पटेल के लौह इरादों का अक्स है देश का नक्शा

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राकेश कुमार अग्रवाल

अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद देश के कर्णधारों को भारतीय सेना की मदद से एक और जंग लडनी पडी थी . उप प्रधानमंत्री और देश के गृहमंत्री सरदार पटेल के लौह इरादों और दृढ कार्यवाही की नजीर है भारत का मानचित्र .

आजादी के समय देश 565 देशी रियासतों में बंटा हुआ था . इनमें से 562 रियासतें भारत में शामिल हो चुकी थीं . जूनागढ , कश्मीर और हैदराबाद रियासत ने भारत में विलय से इंकार कर दिया था . तब सरदार पटेल को अपने दृढ इरादों को दिखाने को मजबूर होना पडा . हैदराबाद में आसफजाही राजवंश का 1724 से लगातार शासन रहा था . आसफजाह सप्तम मीर उस्मान अली खान उस समय हैदराबाद के निजाम थे . उन्होंने हैदराबाद रियासत के भारत में विलय का विरोध किया था . विरोध के बडे कारणों में उनका अकूत संपत्ति का स्वामी होना था . एक आकलन के अनुसार आखिरी निजाम उस्मान अली खान के पास उस समय 236 अरब डालर की संपत्ति थी . इसकी चौथाई संपत्ति अभी मुकेश अंबानी के पास भी नहीं है . निजाम की अपनी सेना थी .उनकी अपनी रेलवे और डाक तार विभाग भी था .दरअसल निजाम को पाकिस्तान के पितामह मोहम्मद अली जिन्ना का वरदहस्त था . आस्ट्रेलिया की एक कंपनी उनको हथियारों की आपूर्ति कर रही थी .

लेकिन निजामशाही का वहां की जनता विरोध कर रही थी . इस विरोध को वहां के शिक्षाविद व सामाजिक कार्यकर्ता रामानंद तीर्थ ने धार दे रखी थी . 11 सितम्बर 1948 को जिन्ना का निधन होते ही सरदार पटेल ने मौके का फायदा उठाते हुए आपरेशन पोलो को हरी झंडी दे दी . 13 सिम्बर 1948 को सेना के 35000 जवानों ने आपरेशन पोलो शुरु किया . भारतीय सैनिकों का मुकाबला हैदराबाद स्टेट फोर्स के 22000 जवान व दो लाख से अधिक उनकी निजी मुस्लिम सेना के रजाकार आमने सामने थे . भीषण कत्लेआम हुआ . पांच दिनों तक चले इस आपरेशन में सेना के 32 सैनिक शहीद हुए जबकि हैदराबाद स्टेट फोर्स के 807 सिपाही मारे गए और 1647 घायल हुए . जबकि 1373 रजाकार मारे गए . 2014 में सार्वजनिक हुई सुंदरलाल कमेटी के अनुसार मृतकों की तादात लगभग 40000 थी . अपुष्ट खबरों के अनुसार दो लाख से अधिक लोग इस कार्यवाही में मारे गए थे . निजाम के जनरल सैयद अहमद अर्ल एदूर्स ने भारतीय सेना के मेजर जनरल जयंतनाथ चौधरी के समक्ष सिकंदराबाद में आत्मसमर्पण कर दिया था .
हैदराबाद रियासत की विशालता को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि 82698 वर्ग मील में फैली इस रियासत में हैदराबाद , तेलंगाना, मराठवाडा , कर्नाटक और विदर्भ का कुछ हिस्सा शामिल था . यह इंग्लैंड और स्काटलैंड से भी बडी रियासत थी .
इसके पहले कश्मीर रियासत 26 अक्टूबर 1947 को तत्पश्चात जूनागढ रियासत का विलय 20 फरवरी 1948 को एवं सबसे अंत में भोपाल रियासत का विलय 30 अप्रैल 1949 को हुआ .

17 सितम्बर 1948 को ठीक 13 महीने 2 दिन बाद हैदराबाद के लोगों को निजाम के शासन से मुक्ति मिली थी . उस समय हैदराबाद में सबसे ज्यादा 17 पोलो ग्राउंड थे इसलिए इस आपरेशन को सेना ने आपरेशन पोलो नाम दिया था .

अगर सरदार पटेल ने फौलादी इरादे न दिखाए होते तो शायद भारत का मानचित्र आज जैसा है वैसा न होता .

Rakesh Kumar Agrawal

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