देश की इस लोकप्रिय सीट कों देश का नेतृत्व संभालने वाली एकमात्र महिला प्रधानमंत्री देने का गौरव भी प्राप्त हैं

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रायबरेली , देश विदेश में अति विशिष्ठ सीटों में शुमार रायबरेली लोकसभा सीट पर पुरुषों के मुकाबले आधी आबादी का दबदबा पूरे दमखम के साथ देखा जाता रहा हैं। देश की इस लोकप्रिय सीट कों देश का नेतृत्व संभालने वाली एकमात्र महिला प्रधानमंत्री देने का गौरव भी प्राप्त हैं। बता दे की आजादी के बाद 1952 में हुए प्रथम लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 तक हुए कुल 20 चुनाव (17 आम चुनाव, 3 उपचुनाव) में रायबरेली के मतदाताओं ने कंजूसी दिखाते हुए मात्र 10 सांसदों कों ही अपना आशीर्वाद दिया।

जिस पर तीन महिला सांसदों कों सर्वाधिक समय तक संसद में बने रहने का गौरव इस संसदीय क्षेत्र से हासिल हुआ। लोकतंत्र के 72 सालों में करीब 37 वर्षों तक महिला सांसदो का रुतबा इस सीट पर बना रहा। जानकारी हो की लगातार सन 1967 से लेकर 1977 तक एवं 1980 के चुनाव में मतदाताओं ने महिला सांसद के रूप में इंदिरा गांधी पर भरोसा किया। इंदिरा गांधी इस सीट पर तकरीबन दस वर्ष रही व देश की प्रधानमंत्री चुनी गयी। 1989 से लेकर 1996 तक इंदिरा गांधी की मामी शीला कौल ने लगातार दो चुनाव जीत महिला मतदाताओं का दिल जीतने में सफल रही। रायबरेली की बहू के रूप में मतदाताओं से भावनात्मक रिश्ता जताने वाली सोनिया गांधी कों भी यहां की जनता एवं महिला मतदाताओं का विशेष आशीर्वाद मिला।

संसद भवन में महिला सांसद के रूप में कुल पांच चुनाव 2004, 2006 (उपचुनाव),2009, 2014 एवं 2019 एवं कुल 20 वर्षों तक सोनिया गांधी का इस सीट पर दबदबा रहा। मोदी लहर में भी रायबरेली की जनता ने महिला सांसद के रूप में सोनिया गांधी पर पूरा विश्वास जताया। किन्तु अस्वस्थता का हवाला देकर राज्यसभा से सांसद बनी सोनिया गांधी इस सीट से नहीं लड़ रही। जिस पर 20 मई कों पांचवें चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव में कुल कुल मतदाताओं 21,23259 में महिला मतदाताओं की भागीदारी निर्णायक वोटर के रूप में करीब 10,13,573 हैं।

जिस पर नेहरू – गांधी परिवार का गढ़ कहीं जाने वाली इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा कों लेकर चल रही रणनीति की चर्चा जोरों पर हैं। वहीं अन्य दलों ने भी अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। फिलहाल इस सीट पर महिलाए ही अधिक बार जिताऊ कन्डीडेट साबित हुई हैं वहीं मतदाताओं ने भी महिला प्रत्याशी कों अधिक समय तक सांसद बने रहने का सौभाग्य दिया हैं,जिसको लेकर किसी भी दलों ने अभी तक अपना रुख साफ नहीं किया हैं।

1-इंदिरा गांधी
2-शीला कौल
3-सोनिया गांधी

रिपोर्ट- अशोक यादव एडवोकेट

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