धर्म की स्थापना का महापर्व रामनवमी

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अयोध्या। रामनवमी भारतीय हिंदुओं का प्रमुख पर्व है।जिसको भारतीय समाज श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाते हैं।यह आस्था और विश्वास का प्रतीक भी माना जाता है। क्योंकि भगवान राम हिंदुओं का आराध्य देव भी हैं।

रामनवमी के दिन ऐसे आराध्य देव भगवान राम का जन्म दिन है। इसी कारण हमारे हिन्दू वर्ग इसे आस्था,विश्वास और उल्लास के साथ मनाते हैं। आध्यात्मिक दृष्टि से यदि देखा जाय तो इसका उद्देश्य हमारे अंदर आत्मिक रूप से बुद्धि तत्व रूपी ज्ञान का प्रकाश भरना है।

भगवान राम का जन्म अयोध्या नरेश दशरथ और रानी कौशल्या जी से हुआ।और यह शुभ अवसर नवमी के चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के दिन हुआ। रामचरितमानस के बालकाण्ड में यह उल्लेख है-

“नवमी तिथि मधुमास पुनिता
शुकल पच्छ अभिजीत हरिप्रीता।
मध्य दिवस अति सीत न घामा
पावन काल लोक बिश्रामा।।”

और इसी कारण राम नवमी का पर्व श्री राम जन्मोत्सव के रूप में धूमधाम के साथ मनाया जाता है।हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री हरि ने त्रेतायुग में दशासन के अत्याचारों को दूर करने के लिए और धर्म की स्थापना करने के लिए श्री राम के रूप में अवतार लिया।
इसीलिए रामचरितमानस में उल्लेख है-
“भए प्रगट कृपाल दीन दयाला
कौशल्या हितकारी।
हर्षित महतारी मुनि मन हारी
अद्भुत रूप बिचारी।।”
भगवान अपने आप मे प्रकाशवान हैं।उनका स्वरूप अद्भुत है।करोणों सूर्य को भी लज्जित करने वाले और आनन्द प्रदान करने वाले है।राम का पर्याय ही अंधकार को दूर कर प्रकाश करना है।
“जो आनन्द सिंधु सुख राशि
सीकर तें त्रिलोक सुपासी।
सो सुखधाम राम अस नाम
अखिल लोक दायक विश्रामा।।”
इसी प्रकार छोटे भाई लक्ष्मण को शेषा अवतार के रूप में माना जाता है।जिसका तात्त्पर्य हमेशा सतर्क और राम की सेवा हेतु तत्पर रहने वाला है।
“लच्छन धाम राम प्रिय,सकल जगत आधार।
गुरु बशिष्ठ तेहिं राखा,लछिमन नाम उदार।।”
तीसरे भाई शत्रुघ्न हैं जिसका तातपर्य शत्रुओं का नाश करना।
और सबसे छोटे भाई भरत अर्थात सेवा,सुश्रुसा,त्याग,का प्रतीक।इसीलिए कहा गया-
“भरत शत्रुहन दुनव भाई,
प्रभु सेवक जसि प्रीति बड़ाई।।”

राम नवमी मनाने का विशेष और धार्मिक कारण यह है कि त्रेता युग मे इस धन्य धरा पर राक्षसों का उत्पात बढ़ गया था।आए दिन ये राक्षस गण देवताओं के यज्ञ को विध्वंस कर दिया करते थे।तब ऐसे समय मे भगवान श्री विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर अवतार लिया।भगवान श्री राम ने धर्म की स्थापना के लिए नाना प्रकार के कष्टों को झेला।

चौदह वर्ष का बनवास काटा।और एक आदर्श उदात्त नायक के रूप में मर्यादा का पालन किया। श्री राम जी ने विकट परिस्थितियों का सामना करते हुए अपने धर्म,मर्यादा से विमुख नही हुए। इन्ही सारी विशेषताओं के कारण उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाने लगा।इस प्रकार से यह कहा जा सकता है कि भगवान राम ने इस धरती पर सत्य,प्रेम

भाईचारा,धर्म,आस्था,विश्वास,नैतिकता,मर्यादा,और एक उन्नत सभ्य समाज की स्थापना की।जहां पर उन्होंने सर्वजन हिताय,लोक कल्याण की कामना करते हुए रामराज्य को प्रतिष्ठित किया।इस कारण भगवान श्री राम जी जन-जन के हृदय में स्थापित हुए और आराध्य बन गए।जिन्होंने अपनी लीलाओं के माध्यम से समाज को समरसता और एकता का सन्देश दिया।जिनके चरित्र को आत्मसात कर जीवन को मोक्ष प्रदान किया जा सकता है।

  • मनोज कुमार तिवारी
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