प्रोफेसरों एवं शोधकर्ताओं ने केएमसी मातृभूमि को किया नमन

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केएमसी क्रांति से यूपी में खिलखिला रहा बचपन

सीने की गर्माहट से नवजात शिशुओं को मिल रहा जीवनदान

देश-विदेश के शोधकर्ता सीइएल से सीख रहे केएमसी के गुर

रायबरेली। समुदाय को जागरूक करने के साथ ही हैं उत्तर प्रदेश सरकार एवं एनएचएम के समन्वित योगदान से तकनीकी सहयोग करके कंगारू मदर केयर के माध्यम से पिछले 16 वर्षों से नवजात शिशुओं को जीवनदान दे दी चली आ रही कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब सक्षम शिवगढ़ ऑफिस ‘5 सदस्यीय प्रोफेसर दल एवं 55 सदस्यीय शोधकर्ताओं के साथ’ पहुंची बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय की संकायाध्यक्ष एवं एडीजी पुलिस की पत्नी प्रोफेसर डॉ.सुनीता मिश्रा ने डेमो कंगारू लाउंज एवं प्रोजेक्टर, लैब के माध्यम से कंगारू मदर केयर करीब से जाना। केएमसी के जादुई करिश्मे से रूबरू हुई प्रोफेसरों एवं शोधकर्ताओं ने शिवगढ़ की पावन केएमसी मातृभूमि को नमन करते हुए कहा कि केएमसी के विषय में सुना था लेकिन यह नहीं मालूम था कि शिवगढ़ कंगारू मदर केयर की मातृभूमि है।

यहां आकर पता चला की सीइएल सक्षम शिवगढ़ इस पावन मातृभूमि से समूचे विश्व में भारत का परचम लहरा रहा है। उन्होंने कहा कि यहां आकर वे सभी अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। प्रोफेसरों एवं शोधकर्ताओं ने अपनी इच्छा प्रकट करते हुए अपील की कि भविष्य में कोई ऐसा कार्यक्रम आयोजित किया जाए जिससे उन्हें आने यहां का मौका मिल सके। विदित हो कि कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब सक्षम शिवगढ़ के संस्थापक डॉ.विश्वजीत कुमार 2002 में अमेरिका से स्वदेश लौटे तो शिशु मृत्यु दर के आंकड़े पढ़कर अत्यंत दुखी हुए। जिन्होंने उसी क्षण मन में दृढ़ संकल्प लिया की देश में रहकर नवजात शिशुओं को जीवनदान देंगे। अपनी इसी प्रेरणादायक सोंच के साथ वर्ष 2003 में डॉ. विश्वजीत कुमार ने कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब सक्षम शिवगढ़ की नीव डाली और शिक्षित बेरोजगार युवकों को संस्था से जोड़कर उन्हें रोजगार देते हुए समुदाय के बीच जा जाकर आंकड़े एकत्रित किए तो सबसे ज्यादा नवजात शिशु मृत्यु दर पायी गई।

कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब ने उत्तर प्रदेश सरकार एवं एनएचएम के समन्वित योगदान से तकनीकी सहयोग प्रदान करके नवजात शिशु मृत्यु दर पर कार्य करना शुरू किया, जिसके कुछ ही महीनों में चौकाने वाले आंकड़े सामने आए बगैर किसी इलाज के जागरूकता एवं केएमसी के माध्यम से नवजात शिशु मृत्यु दर में 54 प्रतिशत कमी आ गई। सीइएल की निदेशक आरती कुमार व सीइएल टीम की मेहनत एवं लगन व राज्य एवं एनएचएम के समन्वित सहयोग से आज 174 केएमसी लाउंजो के माध्यम से समूचे यूपी में बचपन खिलखिला रहा है।

चुनौतीपूर्ण रहा 16 वर्षों का सफर

नवजात शिशुओं की जान बचाने के लिए अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को अमली जामा पहनाते हुए जिस समय डॉक्टर विश्वजीत कुमार ने कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब सक्षम शिवगढ़ की स्थापना की बहुत ही चुनौतियों का सामना करना पड़ा। परम्परागत तरीके से गांव में कराए जा रहे प्रसव एवं तरह-तरह की भ्रांतियों एवं अंधविश्वासों से लोगों को ऊपर उठाकर नवजात शिशुओं एवं माताओं को सम्मानजनक सुरक्षित जीवन देना था। शुरुआती दौर में बहुत ही ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ा। किंतु किसी ने सच ही कहा है मन में दृढ़ संकल्प हो तो मंजिल दूर नहीं, डॉक्टर विश्वजीत कुमार की इसी दृढ़ इच्छाशक्ति और उनके सरल उदार व्यक्तित्व से एक ऐसे युग का उदय हुआ जिसमें हर गांव में सक्षम कर्ता नवजात शिशुओं की जान बचाने के लिए आगे आए और समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने में मदद की। कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब का 2003 से लेकर अब तक 16 वर्षों का सफर भले ही चुनौतीपूर्ण रहा किंतु सीइएल ने प्रदेश सरकार एवं एनएचएम के साथ मिलकर यूपी ही नहीं समूचे विश्व में केएमसी का डंका बजा दिया है। केएमसी के गुर सीखने के लिए विश्व के कोने-कोने से शोधकर्ता शिवगढ़ आते हैं।

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