रक्षा उपकरण निर्माण से चित्रकूट का है पुराना नाता, महर्षि अगस्त ने सारंग गाँव में श्री राम को दिया था धनुष व वाण

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डिफेंस काॅरीडोर के लिए चयनित हैं झांसी व चित्रकूट

बडे़ लडईया महुबे वाले इनसे हार गई तलवार। देश में जब बुंदेलखंड की बात आती है तो यहां के शौर्य की चर्चा जरूर होती है! दो नाम अपने आप जुबा पर आ जाते हैं एक महोबा व दूसरा झांसी। रानी लक्ष्मी बाई और आल्हा उदल की धरती। लेकिन एक सबसे प्रमुख बात तब छिपती दिखाई देती है कि आखिर भाजपा के थिंक टैंक ने रक्षा उपकरणों के निर्माण के लिए झांसी के साथ चित्रकूट को क्यों चुना। चित्रकूट में रक्षा उपकरणों के निर्माण के बारे में विचार करने के लिए हमें अपने टाइम स्केल को पीछे ले जाना होगा। टाइम स्केल सेट करना होगा श्री राम के जमाने में।

राजकुमार राम चित्रकूट आते हैं अपनी भार्या सीता व भाई लक्ष्मण के साथ। वह यहां पर तत्कालीन ऋषियों से मिलते हैं। ज्ञान और भक्ति की बातें करते हैं, उनका आर्शीवाद लेते हैं। तभी एक घटना महिर्षि सरभंग व सुतीक्षण आश्रम के पास ऐसी घटती है। सरभंग ऋषि के आश्रम से सुतीक्षण ऋषि के आश्रम जाते समय उन्होंने एक अस्थियों का पर्वत दिखाई देता है। साथ में चलने वाले ऋषि कुमार उन्हें बताते हैं कि यह पर्वत संतों व ऋषियों की अस्थियों का है। राक्षस उन्हें मारकर खा जाते हैं और उनकी अस्थियों का ढेर लगाकर उसे पर्वत के रूप में एकत्र कर दिया है। दंडकारण्य की इस सीमा पर ऋषियों व तप करने वालों को यज्ञ आदि की अनुमति नही है। वह यह सुनते ही रघुकुल नंदन अपनी भुजा उठाकर प्रण लेते हैं कि ‘ निशिचर हीन करौं महि‘। श्री राम चरित मानस में वर्णित है कि श्री राम ने सिद्वा पहाड़ पर ऋषि व संतों की अस्थियों के ढेर देखकर प्रण किया वह धरती से राक्षसों की संतति का विनाश कर देंगे। उस समय सीता जी व लक्ष्मण जी उनके साथ थे। अब सवाल उठता है कि कि आखिर इस स्टोरी के पीछे चित्रकूट में स्थापित होने जा रहे रक्षा आयुध उपकरणों की फैक्ट्रियों से क्या संबंध है। संबंध तो है ही और पूरा है। चित्रकूट परिक्षेत्र भले ही तप और वैराग्य से भरा रहा हो। हजारों संत यहां पर आदि काल से तपस्या में रत रहे हों, लेकिन वास्तविकता यह है कि वे संत कोई मामूली नही थे। जहां उनके तप में धर्म और आध्यात्म अपनी पराकाष्ठा तक पहुंचा। वाल्मीकि जी आदि कवि थे तो सुतीक्षण, सरभंग, अगस्त, गौतम, सहित दर्जनों ऐसे ऋषि थे, जिनके पास अग्नेयास्त्र व प्रक्षेपास्त्र का भंडार था। राम को सुदर्शन चक्र व अपना धनुष भी इसी परिक्षेत्र में प्राप्त हुआ। अग्निबाण,खरबाण सहित अन्य आयुध और रक्षा करने के अन्य उपकरण यहां पर प्राप्त हुए। माता सीता को मां अनुसूइया ने अक्षय पात्र के साथ ही कभी मलीन न होने वाले वस्त्र भविष्य की योजना के अनुसार ही प्रदान किए थे। इतना ही नहीं राम जी को महिर्षि अत्रि के पुत्र आत्रेय ने आयुर्वेद का ज्ञान भी प्राप्त कराया था। उनकी चिकित्सा से बेसुध हुई सेना उठकर खडी हो जाती थी।

मंगलवार से लखनऊ में हो रहे डिफेंस एक्पो में विश्व भर से रक्षा उपकरण बनाने वाले कंपनियों में कितनी कंपनियां चित्रकूट में अपना कारखाना लगाने का काम करेंगी, यह तो भविष्य की बात है, पर भाजपा सरकार ने 3000 हेक्टेयर भूमि की व्यवस्था तो उनके लिए कर ही दी है। वैसे गैर सरकारी रिपोर्ट में मुताबिक पूर्व में 36 कंपनियों ने चित्रकूट में अपनी फैक्ट्री लगाने के लिए सहमति जताई थी। फ्रांस, कनाड़ा, बिट्रेन व अमेरिका, जापान जैसे देशों की कंपनियों के यहां पर आने की बात सामने आ रही थी, अब देखना यह होगा कि पांच दिनों के इस आयुध मेले का फल चित्रकूट या बुंदेलखंड को क्या मिलता है। पौराणिक आख्यान वाल्मीकि रामायण में महिर्षि अगस्त द्वारा श्री राम को शस्त्र यौंपने का वर्णन हुछ इस प्रकार मिलता है। इसमें प्रमुख रूप से भगवान विष्णु का धनुष सौंपने की बात कही जाती है।

इदं दिव्यं महच्चापं हेम वजं विभूषितम्।
वैष्णवं पुरूष व्याघ्र निर्मितं विश्वकर्मणा ।।
अनेन धनुषा राम हत्या संख्ये महासुरान।तद्वनुस्तौ च तूर्णा च शरं खडं च मानद्।।

(वारा 3ः12ः32ः35ः36)

अर्थातः- पुरूष सिंह। यह विश्वकर्मा द्वारा निर्मित स्वर्णाकिंत हीरों से सुसज्जित विशालतम भगवान विष्णु का दिव्य धनुष है। इस धनुष के द्वारा संग्राम मेें भयावह असुरों का संहार कर देवताओं की लक्ष्मी लौटा लाओ। मानद! तुम इस धनुष इन दो तूणीरों को बाण व तलवार से विजय के लिए स्वीकार करो। श्री राम को महिर्षि अगस्त द्वारा शारंग धनुष सौंपने के कारण पन्ना जिले में इस गांव का नाम सारंग पड़ गया। वैसे मिथला में भी जिस स्थान पर भगवान राम ने अजगव का खंडन किया था, उस जिले का नाम ही धनुषा है। वैसे वाल्मीकि रामायण के युद्व कांड के 108 श्लोक में साफ तौर पर वर्णित है कि जब भगवान राम को रावण से युद्व करते काफी समय बीत गया तो देवराज इंद्र के सारथी मातुल ने उन्हें स्मरण कराया कि आप इस पर ब्रहृमास्त्र का प्रयोग करें। श्री राम ने उनके वाक्य पर ब्रहमास्त्र का प्रयोग किया और सर्प के समान फुफकारते हुए वाण ने रावण का संहार कर दिया। महिर्षि अगस्त द्वारा दिए गए दो बाणों में एक ब्रहमास्त्र भी था।

संदीप रिछारिया (वरिष्ठ पत्रकार)

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