पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के तत्वाधान में भजन कीर्तन प्रारंभ

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श्रीनगर महोबा – भगवान रामलला की अयोध्या धाम में नव निर्मित मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की पावन बेला में श्रीनगर में बने ऐतिहासिक विशाल रामराजा मंदिर में भी पयर्टन एवं संस्कृति विभाग की पहल पर ग्राम वासियों के सहयोग से अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है जहां सजावट के साथ भजन संध्या एवं क्षेत्रीय लोक कलाकारों के द्वारा बुंदेली विधाओं जैसे फाग ,तमूरा और परंपरागत गायन शैली में भी आकर्षक प्रस्तुतियां दी जा रही हैं।

22 जनवरी 2014 को अयोध्या धाम में प्रभु श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है देश के हर हिस्से में अलग अलग तरीके से भजन संकीर्तन और साज सज्जा का काम चल रहा है इसी क्रम में उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर पर्यटन एवं संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा श्रीनगर के राम राजा मंदिर में दिनांक 14 जनवरी 2024 से 22 जनवरी 2024 तक सायंकाल 5:00 बजे से लेकर 7:00 बजे तक भजन संध्या का आयोजन चल रहा है जिसमें नगरवासी उत्साह और भक्ति भाव से सम्मिलित हो रहे हैं संध्या आरती के पश्चात स्थानीय लोक कलाकारों के द्वारा लोक विधाओं पर रंगारंग प्रस्तुतियां दी जा रही हैं।

पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के तत्वाधान में भजन कीर्तन प्रारंभ होते ही नगरवासियों ने उल्लास के साथ सहयोग किया और युवाओं की टीम मंदिर की साज सज्जा में जुट गई सिद्धार्थ सैनी “शीबू” के विशेष सहयोग, अमित समाधिया पार्थ श्रीमाली,विशाल सैनी, अजय कुशवाहा राजकुमार कुशवाहा के टीम वर्क से रामराजा मंदिर(गांधी आश्रम) में रोशनी की सुन्दर साज सज्जा की गई सुचना प्राप्त होने पर ग्वालियर में निवास कर रहे सीताराम भागवत जी के पुत्र लक्ष्मण राव भागवत भी भजन संध्या में सम्मिलित होने श्रीनगर पहुंचे हैं संस्कृति विभाग में पंजीकृत भजन मंडली सरस संगीत ग्रुप से नैनशी नामदेव सेजल सैनी सृष्टि राठौर और किशुन लाल श्रीवास द्वारा सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुतियां जा रही है।

भजन संध्या कार्यक्रम में प्रतिदिन उपस्थित होकर रतीश चंद्र रावत ,अनिल रावत,नरेन्द्र गंगेले, अशोक सैनी, राकेश सैनी ,मनोज श्रीमाली ,दिलीप सैनी, रामप्रसाद कुशवाहा, रामपाल कुशवाहा ,मोहित सैनी, वंशी,अखलेश दीक्षित,अजय कुशवाहा समेत ग्रामीण सहयोग कर रहे हैं। जिला पर्यटन अधिकारी चित्रगुप्त श्रीवास्तव जी ने सभी से इस उत्सव में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने की अपील की है मंदिर के पुजारी अमित समाधिया तन्मयता से 22 जनवरी की तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं।

आजादी के आन्दोलन से जुड़ा है मंदिर का इतिहास
शिक्षक एवं इतिहास के जानकार अनिल रावत मंजुल ने बताया इस मंदिर का निर्माण बाजीराव पेशवा के साथ बुन्देलखण्ड आए भागवत परिवार द्वारा 300 वर्ष पूर्व कराया गया था और उन्हीं के द्वारा मंदिर की पूजा और अन्य व्यवस्थाएं देखी जा रही थीं 1857 की क्रांति में इस परिवार के नारायण राव भागवत ने तात्या टोपे के साथ भाग लिया था इसके बाद सत्याग्रह आंदोलन में लक्ष्मण राव भागवत ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया और आगरा सेंट्रल जेल में उनका निधन हो गया था इसी परिवार के सीताराम भागवत श्रीनगर से झांसी पहुंचकर वहीं आजादी के विभिन्न आंदोलनों में सम्मिलित हुए।और चंद्रशेखर आजाद के भी सहयोगी रहे भागवत परिवार के अंग्रेजों के विरुद्ध विभिन्न गतिविधियों के चलते भागवत परिवार के लोग श्रीनगर से बाहर अन्य जगह बस गए हैं और ग्रामवासियों द्वारा भगवान की पूजा अर्चना अनवरत चल रही है। इस मंदिर में क्रान्तिकारियों की गोपनीय बैठकें होती रही हैं।

आजादी की लड़ाई में शामिल होने श्रीनगर से पैदल ही झांसी पहुंच गए थे सीताराम भागवत

भजन संध्या में सम्मिलित होने आए भागवत परिवार से लक्ष्मण राव भागवत जी (द्वितीय)बताते हैं कि आजादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए पिताजी सीताराम भागवत झांसी के आंदोलन में भाग लेने के लिए श्रीनगर से पैदल ही झांसी पहुंचे थे और लक्ष्मण राव भागवत जी(प्रथम) पहलवानी का शौक रखते थे और जब आजादी की लड़ाई में आगरा सेंट्रल जेल में बंद थे तो उन्हें समुचित भोजन न मिलने के कारण बीमार हो गए थे अंग्रेजों ने माफी मांगने के लिए कहा तो उन्होंने कहा माफी मांगने से बेहतर है मैं मर जाना पसंद करूंगा और उनकी आगरा सेंट्रल जेल में ही मृत्यु हो गई थी।

रिपोर्ट- राकेश कुमार अग्रवाल

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