सड़कें बदलेंगी बदहाल बुंदेलखंड की सूरत

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राकेश कुमार अग्रवाल
वह समय दूर नहीं जब बुंदेलखंड के लोग भी कहेंगे कि अब दिल्ली दूर नहीं . बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे , झांसी – खजुराहो फोरलेन एवं झांसी – मिर्जापुर हाइवे के निर्माण के अलावा चित्रकूट भी शीघ्र ही हवाई सेवा से जुडने जा रहा है . बेहतर कनेक्टिविटी के साथ ही बुंदेलखंड में विकास को भी पंख लग सकते हैं .
अच्छी सडकें , आवागमन की बेहतर सेवायें एवं शानदार कनेक्टिविटी विकास के बुनियादी तत्व माने जाते हैं . लेकिन बुंदेलखंड इस बुनियादी पैमाने पर सबसे फिसड्डी था . कुछ नगरों से ट्रेन सेवाओं की उपलब्धता को छोड दिया जाए तो बुंदेलखंड आना और जाना पैसे , समय व शरीर तीनों की बरबादी लगता था . इसलिए जो भी बुंदेलखंड आता था वो कटु अनुभव लेकर जाता था . ऐसा नहीं है कि सडक निर्माण के लिए यहां के लिए पैसा आवंटित नहीं होता था लेकिन ज्यादातर पैसा मानकों को धता बताकर लीपापोती कर हडप लिया जाता था . इसलिए सडकों की सूरत हमेशा बदहाल ही रही .
देर से ही सही झांसी – मिर्जापुर राष्ट्रीय राजमार्ग का काम पूरा होने को है . इस राजमार्ग में पडने वाले गांवों व नगरीय क्षेत्रों में सीसी रोड बनाई जा रही है ताकि वहां पर ऑलवेदर सडक ठीक रहे . इस राजमार्ग का काम अंतिम चरण में चल रहा है .
झांसी – खजुराहो फोरलेन का निर्माण एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है जिसके चार माह में पूरे होने के आसार हैं . लगभग 161 किमी . लम्बे इस मार्ग का तीन चौथाई काम पूरा हो चुका है . सडक मार्ग से यह दूरी तय करने में अभी कम से कम पांच घंटे का समय लगता था . यात्रिओं को हिचकोले खाते हुए झांसी से खजुराहो पहुंचना पडता था जिससे उनका खजुराहो दर्शन का उत्साह रास्ते में ही ठंडा हो जाता था . सडक पर वाहनों की रेलमपेल एवं सडक का पर्याप्त चौडा न होना भी सुचारू आवागमन में सबसे बडी बाधा था . 3600 करोड की लागत से बन रही यह फोरलेन सडक से यूपी – एमपी का जुडाव बेहतर होगा एवं झाँसी से खजुराहो की दूरी अब आसानी से महज दो घंटे में तय की जा सकेगी .
बुंदेलखंड के लिए सबसे बडी सौगात बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का निर्माण है . बुंदेलखंड के चित्रकूट , बांदा , महोबा , हमीरपुर , जालौन से गुजरता हुआ यह एक्सप्रेस की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 29 फरवरी 2020 को चित्रकूट में रखी थी . 15000 करोड की भारी भरकम लागत से बनने जा रहे 296 किमी. लम्बे इस एक्सप्रेस वे में चार रेलवे ओवर ब्रिज , 14 बडे पुल , 268 छोटे पुल , 18 फ्लाई ओवर , 214 अंडरपास , व सात रैम्प प्लाजा बनेंगे . बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे को रिकार्ड 3 साल के अंदर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है .
यूपी – एमपी दो राज्यों में बंटे बुंदेलखंड में परियोजनाओं को गति देना आसान नहीं होता है . क्योंकि दो राज्यों के सीमा विवाद से लेकर आपसी सहमति बनना भी आसान नहीं होता है . विकास के नाम पर बुंदेलखंड में गाहे बगाहे दिए गए पैकेजों ने यहां का कितना भला किया है यह किसी से छिपा नहीं है . इन दोनों राज्यों के बुंदेलखंड क्षेत्र में आवागमन के लिए बेहतर सडकों की कमी हमेशा खलती रही . यूपी के बुंदेलखंड में अभी तक हवाई सेवा की सुविधा किसी भी नगर को आज तक नहीं मिल सकी है . चित्रकूट में 15 साल से अधिक समय से बन रही हवाई पट्टी अभी तक चालू नहीं हो सकी है . मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड के ग्वालियर , खजुराहो में जरूर हवाई सुविधा है लेकिन खजुराहो एयरपोर्ट से कनेक्टिविटी को बढाने के बजाए लगातार कम किया जा रहा है . जब पूरे देश में नए नए एयरपोर्ट खोले जा रहे हैं हवाई सेवा बढाई जा रही है . हवाई यात्रिओं की संख्या में बेतहाशा इजाफा हो रहा है ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक स्थल खजुराहो में फ्लाइट की संख्या लगातार कम की जा रही है जो चिंतन का विषय है .
बीते दो दशकों से बुंदेलखंड को केन्द्र व राज्य सरकारों ने अपने राजनीतिक एजेंडे में शामिल किया . केन्द्र में रही कांग्रेस की सरकार ने बुंदेलखंड पैकेज की बूटी दी . यूपी में मायावती की सरकार में मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी , बाबूसिंह कुशवाहा को मंत्री बनाकर व विशेष ओहदा देने का फायदा बांदा क्षेत्र को मिला . अखिलेश यादव की सपा सरकार ने भी बुंदेलखंड में सूखा राहत पैकेज का वितरण , तालाबों की डीसिल्टिंग जैसे काम कराकर बुंदेलखंड का खैरख्वाह होने का प्रयास किया . ऐसे में योगी सरकार भला कैसे पीछे रहती . उसने बुंदेलखंड से प्रदेश सरकार में तो तगडा प्रतिनिधित्व नहीं दिया लेकिन बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे , डिफेंस काॅरीडोर , हर घर जल हर घर नल , व सिंचाई योजनायें देकर सच्चा हमदर्द बनने की कोशिश जरूर की है .
झांसी – मानिकपुर रेल लाईन का दोहरीकरण व विद्युतीकरण का काम जोरों पर चल रहा है . इस तरह से लगता है कि आजादी के बाद से अभिशप्त रहा बुंदेलखंड अब बदलाव के मुहाने पर है . आवागमन की बेहतर व सुदृढ सुविधा पर्यटन , शिक्षा , रोजगार , उद्योग , कारोबार , निर्माण व हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में विकास की नई संभावनायें लेकर आयेंगे .

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