सरकारी अस्पतालों में 80 प्रतिशत बढ़ी सर्दी-जुकाम-बुखार के मरीजों की संख्या
अयोध्या। मौसम में सर्दी बढ़ने के साथ ही लोगों में सर्दी खांसी जुकाम के साथ बुखार की दिक्कत ज्यादा हो गई है। सरकारी अस्पताल से लेकर निजी चिकित्सकों की ओपीडी में सर्दी से पीड़ित मरीजों की भीड़ है।
चिकित्सकों की मानें तो इन दिनों हर घर में सर्दी खांसी के साथ एक व्यक्ति बुखार से पीड़ित है। पिछले दस दिनों से बढ़ती सर्दी लोगों को लगातार सता रही है।
दिन में खिलती धूप और रात में घने कोहरे के कारण लोग परेशान है। दिन और रात के तापमान में अंतर कम होने के कारण ठंड का असर ज्यादा होता है। इसी कारण लोग ज्यादा बीमार हो रहे हैं। ज्यादातर लोगों को खांसी-जुकाम के साथ गले खराब होने की शिकायत हो रही है। इससे ज्यादा होते लोग वायरल की चपेट में आ रहे हैं।
अयोध्या श्रीराम अस्पताल, जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में मरीजों की संख्या 80 प्रतिशत तक बढ़ गई है।जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्साधिकारी डा सीबीएन त्रिपाठी के मुताबिक इन दिनों ओपीडी में आने वाले 80 फीसदी मरीज बुखार से पीड़ित हैं। सभी में खांसी के साथ बदन दर्द की शिकायत है।
सर्दी के कारण इन दिनों बुखार के मरीजों की संख्या ज्यादा है। इसी कारण पेरासिटामोल दवा की खपत भी कई गुना बढ़ गई है। दवा वितरण करने वाली स्वाती ने बताया कि मेडिकल स्टोर से लेकर जनरल स्टोर तक पर इस दवा की मांग है। वहीं जिला अस्पताल में भी पैरासिटामोल की खपत बढ़ी हुई है।
दवा वितरण स्टाफ के मुताबिक 90 फीसदी मरीजों की दवा में पेरासिटामोल शामिल है। इस कारण इस दवा की खपत कई गुना ज्यादा है। सरकारी अस्पताल में ओपीडी दो बजे तक रहती है। इसके बाद मरीज इमरजेंसी में जाते हैं। इन दिनों दोपहर दो बजे के बाद से देर रात तक इमरजेंसी में भी बुखार के मरीजों की संख्या ज्यादा रहती है।
कई मरीजों को दवा देकर घर भेज दिया जाता है लेकिन जिनकी हालत ज्यादा खराब प्रतीत होती है उन्हें भर्ती भी करना पड़ता है। इसी वजह से इमरजेंसी के बेड भी मरीजों से फुल हैं।
बीकापुर सीएससी का हाल बेहाल
अधिकारियों के निरीक्षण में सब कुछ हो कर मिलता है लेकिन बीकापुर सीएससी में जांच करने के लिए अधिकृत किए गए अधिकारियों द्वारा बंद कमरे में अधीक्षक से वार्ता करके अधिकारी खुशी-खुशी लौट जाते हैं जिससे जहां मरीजों को सुचारू ढंग से इलाज नहीं हो पा रहा है।
आलम यह है कि दवा वितरण काउंटर पर अशिक्षित लोग बैठे हुए है जिन्हें ना दवा की जानकारी नहीं मजे से कैसे बोला जाता है मरीज को कैसे संतुष्ट किया जाएगा इसकी भी जानकारी मुझे नहीं हैष
इस बाबत अधीक्षक अवधेश सिंह से जानकारी करने पर कहा जाता है कि हम अपनी व्यवस्था के हिसाब से संचालन करेंगे इस तरह के संचालन करने से दवा काउंटर पर मात्र कुछ दवाएं जो फायदा भी नहीं करती ना नुकसान करती हैष
उन्हें प्रसाद की तरह वितरित की जाती है तथा भ्रष्टाचार की तमाम शिकायतों को लेकर क्षेत्र पंचायत सदस्य के पदाधिकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक से उनके आवास पर लखनऊ में मिलकर बीकापुर सीएससी के बदहाल हालत के बारे में अवगत कराया था, किंतु ज्ञापन देने के बाद एक दो बार सीएमओ एडिशनल सीएमओ आकर खानापूर्ति कर गए।
किंतु स्थित में किसी प्रकार का सुधार नहीं है डॉक्टर बाहर से दवा लिखने के लिए बाध्य हैं क्योंकि अस्पताल में दवा ही नहीं है यदि है तो स्टोर रूम में रखी होगी काउंटर पर नहीं भेजी जाती यही अधीक्षक महोदय अपने स्तर से बीकापुर जैसे सीएचसी हॉस्पिटल को चला रहे हैं।
मरीज अपनी हालत पर सिर्फ आंसू बहाने के अलावा उनके हाथों में कुछ नहीं आ रहा है स्थिति थोड़ा गंभीर भी दिखाई पड़ती है तो यहां के डॉक्टरों का मैनुअल बन गया है कि उन्हें जल्द रिफर कर दे वह किसी भी प्रकार की जामत लेने की कोशिश नहीं करते हैं।
तमाम अनियमितताओं की शिकायत बृजेश पाठक से होने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है लोगों में जबरदस्त आक्रोश है।
- मनोज कुमार तिवारी


