शिवगढ़ थानाध्यक्ष राकेश सिंह ने बिछड़े मूक-बधिर बच्चे को पिता से मिलाया

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थानाध्यक्ष ने किया ऐसा सराहनीय कार्य कि हर कोई कर रहा सराहना

 थानाध्यक्ष राकेश सिंह ने पेश की मानवता की मिसाल

रायबरेली। बच्चे भगवान का रुप होते हैं,जो अपने माता-पिता की आंखों के तारे होते हैं। हर किसी का  नैतिक दायित्व है कि यदि कहीं किसी को कोई भूला, बिछड़ा बच्चा मिल जाए तो उसे स्नेह,सम्मान और सुरक्षा दें। अपने इसी नैतिक दायित्व का निर्वहन करते हुए शिवगढ़ थानाध्यक्ष राकेश सिंह ने जो मानवता की मिसाल पेश की है उसकी समूचे जिले में सराहना हो रही है। विदित हो कि बीते सोमवार की देर शाम मय फोर्स के क्षेत्र में गश्त पर निकले शिवगढ़ थानाध्यक्ष राकेश सिंह को असहन जगतपुर के पास भीड़ दिखी तो उन्होंने अपनी गाड़ी रुकवा कर पास जाकर देखा तो करीब 12 वर्ष का एक मूक-बधिर विक्षिप्त बालक जो पूरे कपड़े भी नहीं पहने था, लोग उससे उसका नाम और गांव पूछने की कोशिश कर रहे थे किंतु न ही वह लोगों की बातें सुन पा रहा था और ना ही बोल पा रहा था।

थानाध्यक्ष राकेश सिंह ने लोगों से जानकारी लेने की कोशिश की किंतु बच्चे की पहचान नहीं हो सकी। जिसके बाद थानाध्यक्ष राकेश सिंह ने बच्चे के परिजनों के ना मिलने तक उसकी संपूर्ण जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाने का संकल्प लेकर अपने हाथों से उसके हाथ पैर धुलवाए और उसे अपनी गाड़ी में बिठाकर भवानीगढ़ लेकर आए जहां गुप्ता गारमेंट्स के यहां कपड़े दिलाए और उसे अपने साथ थाने ले जाकर अपने हाथों से खाना खिलाया। इसी के साथ बच्चे को उसके परिजनों से मिलाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया एवं आस-पास के थानों में सूचना देने का कार्य किया। वहीं मंगलवार को बेटे को खोजते हुए ओसाह पहुंचे मैकूलाल को लोगों द्वारा जानकारी मिली की उनका बेटा शिवगढ़ थाने में पुलिस की सुरक्षा में है ये सुनकर शिवगढ़ थाना क्षेत्र के भुइयन खेड़ा मजरे रानीखेड़ा गांव के रहने वाले मैकूलाल ने राहत की सांस ली।

थाने पहुंचे मैकूलाल ने बताया कि सोमवार को वह अपनी पत्नी को प्रसव के लिए अस्पताल लेकर गया था। शाम को घर वापस लौटने पर बेटे चंदन को घर पर न पाकर काफी खोजबीन की किंतु उसका पता नहीं चला मंगलवार की दोपहर ओसाह में बेटे की जानकारी मिली। थाने में एक दूसरे को देखते ही पिता और पुत्र दोनों एक दूसरे से लिपट गए। पिता पुत्र के स्नेह का यह नजारा देखकर सभी भावुक हो उठे। शिवगढ़ थानाध्यक्ष राकेश सिंह ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए मूक, बधिर एवं विक्षिप्त बच्चे को सम्मान एवं सुरक्षा देने एवं उसके परिजनों से मिलाने का जो सराहनीय कार्य किया है उसकी हर ओर सराहना हो रही है।

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