मंदिर में नमाज … मजार में भगवा रंग – फिर से उन्माद

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राकेश कुमार अग्रवाल

मथुरा के नंदगांव के नंदबाबा मंदिर में एक मुस्लिम द्वारा नमाज अदा करने की खबर फोटो के साथ आते ही वायरल हो गई . और पूरे प्रदेश में सनसनी फैल गई . एक हरकत के बाद प्रदेश में उसके जबाव में दूसरी हरकत न हो भला ऐसा कैसे हो सकता है ? बागपत के विनयपुर गांव की मस्जिद में हनुमान चालीसा और गायत्री मंत्र पढे जाने की खबरें आईं . इससे एक कदम आगे बढते हुए मोहब्बत की नगरी आगरा में आगरा कालेज के सामने एमजी रोड पर स्थित मजार और बिजलीघर स्थित मजार पर खुराफाती युवकों ने मजारों पर भगवा रंग पोत दिया . जबकि शमसाबाद क्षेत्र की मजार में हनुमान चालीसा का पाठ कर उसका वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया .

इन सभी घटनाओं से साफ होता है कि फिर से समाज की आबोहवा में उन्माद घोलने का काम किया जा रहा है .

कोरोना महामारी के कारण सात माह से जनजीवन बुरी तरह ठहरा हुआ था . अनलाॅक के कारण कोविड प्रोटोकाॅल के चलते पहली बार प्रदेश में सभी धर्मों के धार्मिक समारोह बिना किसी विवाद और शोशेबाजी के साथ सादगी से सम्पन्न हो गए . उन्मादियों और शरारती तत्वों को यही बात नहीं भा रही है कि आखिर समाज में शांति क्यों है ? अनलाॅक के बाद लोगों का कामकाज पटरी पर आया है . एवं समाज के सभी वर्गों के लोग कोरोना के कारण हुए नुकसान की भरपाई करने में जुटे हुए हैं ..

देश में सातवीं सदी में मुस्लिमों का आगमन हुआ तब से मुस्लिम समाज हिंदुस्तान में रचा बसा है . हिंदुओं के बाद देश में सबसे ज्यादा आबादी मुस्लिमों की है . 14 फीसदी से अधिक आबादी वाले इस समाज की हिस्सेदारी को यदि अलग किया जाए तो इंडोनेशिया के बाद दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला मुस्लिम देश बन जाए .

आजादी के बाद देश में लम्बे अरसे तक कांग्रेस ने शासन किया . उस समय समाज के सभी धर्मों और जातियों के लोग कांग्रेस के बैनर तले इकट्ठे थे . आपातकाल के बाद पहली बार देश में विपक्ष संगठित हुआ और इमरजेंसी के दौरान की गई ज्यादितियों व नसबंदी जैसे कार्यक्रम की सफलता के लिए की गई जोर जबरजस्ती के बाद कांग्रेस की बादशाहत को चुनौती मिली थी . तभी से विपक्षी दलों द्वारा मुखर होने के बाद यह तय होने लगा था कि अब कांग्रेस देश के लिए अपरिहार्य नहीं रही है .

बोफोर्स तोप की खरीद में कमीशन के आरोपों में घिरने के बाद मंडल कमीशन की दबी फाईल को निकाल कर उसकी सिफारिशों को लागू करने के फैसले ने देश में आरक्षण के नाम पर इसे जातिवाद की आग में झोंक दिया . तो अयोध्या मामले ने देश में धार्मिक खाई को चौडा करने में मदद दी . राजनीतिक पार्टियों ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए धर्म और जातियों के ध्रुवीकरण का जो पासा फेंका था वह न केवल सटीक बैठा बल्कि ऐसी पार्टियाँ जिन्होंने जातिगत समीकरणों एवं धार्मिक आस्थाओं को भुनाया उन्होंने न केवल सत्ता का स्वाद चखा बल्कि धीरे धीरे कांग्रेस के वोट बैंक को अपने पक्ष में हथिया लिया . यही कारण है कि यूपी में कांग्रेस सत्ता की राजनीति से बाहर हो गयी .

किसान राजनीति के अलम्बरदार रहे चौधरी चरण सिंह की शागिर्दगी में मुलायम सिंह का राजनीतिक उदय हुआ था . वाया लोकदल होते हुए मुलायम सिंह यादव ने यादव एवं अन्य पिछडा वर्ग व मुस्लिमों की जुगलबंदी को सत्ता की सीढी बनाया . तो भाजपा ने कमंडल की राजनीति को मोहरा बनाते हुए साधू संतों का आगे कर अयोध्या आंदोलन को धार दी . लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा ने ध्रुवीकरण को चरम पर पहुंचाया . बिहार में लालू प्रसाद यादव द्वारा रथयात्रा को रोकना और सरकार का पतन होना भाजपा को संजीवनी दे गया . भाजपा पर पहले से ही सवर्णों की पार्टी का टैग लगा था . राम मंदिर के नाम पर पिछडों में भी भाजपा ने सेंध लगा दी थी . उमा भारती , विनय कटियार जैसे हिंदुत्ववादी नेताओं ने ओबीसी वोटों की फसल भी भाजपा के पक्ष में काटी . ब्राह्मण कांग्रेस छोडकर भाजपा के बैनर तले आ जुटा . दूसरी ओर काशीराम , मायावती दलितों को एकजुट करने के मिशन पर काम कर रहे थे . यह मिशन गुपचुप अंदाज में दलितों में राजनीतिक चेतना जगाने में कामयाब रहा . 85 फीसदी की गणित समझाने एवं जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी के नारे ने दलितों को कांग्रेस से विमुख कर दिया . अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाने का इल्जाम झेल रहे मुलायम सिंह यादव अब मुल्ला मुलायम हो गए थे ऐसे में मुस्लिम भी मुलायम के पक्ष में एकजुट हो गया . कांग्रेस अपना वोट बैंक संभाल नहीं पाई . उसका परम्परागत वोट बैंक सपा, बसपा और भाजपा झटक ले गई . साथ ही प्रदेश में जातियों और धर्मों का न केवल बंटवारा हो गया बल्कि यह गंगा जमुनी परम्परा के बजाए वैमनस्यता में तब्दील हो गया . यह खाई इतनी चौडी हो गई है कि यह फासला राजनीति के साथ साथ समाज में भी परिलक्षित होने लगा है . हालात यह हैं कि प्रदेश में शासन को प्रत्येक धार्मिक पर्व के पहले शांति समिति की बैठक कर धर्म के अलम्बरदारों को बुलाकर सौहार्द पूर्ण वातावरण में पर्व मनाने की गुजारिश करनी पडती है. कटुता पूर्ण बयानों ने प्रदेश को बारूद के ढेर पर बिठा दिया है जहां छोटी सी घटना विकराल रूप लेकर कानून व्यवस्था के समक्ष चुनौती बन खडी हो जाती है . अराजक तत्व इन घटनाओं को जान बूझकर अंजाम देते हैं ताकि सरकारें और प्रशासनिक तंत्र इन्हीं घटनाओं से हुए नुकसान की भरपाई में जुटा रहे . इसलिए सबसे बडी जरूरत है कि प्रदेश में खुफिया तंत्र को और पुख्ता बनाया जाए . धार्मिक स्थलों पर आने जाने वालों एवं गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जाए . एवं सबसे बडी बात नौजवानों के हाथों को रोजगार से जोडकर उन्हें खुराफाती बनने से रोका जाए . एवं ऐसे सिरफिरे जो समाज या प्रदेश का माहौल बिगाडने का प्रयास कर रहे हों उनको कडा सबक सिखाया जाए .

Rakesh Kumar Agrawal

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