महोबा – उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की एग्रो टूरिज्म एवं ग्राम गंगेय परियोजना के अंतर्गत देहाती ग्रामोत्थान विकास समिति द्वारा ग्राम अकठौहा में दो दिवसीय स्वयं सहायता समूह प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को पारंपरिक हस्तकला विशेषकर पेपर मेश कला में दक्ष बनाकर उन्हें ग्रामीण पर्यटन से जुड़ी आजीविका गतिविधियों के लिए तैयार करना था। प्रशिक्षण सत्र में कुल 27 प्रतिभागियों ने सक्रिय सहभागिता दर्ज की। प्रतिभागियों को कचरे से पेपर तैयार करने, सजावटी एवं उपयोगी उत्पादों के निर्माण, उत्पादों की गुणवत्ता, डिज़ाइनिंग, एवं स्थानीय पर्यटन गतिविधियों से उन्हें जोड़ने की तकनीकी जानकारी प्रदान की गई। प्रशिक्षण पूरी तरह व्यावहारिक आधारित था जिससे महिलाओं को यह सीखने में मदद मिली कि वे किस प्रकार इन उत्पादों को अपने गांवों में होमस्टे इकाइयों, हस्तशिल्प विक्रय केंद्रों और मेलों के माध्यम से विपणन कर सकती हैं। प्रतिभागियों में स्नेहा, तुलसा रानी, रामप्यारी, संतोषी, ब्रम्हा रानी, हसीना सहित अन्य उत्साही महिलाएं सम्मिलित थीं जिन्होंने ग्रामीण आजीविका के नए अवसरों को लेकर गहरी रुचि दिखाई।प्रशिक्षण का संचालन विषय विशेषज्ञ मधु एवं संगीता द्वारा किया गया, जिन्होंने सरल भाषा एवं चरणबद्ध व्यावहारिक विधियों से प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया। उन्होंने महिलाओं को स्थानीय संसाधनों के अधिकतम उपयोग, रचनात्मकता और पर्यावरण अनुकूल उत्पादन की तकनीकों से अवगत कराया l कार्यक्रम के दौरान देहाती ग्रामोत्थान विकास समिति के जिला समन्वयक हेमंत चौरसिया तथा हमीरपुर के जिला समन्वयक श्याम नारायण की विशेष उपस्थिति रही। दोनों समन्वयकों ने प्रशिक्षणार्थियों को ग्रामीण पर्यटन के साथ कलात्मक उत्पादों के समन्वय से आजीविका के नये अवसरों की जानकारी दी और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी पारंपरिक कलाएं अब सिर्फ जीविकोपार्जन का माध्यम नहीं हैं, बल्कि यह हमारे क्षेत्रीय सांस्कृतिक पर्यटन का अभिन्न हिस्सा बनती जा रही हैं। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस प्रयास रहा बल्कि स्थानीय कला के संरक्षण और ग्रामीण पर्यटन के माध्यम से सतत विकास एवं रोजगार सृजन की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल भी सिद्ध हुआ।
राकेश अग्रवाल रिपोर्ट