मां महामाई की 7 दिवसीय पूजा का समापन

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  • हर तीसरे वर्ष इस परंपरा का धूरेमऊ में किया जाता है निर्वहन

  • माँ के दर्शन और पूजन के लिये दूर-दूर से आए लाखों श्रद्धालु

सरेनी, रायबरेली। धूरेमऊ गांव में वर्षों से चली आ रही परंपरा का सोमवार को महामाया मन्दिर में मूर्ति की स्थापना के साथ ही समापन हो गया। गौरतलब है कि इस गांव में हर तीसरे वर्ष इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है।

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी से शुरू हुई यह पूजा जप व तप के साथ समाप्त होते ही आज आनंदी माता मन्दिर में हवन पूजन के साथ शुरू हुई। वहाँ से ग्रामीणों की ओर से माँ की मिट्टी से बनी मूर्ति को आकर्षक ढंग से सजाया गया व आभूषण पहनाये गये।

माली ने मूर्ति को अपने कंधों पर उठाया व उसे लेकर एक किलोमीटर दूर महामाया मन्दिर तक गया।पीछे से श्रद्धालु माँ के जयकारे लगाते हुए गाजे-बाजे के साथ चल रहे थे। यह मूर्ति स्थापना यहाँ हर तीसरे वर्ष की जाती है। मन्दिर परिसर में माँ के दर्शन व पूजन के लिये दूर-दूर से आये लाखों की तादात में श्रद्धालु खड़े थे।

कड़ी धूप व उमस भी उनकी आस्था को डिगाने में नाकाम रही। मन्दिर परिसर में मेले में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये जगह-जगह भण्डारे भी चल रहे थे। कहीं पुलाव व छोला तो कहीं शर्बत पिलाया जा रहा था। कहीं कहीं ठंडा पानी भी पिलाया जा रहा था। मोहित चौरसिया व मुन्ना चौरसिया के भण्डारे में भीड़ दिखी।

मूर्ति स्थापना भी आचार्यों की ओर से पवित्र मंत्रोच्चार के बाद हुई। इसके बाद श्रद्धालुओं ने मन्दिर के अंदर जाकर पूजा अर्चना की व दो वर्ष तक सभी के मंगलमय जीवन की कामना की।

  • संदीप कुमार फिजा
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