भारतीय संस्कृति और सभ्यता में ऋषियों ने काल को भगवत्स्वरूप माना

7

भारतीय संस्कृति और सभ्यता में ऋषियों ने काल को भगवत्स्वरूप माना:– धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास
सनातन नववर्ष की बहुत-बहुत बधाई बहुत-बहुत मंगलकामनाएं।
    श्रीरामानुजाचार्य दिव्याज्ञा वर्धतामभिवर्धताम॒।
   नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिन मंगलवार अंग्रेजी महीने के दिनांक 9 अप्रैल 2024 को ,
     युधिष्ठिर संवत 5162 कलि संवत युगाब्द 5116 तथा विक्रम संवत 2081, शक संवत 1946 श्री कृष्ण जन्म संवत् 5251 गत कलि संवत 5125 श्री रामानुजाब्द 1007 का शुभारंभ हो रहा है। पिंगल नाम संवत्सर राजा मंगल तथा मंत्री शनि होंगे। मंगलवार को ऩव वर्ष प्रारंभ हो रहा है। मंगल ही मंगल होगा ।आप सभी को बहुत-बहुत बधाई बहुत-बहुत मंगलकामनाएं
       पौष कृष्ण अमावस्या को दुर्योधन की जांघ टूटने से महाभारत युद्ध का अंत हुआ।५८ दिन वाणों की शय्या पर शयन करते हुए विष्णु सहस्रनाम के ऋषि पितामह भीष्म ने माघ शुक्ल अष्टमी को इच्छामृत्यु का आश्रय लेकर भगवान सर्वेश्वर श्रीकृष्ण की स्तुति करते हुए अपने भौतिक शरीर का परित्याग कर दिया तब श्रीकृष्ण के परामर्श से युधिष्ठिर का राज्याभिषेक धूमधाम से हो ऐसा निर्णय और निश्चय हुआ।
        पांडवों के पुरोहित ऋषि धौम्य और कुरुकुल पुरोहित कृपाचार्य ने युग ऋषि भगवान कृष्ण द्वैपायन व्यास जी से अनुष्ठानिक विचार विमर्श किया। उसी समय उन सबने भगवान सर्वेश्वर श्रीकृष्ण का भी आह्वान किया,होलाष्टक फाल्गुनी पूर्णिमा को होलिका दहन के साथ समाप्त हो चुके थे। महाभारत युद्ध की समाप्ति को तीन महीने बीत गए… सम्राट युधिष्ठिर का कुरुवंशियों के सुपूजित राजसिंहासन हस्तिनापुर का पूजन हुआ। इसके बाद भगवान सर्वेश्वर श्रीकृष्ण के आग्रह पर भगवान कृष्ण द्वैपायन व्यास जी ने युधिष्ठिर के राज्यारोहण पर सम्राट युधिष्ठिर के नाम से संवत प्रवर्तन की घोषणा कर दी।इस समय सप्तर्षि मघा नक्षत्र में थे।    
      कश्मीर के इतिहासकार कल्हण ने अपने ग्रंथ राजतरंगिणी में स्पष्ट कहा है “आसन्न मघासु मुनयः शासिता पृथ्वी युधिष्ठिरे नृपतौ”…..
       चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नव संवत्सर का पूजन करके युधिष्ठिर संवत् का प्रवर्तन किया गया। भारतीय संस्कृति और सभ्यता में ऋषियों ने काल को भगवत्स्वरूप मानकर समय का आदर किया है यही वैश्विक सर्वश्रेष्ठ संस्कृति आज तक अपनी पवित्रता बनाए हुए है।
      यह युधिष्ठिर संवत् ५१६1 दिन सोमवार का  अंतिम दिवस था।
   आज से नव संवत्सर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिन मंगलवार को युधिष्ठिर संवत ५१६2 का शुभारंभ होगा।
       श्री कृष्ण जन्म संवत् 5251कलि संवत् युगाब्द ५१२5 तथा विक्रम संवत २०८1 तथा शक संवत १९४6 एवं श्री रामनुजाब्द1007 का शुभारंभ भी होगा।
     यही नववर्ष होगा।नवल प्रकृति का नव श्रृंगार युक्त यह वैश्विक नव संवत्सर नववर्ष है। नववर्ष पर सभी देशवासियों, सनातनी भारतीयों को अनंत अनंत शुभकामनाएं।
    सभी को बधाई नववर्ष युधिष्ठिर संवत् ५१६2 सभी को मंगलमय हो,सब निरोग रहें सभी समृद्धि और खुशहाली, ऐश्वर्य को प्राप्त हों।
    ऐसी दास की सर्वेश्वर प्रभु श्री जगन्नाथ जी से प्रार्थना एवं मंगलकामना है।
    धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास रामानुज आश्रम संत रामानुज मार्ग शिव जी पुरम प्रतापगढ़।
    कृपा पात्र श्री श्री 1008 स्वामी श्री इंदिरा रमणाचार्य पीठाधीश्वर श्री जीयर स्वामी मठ जगन्नाथ पुरी एवं पीठाधीश्वर श्री नैमिषनाथ भगवान अष्टंम भू बैकुंठ नैमिषारण्य।

रिपोर्ट- अवनीश कुमार मिश्रा

Click