वरमाला किसी के गले में और फेरे किसी और के साथ

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रिपोर्ट – राकेश कुमार अग्रवाल

उत्तर प्रदेश के एटा जिले से आई एक खबर ने हर किसी को चौंका दिया . दरअसल खबर ही कुछ ऐसी थी जिसमें एक लडकी की शादी में अलग अलग जगहों से अलग अलग समयान्तराल पर दो बारातें पहुंच गईं . पहली बारात से आए दूल्हे के गले में दुल्हन ने जयमाला डाल दी . कुछ घंटों बाद उसी दुल्हन से शादी करने दूसरी बारात उसके घर तब पहुंची जब फेरों की शुरुआत होने जा रही थी . अंतिम फैसला दुल्हन ने लिया . उसने पहले वाले दूल्हे जिसके गले में वरमाला डाली थी को उम्र में ज्यादा बताते हुए उसके साथ फेरे लेने से इंकार कर दिया और दूसरी बारात लेकर पहुंचे दूसरे दूल्हे के साथ फेरे लेकर उसी के साथ विदा होकर ससुराल चली गई .

दरअसल बीते कुछ वर्षों से एक जुमला सरकारी व गैर सरकारी दोनों सेवाओं में खूब इस्तेमाल हो रहा है कि पहले आओ पहले पाओ . जिसके तहत पहले आने वाले कंडीडेट को पहले वरीयता दी जाएगी . लेकिन एटा में पहले बारात लेकर आने वाला दूल्हा हाथ मलता रह गया और बाद में आने वाला दूल्हा बाजी मार ले गया . शादी न होने से नाराज पहले दूल्हे के परिजनों ने जमकर हंगामा काटा . विवाह स्थल पर पुलिस पहुंची . शादी के नाम पर ठगी करने का आरोप दुल्हन के पिता पर लगा और पुलिस ने दुल्हन के पिता को हिरासत में ले लिया .

दरअसल इस शादी के बहाने भारतीय वैवाहिक परिदृश्य ने एक साथ कई सवाल सतह पर ला दिए हैं जो अंदर ही अंदर खदबदाते रहते हैं . देखा जाए तो भारतीय समाज में विवाह सबसे बडा महोत्सव माना जाता है . यही कारण है कि विवाह एवं शादी समारोहों ने सबसे बडा बाजार खडा कर दिया है . बच्चों की शादी को धूमधाम से करने के नाम पर अधिकांश
माता पिता अपने जीवन की तमाम जमा पूंजी खर्च करने से गुरेज नहीं करते हैं .

वैवाहिक रिश्ते में इस दौर में सबसे ज्यादा विवाद हैं . हालांकि ये विवाद शादी के बाद पैदा होते हैं . बढते तलाक के मामले व पारिवारिक अदालतों में मियां बीबी के झगडों के मामलों में हो रही लगातार वृद्धि चौंकाने वाली है . दूसरी तरफ अविवाहितों की संख्या भी लगातार बढती जा रही है . अविवाहितों को शादी के लिए लडकियों के विवाह प्रस्ताव नहीं आ रहे हैं . स्त्री पुरुष अनुपात पहले से ही गडबडाया हुआ है .
एटा में जो हुआ यह इसी कडी का हिस्सा है जहां एक लडकी से विवाह के लिए दो लडके बारात लेकर कैसे पहुंच गए . लडकी का रिश्ता जहां तय होता है बारात वहीं से आती है फिर एक पिता एक ही तारीख में दो जगह रिश्ता कैसे तय कर सकता है . जो हंगामा और फजीहत हुई वह तो दुल्हन के घर के दरवाजे पर हुई . और दुल्हन का पिता ऐसे मांगलिक अवसर पर क्यों चाहेगा कि उसकी बेटी के विवाह में रंग में भंग हो .
बुंदेलखंड में तो बीते तीन दशक से तमाम अविवाहित गैर भाषा , रहन सहन , खानपान व संस्कार वाले उडीसा , बंगाल , छत्तीसगढ और मध्यप्रदेश से लडकियां खरीद कर ला कर उन्हें पत्नी की तरह रखे हुए हैं या उनसे शादी रचा चुके हैं . अब लडकियां भी शिक्षित हैं और जीवनसाथी चुनने का फैसला भी वे स्वयं ले रही हैं . गर्भ में पल रही बालिका शिशु को मारने की परम्परा का दंश अब नई पीढी भुगत रही है . लडकियां अपने पैरों पर खडी हो रही हैं वे पढ लिखकर जाॅब कर रही हैं वे भी नहीं चाहेंगी कि उनका पति बेरोजगार और निठल्ला हो . वक्त के साथ आ रहे बदलाव की आहट को आप भी सुनिए व समझिए . जिसके चलते लडकी उस दूल्हे के साथ विदा हो जाती है जिसके गले में माला डालकर उसने उसे चुना भी नहीं था .

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