधंधा धडल्ले से चल रहा है . हाल ही में अहमदाबाद प्रवास के दौरान मेरे मित्र संजय जैन की फेसबुक आई डी हैकरों द्वारा हैक कर ली गई . उन्होंने संजय के दोस्तों से पैसे मांगना शुरु कर दिया . संजय के पास जब दोस्तों के एक के बाद एक लगातार फोन आने लगे तब संजय को पता चला कि उसकी फेसबुक आई डी हैक हो गई है . और हैकर संजय बनकर उसके ही दोस्तों से पैसे मांग रहा है . इस वाकया को बीस दिन भी न बीते थे कि मेरी भी फेसबुक आईडी हैक कर ली गई . समझने की जरूरत यह है कि एक तरफ देश को डिजिटल दुनिया में ले जाया जा रहा है . पैसों का भुगतान हो या पैसा ट्रांसफर करना या फिर ऑनलाइन खरीद फरोख्त , कागजी मुद्रा या कागजी लेनदेन की जगह डिजिटल भुगतान को तवज्जो दिया जा रहा है दूसरी ओर अभी भी बडी आबादी जो केवल तकनीकी उपकरणों का जैसे तैसे इस्तेमाल करना सीखी है वह साइबर जालसाजों के मंसूबों से वाकिफ भी नहीं है . आसानी से ठगी का शिकार हो रही है .
वर्तमान युग को हम लोग कलपुर्जों और तकनीकी का युग भी कह सकते हैं . तकनीकी जितनी तेजी से बदल रही है उतना तेजी से बदलाव जीवन के किसी अन्य क्षेत्र में नजर नहीं आता . हालात यह हैं कि कोई भी व्यक्ति बडे शौक से एक लेटेस्ट तकनीकी उपकरण खरीदता है लेकिन उसकी खुशी महज एक माह भी नहीं रह पाती कि उसे पता चलता है कि उसका खरीदा उपकरण अब ओल्ड हो गया है एवं एक और लेटेस्ट वर्जन मार्केट में तमाम नए फीचर के साथ आ गया है . साइबर वर्ल्ड से ज्यादातर नई उम्र के युवा जुडे हैं . जिन्होने तकनीकी खामियों का फायदा उठाकर अपनी कमाई का शार्टकट रास्ता खोज लिया है . और अशिक्षित ही नहीं पढे लिखे लोग भी आए दिन साइबर क्राइम का शिकार हो रहे हैं . साइबर क्राइम को लेकर कानून तो तमाम बन चुके हैं लेकिन ठगी का यह गोरखधंधा दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढता दा रहा है . सरकार और प्रशासन को एक ऐसा सिस्टम विकसित करने की जरूरत है कि साइबर क्राइम को अंजाम देने वाले जालसाज क्राइम के पहले ही दबोच लिए जाएं . अन्यथा लोग जालसाजी का शिकार होकर अपनी गाढी पसीने की कमाई यूं ही गंवाते रहेंगे .

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