टोल पर सीनाजोरी से होती टैक्स की चोरी

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रायबरेली । मौरंग और गिट्टी की ओवरलोडिग करने वाले न सिर्फ खनन और परिवहन विभाग को चूना लगा रहे हैं, बल्कि टोल पर धौंस जमाकर एनएचएआइ को भी चुंगी की चपत लगा रहे हैं। अधिक दबाव पड़ने पर बिना लोड तो कोई अंडरलोड ट्रक की पर्ची कटा लेता है। इनकी पहुंच और दबंगई के आगे इससे अधिक वसूलने की हिमाकत टोल कर्मी भी नहीं करते।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने रायबरेली-बांदा हाईवे का निर्माण कराया है। इस पर ऐहार के निकट टोल प्लाजा है। इस हाईवे से प्रतिदिन हजारों की संख्या में वाहन आते और जाते हैं। इनमें ट्रकों की संख्या भी सैकड़ों में होती है। टोल से जुड़े कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बांदा की ओर से आने वाले मौरंग और गिट्टी के ज्यादातर ट्रक ओवरलोड होते हैं। टोल अधिक देना पड़ेगा, इसलिए तमाम ट्रक लालगंज से ही डलमऊ और बछरावां की तरफ मुड़ जाते हैं। छोटे चार पहिया वाहनों से टैक्स लेना उतना मुश्किल नहीं, जितना इनसे लेने में परेशानी होती है। बहुत कहासुनी के बाद बाहरी ट्रकों से नो-लोड या अंडर लोड का भुगतान होता है। जबकि स्थानीय ट्रकों से तो यह भी नहीं मिलता। टोल मांगने पर मारपीट तक की नौबत आ जाती है।

माननीयों के नाम का चला रहे सिक्का

कोई माननीयों का नाम लेता है तो कोई किसी और का। कई अन्य नामों का सिक्का भी ऐहार टोल पर चल रहा है। इन्हीं के नाम का फायदा उठाकर टोल कर्मियों को डराया धमकाया जाता है। बड़े-बड़ों का नाम आने के कारण टोल के छोटे कर्मचारी भी मामले को रफादफा करने में ही सहूलियत समझते हैं।

10 गुना तक कटती है पर्ची

टोल से जुड़े अफसरों का कहना है कि ट्रकों का अलग-अलग शुल्क है। खाली ट्रक पर कम से कम 160 रुपये चुंगी पड़ती है। जितने अधिक चक्के का ट्रक होगा, चुंगी भी उतनी अधिक पड़ेगी। ट्रक के लोड होने पर इसका 10 गुना टैक्स वसूला जाता है।

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