शर्मसार…नहीं मिल रही 2 जून की रोटी, प्रधानों और अधिकारियों का असली सच निकल कर आया सामने

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85 वर्षीय बुजुर्ग महिला राशन जुटाने के लिए भटक रही

डलमऊ/ रायबरेली – ग्रामीण इलाकों का सच निकल कर सामने आ रहा है डलमऊ क्षेत्र के आदिलाबाद की रहने वाली 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला फूला जीवन के चक्र को जीने के लिए गांव- गांव पहुंचकर राशन इकट्ठा करती है और शाम को अपने हाथ से वह खाना बनाती है। डलमऊ क्षेत्र के ग्रामसभा मीरमीरानपुर में राशन इकट्ठा करते हुए दिखाई पड़ी तो हमारे रिपोर्टर ने उनसे उनकी वजह जाननी चाही। उन्होंने बताया की ना तो उनके पास राशन कार्ड है ना ही आधार कार्ड है, ना ही कोई वृद्धावस्था पेंशन, ना ही कोई विधवा पेंशन, ग्राम प्रधान के द्वारा उन्हें किसी भी तरह का लाभ नहीं दिया गया क्योंकि यह सरकारी योजनाएं हैं और जरूरतमंदों के लिए योजनाएं हैं यहां तक कि उन्हें कॉलोनी भी नहीं दी गई। व्यवस्थाओं के हालात कितने पेचीदा हो गए हैं प्रधान अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो गए हैं हर एक जिम्मेदारी राज्य सरकार और अधिकारियों पर डाल देना चाहते हैं और दोष उनको देते हैं जबकि पैसे से तथा जरूरी संसाधनों को लेकर राज्य सरकार और अधिकारी साफ निर्देश दे चुके हैं कि जो भी जरूरतमंद है उन तक खाद्य सामग्री के साथ जरूरत की चीजें तत्काल मुहैया कराई जाए।

दुकानदारों से मांगती रही नमक के पैकेट दुकानदार ने कहा ₹10 का है मायूस होकर लौटी

आलम यह है कि 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला नमक तक के लिए संकट में है गांव की एक दुकान जब वह पहुंची तो उन्होंने नमक का पैकेट मांगा दुकानदार ने कहा कि बड़ा नमक का पैकेट उसके पास है और वह ₹10 का है क्योंकि उनके पास पैसे थे नहीं वह दे नहीं सकती थी इस वजह से वह मायूस होकर दुकान से लौट पड़ी। व्यवस्थाओं के बावजूद भी यदि ग्राम प्रधान और कोटेदार स्थानीय निवासियों और जरूरतमंदों तक मदद नहीं पहुंचा पाएंगे तब क्या होगा? इसका अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं? अब सवाल यह है कि ऐसे में आदिलाबाद ग्राम प्रधान क्या कर रहे हैं जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने के लिए उनके पास क्या कोई रोडमैप तैयार है? आदिलाबाद ग्राम प्रधान को यही नहीं पता है कि उनके क्षेत्र में कौन जरूरतमंद है और कौन नहीं?

रिपोर्ट टुडे पर खबर चलने के बाद डीएम ने मामले का लिया संज्ञान रातो रात वृद्ध महिला के घर पर पहुंचाया गया खाद्य सामग्री

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