लक्ष्मी का निवास वहीं, जहां होती है सुमति

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अयोध्या। बीकापुर क्षेत्र के सुकलहिया पातुपुर में हो रही सप्त दिवसीय रसमयी श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन गुरुवार की रात भगवान कृष्ण के अति मधुर और दिव्य महारास का व्याख्यान हुआ। इसके उपरांत उद्धव के ज्ञान की कथा और माता रुक्मिणी के साथ श्री कृष्ण चंद्र के विवाह का व्याख्यान हुआ।

ईश्वर से मिलन की दैहिक आकर्षण की नहीं जरूरत – पंडित ज्ञान चंद्र

कथा व्यास श्री ज्ञान जी महाराज ने बताया कि महारास एक शुद्ध अलौकिक लीला है। इसे समझने के लिए आपको हृदय से शुद्ध होना होगा। इसमें लौकिक प्रेम और काम का अंश मात्र भी नहीं होता। जब जीव माया के आवरण से रहित होकर शुद्ध हो जाता है उस अवस्था में ब्रह्म से अलौकिक श्रृंगारिक विलासितापूर्ण मिलन ही महारास है। इसके लिए दैहिक आकर्षण और भौतिक शृंगार की आवश्यकता नहीं होती।

उद्धव ज्ञान के प्रसंग में व्यास जी ने कहा कि ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सिद्धांत महत्त्वपूर्ण नहीं है अपितु प्रयोग का ज्यादा महत्त्व है। ईश्वर हृदय और प्रेम का विषय है, दिमाग और तर्क का नहीं। देवी रुक्मिणी के माता का नाम सुमति बताते हुए पण्डित ज्ञान जी महाराज ने बताया कि माता लक्ष्मी का निवास वहीं होता है जहां सुमति होती है।

इसी के साथ श्री कृष्ण चंद्र और देवी रुक्मिणी के विवाह का यजमान परिवार द्वारा दिव्य भव्य मनभावन मंचन भी किया गया जिसे देख दर्शक गण भाव विभोर हो उठे।

कथा मे मुख्य यजमान भोलाशंकर शुक्ला और लक्ष्मी शुक्ला के अलावा बीकापुर ब्लॉक प्रमुख दिनेश वर्मा, बीजेपी मण्डल प्रमुख राकेश राणा, अरुण भारती, कपिल दूबे, रमाकांत द्विवेदी, भारत गैस के प्रबंधक रमाकांत शुक्ला, अधिवक्ता नीरज शुक्ला, अधिवक्ता बृजेश तिवारी, अधिवक्ता और पूर्व प्रधान अरविंद पाण्डेय, रज्जन शुक्ला, वरिष्ठ वन अधिकारी सुशील शुक्ला, श्यामधर शुक्ला, राकेश पाठक, बृजभूषण, शिव बहादुर गौड़, अशोक शुक्ला, उमाशंकर, सरला शुक्ला, राघवराम शुक्ला, भरत लाल शुक्ला, डी एस मिश्रा, डा विवेक शुक्ल, शिवनाथ शुक्ला, आदि उपस्थित रहे।

  • मनोज तिवारी
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