बुखार से बच्ची की मौत 10 बीमार

रायबरेली। लाडलों पर बुखार का कहर बरपने लगा है। जिला अस्पताल में रविवार को बुखार की चपेट में आने से एक बच्ची की मौत हो गई, जबकि 10 बच्चे भर्ती कराए गए। सभी का चिल्ड्रेन वार्ड में इलाज चल रहा है।चिकित्सकों की मानें तो हर दिन बच्चे बुखार से बीमार होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। जिन बच्चों की तबियत अधिक खराब रहती है, उन्हें भर्ती कर लिया जाता है। इसके अलावा अन्य बच्चों का इलाज करके घर जाने दिया जाता है।एक तरफ उमस भरी गर्मी तो दूसरी तरफ वायरल ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। ऐेसे में जरूरत है कि अभिभावक अपने बच्चों की सेहत के लिए फिक्रमंद रहें और खानपान के साथ उनकी देखभाल पर ध्यान दें। 
सितंबर में बुखार से बीमार होने वाले बच्चों की तादाद बढ़ रही है। हरचंदपुर ब्लॉक क्षेत्र के पूरे लखनऊवा मजरे शोभापुर की रहने वाली आयुषी (1) को बुखार से पीड़ित होने पर शनिवार को भर्ती कराया गया था, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। 


इसके अलावा सतांव ब्लॉक क्षेत्र के बरउवा की रहने वाली श्वेता (12), अमावां क्षेत्र के राही की उजैन (सात माह), मालिन का पुरवा के अयाज खान (6), खीरों क्षेत्र के बरहा के अयांश यादव (डेढ़), जगतपुर ब्लॉक क्षेत्र के भिचकौरा के धैर्य (3), लालगंज क्षेत्र के पूरे मेड़ई के अमन (17), अमेठी जिले के जायस के फिरदौस (तीन माह) समेत 10 बच्चों को बुखार से पीड़ित होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एक तरफ बुखार का प्रकोप बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधाएं नाकाफी हैं। 


एक चिकित्सक के भरोसे बच्चों की सेहत 


जिला अस्पताल में एक चिकित्सक के भरोसे बच्चों की सेहत है। यहां पर तैनात रहे बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.एके गौतम का दूसरी जगह तबादला होने के बाद बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.राजेंद्र शर्मा के कंधों पर सारी जिम्मेदारी आ गई है।

मौजूूदा समय में जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में 35 से ज्यादा बच्चे भर्ती हैं। इसमें से ज्यादा बच्चे बुखार से पीड़ित हैं। ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक चिकित्सक के सहारे किस तरह बच्चों का इलाज किया जा रहा होगा। अफसर भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। 


बच्चा वार्ड में हर तरफ बदइंतजामी 


जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में हर तरफ बदइंतजामी दिख रही है। साफ-सफाई रामभरोसे है। ऑक्सीजन रूम में तीमारदार बैठकर भोजन करते हैं। कोरोना को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा है। खास बात ये है कि पंखे इतने धीमे चलते हैं कि उमस भरी गर्मी से बच्चों व उनके अभिभावकों को वार्ड में रहना मुश्किल हो रहा है। समस्या बताने के बाद भी समाधान नहीं हो रहा है। 


अभिभावकों की जेब पर डाला जा रहा डाका 
बच्चों के इलाज के नाम पर अभिभावकों की जेब पर डाका डाला जा रहा है। जिला अस्पताल की इमरजेंसी कक्ष से लेकर बच्चा वार्ड तक महंगी दवाएं बाहर से लिखी जा रही हैं। ऐसा करके अभिभावकों की जेब पर डाका डाला जा रहा है। बच्चों की जिंदगी सलामती के लिए मजबूरन अभिभावकों को बाहर से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही है। तीमारदार दिनेश कुमार, मथुरा प्रसाद ने बताया कि बच्चा वार्ड में इलाज के नाम पर खानापूरी की जा रही है। 


जिला अस्पताल में आने वाले बच्चों का बेहतर इलाज किया जाता है। बच्चा वार्ड में ऑक्सीजन तक की सुविधा उपलब्ध है। बाहर से दवाएं नहीं लिखी जा रही हैं। जिला अस्पताल में दवाएं खुद उपलब्ध हैं। यह सीजनल वायरल है। अभिभावक बच्चों का ख्याल रखें। खानपान पर विशेष ध्यान दें। बच्चों को गर्मी से बचाएं। 
डॉ.एनके श्रीवास्तव, सीएमएस, जिला अस्पताल

 

Note – Word to word courtesy – Amarujala Digital Raebareli

दुर्गेश सिंह चौहान

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