तेज रफ्तार ट्रक की टक्कर से एक की मौत, दूसरे की हालत गम्भीर ट्रामा सेंटर रेफर

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मृतक सरोज बछरावां कस्बे में करता था स्टील वेल्डिंग का कार्य

शिवगढ़(रायबरेली)। मंगलवार को प्रात: करीब साढ़े 10 बजे शिवगढ़ थाना क्षेत्र अंतर्गत बांदा-बहराइच राज्य मार्ग पर स्थित भवानीगढ़ गोल चौराहे से करीब 200 मीटर की दूरी पर स्थित सृजन विद्यालय एवं मिश्रा हाण्डा वर्कशॉप के सामने हैदरगढ़ की ओर से आ रहे तेज रफ्तार ट्रक ने बछरावां की ओर से आ रही बाइक में सामने से जोरदार टक्कर मार दी। जिसकी टक्कर से बाइक सवार सरोज कुमार कश्यप (36) पुत्र रामकिशोर निवासी बांध टोला कस्बा बछरावां की घटना स्थल पर ही दर्दनाक मौत हो गई। वहीं मृतक सरोज कुमार का चचेरा भाई धीरज कुमार कश्यप पुत्र बाबूलाल (22) वर्ष गम्भीर रूप से घायल हो गया। लोगों की सूचना पर आनन-फानन में पहुंचे मय फोर्स के थानाध्यक्ष राकेश सिंह व उप निरीक्षक इंसाफ अली ने ट्रक व बाइक को कब्जे में लेकर दोनों घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिवगढ़ पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने सरोज कुमार को मृत घोषित कर दिया वहीं धीरज कुमार की हालत गम्भीर देखते हुए प्राथमिक उपचार के पश्चात  ट्रामा सेंटर के लिए रेफर कर दिया है। सूचना पाकर पहुंचे मृतक के पिता रामकिशोर, मां रामकुमारी, पत्नी रीमा सहित परिजनों में कोहराम मच गया। जवान बेटे का शव देखकर मृतक की मां राम कुमारी बेहोश हो गई, पत्नी रीमा मूर्छित होकर गिर पड़ी। पुलिस ने मृतक के शव को कब्जे में लेकर पंचनामा भरकर पीएम के लिए भेज दिया हैं। हादसे के बाद ट्रक चालक मौके से फरार हो गया, दुर्घटना को अंजाम देने वाले ट्रक को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है।

स्टील वेल्डिंग करके सरोज चलाता था परिवार

मृतक के पिता रामकिशोर ने बताया कि उनका बेटा सरोज अपने चचेरे भाई धीरज के साथ बछरावां कस्बे में स्टील वेल्डिंग करके किसी तरह परिवार का पालन पोषण करता था। मृतक की पत्नी रीमा ने बताया घर से खाना खाकर प्रातः 10 बजे हैदरगढ़ में चल रही साइड पर काम करने के लिए निकले थे।

मासूम बच्चों के सिर से उठ गया पिता का साया

मृतक सरोज कुमार की मौत से अहम उम्र 5 वर्ष, सान्या डेढ़ वर्ष के सिर से पिता का साया उठ गया है। मासूम बच्चों का रो -रो कर बुरा हाल है। मासूम बच्चे फफक-फफक कर बार-बार मां से यही कह रहे हैं मम्मी पापा कब लौटकर आएंगे।

टूट गए सपने चकनाचूर हो गए अरमान

मृतक सरोज कुमार व उनकी पत्नी रीमा दोनो अपने बच्चों को खूब पढ़ा लिखा कर सरकारी अफसर बनाना चाहते थे किंतु नियति को कुछ और ही मंजूर था। सरोज की मौत से मृतक की पत्नी रीमा के सपने टूट गए, बेटा और बेटी को पढ़ाकर सरकारी अफसर बनाने के सारे अरमान चकनाचूर हो गए। दुधमुही बच्ची जिसे अभी पिता की परिभाषा भी नहीं मालूम थी पिता से हमेशा-हमेशा के लिए दूर हो गई। सरोज की मौत से मृतक की पत्नी रीमा पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। जो बार-बार फफक – फफक कर यही कह रही है कैसे बच्चों का पालन पोषण करेगी और कैसे उन्हे पढ़ायेगी लिखायेगी।

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