नहीं होता भूख और प्यास का एहसास- इल्मा खातून
महोबा , शहर शुक्लाना मोहल्ला निवासी सत साल की इल्मा खातून का कहना है कि रमजान शरीफ का महीना शुरू हो गया है तो मेरे मन में रोजा रखने की ख्वाहिश होने लगी तो मैंने अपनी दादी से इजाजत मांगी और मैंने उनकी इजाजत से पहला रोजा रख लिया अल्लाह पाक रोजदादरों की दुआ कबूल करता है रोजा रखने पर जब भूख प्यास का एहसास हुआ तो घर वालों के साथ और पड़ोसियों के साथ तिलावत करने बैठ जाते थे और पांच वक्त की नमाज के साथ अल्लाह से दुआ करते रहे जिस कारण रोजा का एहसास ही नहीं हुआ और मैंने अल्लाह से दुआ की और मगरिब के वक्त रोजा अफतार और नमाज अदा की।
रिपोर्ट- राकेश कुमार अग्रवाल
सात साल की इल्मा खातून ने रखा रोजा
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