समय की धारा में कोरोना को दिखाया कमजोर नहीं है हिंदुस्तान

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11 लाख से ज्यादा टेस्ट के बाद 37336 मामलों की पुष्टि

– अभी तक कुल 1218 की मौत जबकि लगभग दस हजार स्वस्थ हुए

संदीप रिछारिया

130 करोड़ हिंदुस्तानियों ने यह बता दिया कि कोई भी महामारी हमारा कुछ नही बिगाड़ सकती। कभी इस देश पर शक, हूण, मुगल व अंग्रेज सरीखी महामारी मानव के रूप में आया करती थी, हमारे अपने लोगों की निजी स्वार्थपरता के कारण वह हमारे उपर राज किया करते थे, पर उस समय भी कुछ ऐसे महापुरूष हुआ करते थे जिन पर वह मानव रूपी महामारियां कुछ नही बिगाड़ पाती थी। शिवाजी महराज, बप्पा रावल, राणा सांगा, राणा प्रताप सहित कितने ही नाम आज भी इतिहास के पन्नों में दबे हैं, जो हमारे गौरवशाली अतीत की याद कभी-कभी दिलाते रहते हैं। अब कोविड 19 रूपी महामारी ने पिछले पांच महीने से विश्व भर के देशों को सकते में डाल रखा है। विश्व की सभी महाशक्तियां और सुविधासम्पन्न देश इससे लगातार जूझ रहे हैं। अमेरिका जैसे देश में 60 हजार मौतें और लगभग 11 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमण इस बात की पुष्टि कर करता है कि वह एक छोटे से बीषाणु जनित रोग के कारण कितने बेबस हैं। मेडिकल सुविधाओं में सबसे उंची पायदान पर रहे स्पेन, इटली, फ्रांस का हाल किसी से छिपा नही है। रूस से लेकर ग्रेट ब्रिटेन तक कोई भी ऐसा देश नही है जिसके नागरिक और राजनेता इस भयानक महामारी की चपेट में न आए हों। आज विश्व के 183 देशों में कोरोना की मौजूदगी के प्रमाण मिल रहे हैं।

बात करते हैं कोरोना की उत्पत्ति और उसके फैलने के कारकों की। बता दें कि कोविड 19 नामक बीमारी से निकलने वाले वायरस सार्स-कोव-2 का पहला मामला मध्य दिसंबर को चीन के बूहान व हुबेई में सामने आए। शुरू में चीन ने अपनी आदत के अनुसार इसे छिपाने का प्रयास किया पर इस महामारी ने बुहान शहर को अपने कब्जे में लेकर लाखों लोगों को अपने आगोश में ले लिया। लोग लगातार इससे मरने लगे। चीन सूचनाओं को छिपाता रहा और उसके बीमार लोग देश से बाहर जाते रहे। भारत में कोरोना ने केरल राज्य में पहली दस्तक 30 जनवरी को दी। पहले इस मामले के खुलासा सही रूप में नही हो सका। वैसे यूपी में पहले मामले का खुलासा 28 जनवरी को महराजगंज जिले के लक्ष्मीपुर गांव में चीन से वापस आए मेडिकल के छात्र के रूप में हुआ।

स्थानीय तौर पर इसका इलाज किया जाता रहा, पर जब विश्व के अधिकांश देश इस महामारी से जूझते दिखाई दिए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं सामने आए। 21 मार्च को जनता से आग्रह कर जनता कर्फयू लगवाने के बाद 24 मार्च से देश भर में लाॅकडाउन की घोषणा कर दी। इस दौरान प्रधानमंत्री का साथ लगातार देश के लोगों ने दिया। आज देश में लगभग 11 लाख से ज्यादा टेस्ट होने के बाद कुल 37336 लोगों की कोरोना से पीड़ित होने की पुष्टि हो हुई है। इतना ही नहीं लगभग दस हजार लोग कोरोना के चंगुल से निकलकर बाहर भी आ चुके हैं। अभी तक 1218 लोग ही मौत के मुंह में पहुंचे हैं। क्या यह आंकड़े कुछ अलग कहानी नही कहते, क्या आपको लगता नही कि विश्व समुदाय के सामने जिस भारत की तस्वीर लिबरल और तथाकथित समाजसेवी प्रस्तुत करते हैं, यह उससे अलग नही है। अमेरिका, स्पेन, इटली और फ्रांस जैसे देशों में मौत के आंकड़ों के साथ बीमारों के आंकड़ों पर गौर करें तो खाली अमेरिका में 60 हजार मौतें अपनी बेबसी की कहानी खुद बता देती है। अब भारत में प्रधानमंत्री के थाली व शंख बजाने को लेकर लोगों की की गई टिप्पणियों पर गौर न करें तो इस महामारी के वक्त अमेरिका को भी हिंदुस्तान में बनाई जाने वाली क्लोरो कुल की दवा की जरूरत पड़ गई। मास्क, सेनेटाइजर व पीपी किट की बात करें तो शुरूआती दौर पर उहापोह की स्थिति से निकलकर घरों में ही मास्क व सेनेटाइजर का उत्पादन किया जाने लगा। पीपी किट तो कई प्राइवेट संस्थाओं व अस्पतालों ने खुद ही तैयार कर ली।

हिंदुस्तानियों को कमजोर कहने वाले लिबरल, फासीवादियों के लिए आरएसएस भी एक बड़ा उदाहरण है जिसने पूरे देश में पिछले डेढ महीने से ज्यादा समय से सेवा का कार्य चला रखा है। इस दौरान तालबानी सोच वाले निजामुुदृदीन वाले तब्लीगी मरकज की नियत भी साफ दिखाई दी कि वह कितने हिंदुस्तानी है। भले ही वह अभी छिपकर अपने आपको पाक साफ बताने का प्रयास कर रहा हो पर वह दिन दूर नही जब देश के कानून के हिसाब से उसे सजा मिलेगी। अब सबसे बड़ा सवाल उनके लिए है जो पैर उठाकर अपने आपको बड़ा साबित करने का प्रयास कर भारत की संस्कृति व सभ्यता का मजाक उड़ा खुद को अंग्रेजों की काली औलादों के रूप में प्रस्तुत करते हैं। आज वह चेहरे खुद को कोरेंटाइन कर रहे हैं और देवदूत के रूप् में सड़कों पर व अस्पतालों में बैठकर हमारे वही प्रशासनिक व पुलिस के अधिकारियों के साथ डाॅक्टर भगवान बने हैं। सबसे बड़े कोरोना वारियर की बात करें तो इस समय टाॅप पर अन्नदाता है, लोग ब्रांड का नाम ही भूल चुके हैं। उन्हें केवल दूध, सब्जी व फल के अलावा बिना ब्रांड के किराने व गेंहू चावल की जरूरत समझ में आती है। सबसे बड़ी तो पुलिस को लेकर है, जिस पुलिस पर तमाम आरोप आम लोग लगाया करते थे, आज उसी पुलिस के जवान लोगों को जीवन देने के लिए मास्क न लगाने या बिना वजह घर से बाहर निकलने पर टोंक व दंड़ित कर रहे हैं। इतना ही नही वह लोग आरोग्यसेतु को भी स्मार्टफोन पर डाउनलोड करने के लिए लोगों से आग्रह कर रहे हैं। जिन इलाकों को हाटस्पाट में तब्दील किया गया हे, वहां पर लोगों को खाना व दवाई देने का काम भी पुलिस के जवान ही कर रहे हैं।

दो हफते के लिए बढ़ाया गया लाॅकडाउन हमारी अच्दी सेहत के लिए है। इसलिए प्रधासन की दी हुई एडवाइजरी को मानिया। घर में रहिए सुरक्षित रहिये। किसी भी प्रकार की शंका होने पर शर्म मत करिए फोन उठाईये और सीधे बता दीजिए।

( नोट- सभी आंकडे़ कल शाम के हैं। यह एम्स की आधिकारिक बेवसाइट से लिए गए हैं। )

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