बाजार से चीनी राखियां गायब

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हां और न के बीच बिक रही राखी और मिठाई , भीड नदारद

बेलाताल ( महोबा )। कोरोना वायरस ने त्योहारों की बलि ले ली है। कभी हां , कभी न की उधेडबुन के बीच बाजार में राखियों और मिठाई की बिक्री शुरु हो गई है। हालांकि त्योहार पर रहने वाली रंगत और रौनक गायब है। सबसे बडी बात इस बार ये है कि बाजार से चीनी राखियां गायब हैं।

भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व को लेकर बाजार में दुकानों पर रंग-बिरंगी राखियां बिक रही हैं। बाजार में बहनें अपने भाइयों की कलाई पर बांधने के लिए राखी की खरीदारी करने में जुट गई हैं। बाजार में एक से एक सुंदर रंग-बिरंगी राखियां उपलब्ध हैं।

इस बार तीन अगस्त को कोरोना वायरस संक्रमण के बीच रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। सरकार द्वारा इस बार सभी त्योहारों को गाइडलाइन के अनुसार मनाने के लिए निर्देश दिए हुए हैं। इसके बावजूद भी बाजार में रक्षाबंधन को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। रक्षाबंधन पर बहनों द्वारा बांधे जानी वाली एक डोर में संसार की सारी खुशियां समाई होती है। वहीं भाइयों में भी त्योहार को लेकर उत्साह होता है। इस बार कोरोना वायरस को देखते हुए पर्व को लेकर कोई ज्यादा चहल पहल देखने को नहीं मिल रही है। फिर भी रक्षाबंधन की तैयारी को लेकर बाजार सज गए हैं। दुकानें रंग-बिरंगी राखियों से अटे पड़े हैं। दूसरी ओर भाई-बहन के प्यार के प्रतीक इस पर्व पर कोरोना भारी पड़ रहा है, क्योंकि इस बार कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते अधिकांश महिलाएं मायके जाने के बजाय मोबाइल फोन पर बात कर अपने को दिलासा दे रही हैं. जिसके कारण महिलाएं राखियों की ज्यादा खरीद नहीं कर रही हैं। बाजार में रेशम, कलावे, रुद्राक्ष, विभिन्न देवी देवताओं व मोतियों आदि की राखियां उपलब्ध हैं।
लेकिन इस बार बाजार से चीन की बनी राखियां गायब हो गई हैं।

चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस संक्रमण से विरोध के चलते देश में चाइनीज समानों पर प्रतिबंध हैं। जिसके चलते रक्षाबंधन पर इस बार चीन की राखियां भी नहीं आई हैं। राखी के विक्रेता मनोज, नरेश आदि ने बताया की अबकी बार रक्षा बंधन के पर्व पर चीन की राखी बाजार में नहीं आई है। बाजार में केवल स्वदेशी राखियों की भरमार है।

राखी बाजार में महिलाओं की भारी भीड़ लगती है। परंतु कोरोना काल के चलते इस बार ग्राहकों का इंतजार करना पड़ रहा है। रिटेल की दुकानों पर गिनी-चुनी महिलाएं राखी खरीदती नजर आ रही है। ज्यादातर महिलाएं 50 से 70 रुपये तक की राखियां खरीद रही हैं।

Rakesh Kumar Agrawal

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