थर्मल स्कैनर व पल्स ऑक्सीमीटर की खरीद में बड़ा घोटाला

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बेलाताल ( महोबा ) । वैश्विक महामारी कोविड-19 में भी भ्रष्टाचारी अपनी हरकतों से बाज नहीं आए। इन्होंने इस मौके को अपनी आमदनी का अवसर माना। और थर्मल स्कैनर एवं पल्स आक्सीमीटर की खरीद में शासन के दिशा निर्देशों को ताक पर रखकर बडे घोटाले को अंजाम दे डाला।

विकासखंड पनवाड़ी में थर्मल स्कैनर व पल्स ऑक्सीमीटर की प्रत्येक पंचायत में सप्लाई के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए थे ।

प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव पंचायती राज मनोज कुमार सिंह ने जुलाई में एक पत्र जारी किया था जिसमें उन्होंने पंचायतों को यह खरीद करने के निर्देश जारी किए थे। निर्देश के तहत थर्मल स्कैनर 1600 रुपए में व पल्स ऑक्सीमीटर का 1200 रुपए खरीद रेट निर्धारित किया गया था।

लेकिन विकासखंड पनवाड़ी में खंड विकास अधिकारी और एक निजी फर्म के मालिक ने सांठगांठ कर विकासखंड पनवाड़ी की 64 पंचायतों में प्रति पंचायत 2 सेट की सप्लाई बिना टेंडर के करवा दी। निजी फर्म श्याम कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को यह सारी सप्लाई दी गई। ग्राम पंचायत अधिकारियों को 2 सेट प्रति पंचायत उपलब्ध कराए गए। अब प्रधानों और ग्राम पंचायत अधिकारियों से दबाव बनाया जा रहा है कि दोनों उपकरणों का 5000 से लेकर ₹ 9000 तक भुगतान की मांग की जा रही है।

जो उपकरण मुहैया कराए गए हैं वे भी मेड इन चाइना हैं। जबकि मेड इन चाइना प्रोडक्ट पर बैन लगा है। कुछ पंचायतों ने दबाब के चलते भुगतान भी कर दिया है ।

इस संबंध में खंड विकास अधिकारी पनवाड़ी का कहना है कि मेरे संज्ञान में मामला नहीं है। दोनों उपकरण ग्राम पंचायत अधिकारियों को अपने स्तर से खरीदना थे। यदि ऐसी कोई शिकायत सामने आती है तो उसकी जांच करवाई जाएगी।

विकासखंड पनवाड़ी की 64 पंचायतों में 128 सेट बिना टेंडर के खरीदे गए तथा ₹2800 की जगह 5000 से लेकर ₹7000 तक भुगतान किया जा रहा है.

गुणवत्ता विहीन सामग्री प्रत्येक पंचायत को उपलब्ध कराई गई है तथा एक ही निजी फर्म को यह सप्लाई दी गई है। जिसमें निजी फर्म श्याम कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तय रेट से भी दुगने रेटों पर बिल दिए जा रहे हैं और भुगतान कराने का दबाव बनाया जा रहा है।

श्याम कंस्ट्रक्शन फर्म के द्वारा जो बिल ग्राम पंचायतों को दिए गए हैं उसमें थर्मल स्कैनर प्रति पीस रु. 5280.38 व पल्स ऑक्सीमीटर का रेट रु. 3518.38 के अलावा सीजीएसटी का चार्ज रु. 1199.76 लगाया गया है। इस तरह प्रति सेट ₹ 9998 का बिल दिया गया है। इस बिल में न तो प्रोडक्ट की कंपनी का नाम है। न एमआरपी और न ही कोई वारंटी का जिक्र किया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि कंस्ट्रक्शन कंपनी को चिकित्सीय उपकरणों की सप्लाई का दायित्व क्यों दिया गया ?

Rakesh Kumar Agrawal

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