सुनील गावस्कर होने का मतलब

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राकेश कुमार अग्रवाल
आज से ठीक 50 साल पहले 1971 में नाटे कद के एक बल्लेबाज ने भारतीय टेस्ट टीम में पदार्पण किया था . वेस्टइंडीज के लम्बे कद के खिलाडियों के सामने यह बल्लेबाज का कद बहुत छोटा था . उस समय वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज खौफनाक गेंदबाजी के लिए जाने थे . विकेट पर टिकना और टिककर रन बनाना औसत बल्लेबाज के लिए आसान नहीं होता था . लेकिन 22 वर्षीय नाटे कद के इस बल्लेबाज ने अपने पदार्पण पोर्ट ऑफ स्पेन टेस्ट की पहली पारी में 65 और दूसरी पारी में नाबाद 67 बनाकर अपने बल्लेबाजी कौशल का जो जलवा बिखेरा वह पूरी सीरीज में नजर आया . जी हाँ ! मैं बात कर रहा हूं सुनील मनोहर गावस्कर की . जिन्होंने चार शतक और तीन अर्धशतकों की मदद से चार टेस्ट मैचों की सीरीज में 774 रन बनाकर जो रिकार्ड कायम किया वह 50 साल बाद भी बरकरार है .
नई पीढी भले सचिन और विराट कोहली की दीवानी हो लेकिन देश में क्रिकेट को लोकप्रियता के इस मुकाम तक लाने में जिन खिलाडियों का योगदान रहा है उनमें एक सबसे अग्रणी नाम है सुनील गावस्कर का . सचिन इतने बडे खिलाडी बने , उन्होंने रिकार्ड दर रिकार्ड बनाए उनकी इस सफलता के पीछे सुनील गावस्कर की वह विरासत , रिकार्ड और वे आँकडे थे जो क्रिकेट की दुनिया में वे छोडकर गए थे . चाहे सर्वाधिक टेस्ट रनों का रिकार्ड हो या सर्वाधिक टेस्ट शतकों का रिकार्ड , तीन बार टेस्ट की दोनों पारियों में शतक जमाना हो या फिर टेस्ट क्रिकेट में सबसे पहले पांच अंकों यानी 10000 रन बनाने का रिकार्ड , टेस्ट क्रिकेट में सबसे पहले 30 शतक लगाना हो या फिर चार बार एक क्रिकेट वर्ष के अंदर 1000 से अधिक रन बनाने जैसे तमाम रिकार्ड इस लिटिल मास्टर के नाम रहे . सैकडों खिलाडी आए , क्रिकेट खेली , रिकार्ड बनाए और परिदृश्य से ओझल हो गए . लेकिन 50 साल बाद भी क्रिकेट की दुनिया का कोई जगमगाता सितारा है तो निर्विवाद रूप से वह है सुनील गावस्कर . जो क्रिकेट को रोजाना बिछाते हैं , रोजाना ओढते हैं , रोजाना सहेजते हैं , रोजाना समेटते हैं और रोजाना जीते हैं . देश और दुनिया का कोई भी मैदान हो या क्रिकेट की कोई वर्ल्ड सीरीज गावस्कर का मौजूद होना लाजिमी है .
मछुआरे होते गावस्कर


10 जुलाई 1949 को मुम्बई में जन्मे सुनील गावस्कर का जिस हास्पिटल में जन्म हुआ था . नहलाने के बाद धोखे से नर्स ने उन्हें एक मछुआरे की पत्नी के पास लिटा दिया था . वो तो उनके नन काका नारायण मासुरकर जो तीक्ष्ण नजर वाले व्यक्ति थे . उन्होंने सुनील को गोद में लेने के बाद कान के पास एक बर्थ मार्क देख लिया था . हास्पिटल से डिस्चार्ज के पहले जब नन काका ने सुनील को गोद लिया तब कान के पास से बर्थ मार्क गायब था . अन्य बच्चों को जब चैक किया गया था तो मछुआरे की पत्नी के पास सुनील लेटे मिले . सुनील गावस्कर ने अपनी एक किताब में इस वाकये का हवाला देते हुए लिखा है कि यदि नन काका ने बर्थ मार्क को नोटिस न किया होता तो शायद क्रिकेटर के बजाए मैं मछुआरा होता .
16 साल के कैरियर में बनाए तमाम कीर्तिमान


6 मार्च 1971 को वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे पोर्ट ऑफ स्पेन टेस्ट से टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने वाले सुनील गावस्कर ने अपना आखिरी टेस्ट मैच पाकिस्तान के विरुद्ध 13 मार्च 1987 को खेला . 16 साल के अपने क्रिकेट कैरियर में भले सुनील को शानदार कप्तान का तमगा न मिला हो लेकिन भारत के वे सबसे विश्वसनीय ओपनर ( सलामी ) बल्लेबाज रहे हैं . 125 टेस्ट मैचों में 10122 रन बनाने वाले सुनील गावस्कर ने 34 शतक एवं 45 अर्धशतक लगाए . उन्होंने कैच पकडने की भी सेंचुरी लगाई थी . सुनील गावस्कर ने 108 एक दिवसीय मैचों में 3092 रन बनाए . वन डे मैच में भी उन्होंने एक शतक लगाया था . पद्म श्री , पद्म भूषण , अर्जुन पुरस्कार , विजडन अवार्ड , कर्नल सी के नायडू लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड फाॅर क्रिकेट इन इंडिया जैसे तमाम पुरस्कारों से नवाजे गए सुनील गावस्कर लेखक भी हैं . वे अब तक चार किताबें लिख चुके हैं . एवं तमाम समाचार पत्रों में वे नियमित रूप से काॅलम लिखते हैं .
ऑटोग्राफ देते देते दिल दे बैठे


सुनील गावस्कर का उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से बडा करीब का नाता है . सुनील गावस्कर की ससुराल कानपुर में है . यहां की मार्शनील मल्होत्रा के पिता चमडा कारोबारी रहे हैं .मार्शनील जब स्टूडेंट थी . ग्रीनपार्क स्टेडियम में मैच देखने गई थी . ऑटोग्राफ देते समय जब सनी ने मार्शनील को देखा तो उस पर मोहित हो गए . उसको पाने के लिए उसके घर के चक्कर काटे . पूरे परिवार को होटल में खाने पर बुला डाला और मार्शनील के परिजनों के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रख डाला था . जिसे मार्शनील के परिजनों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया . 13 सितम्बर 1974 को सुनील और मार्शनील वैवाहिक बंधन में बंध गए .
सुनील गावस्कर की 72 वर्ष की आयु में भी सक्रियता काबिलेतारीफ है . वे टीवी कमेंटेटर हैं . प्रजेंटर हैं . क्रिकेट एक्सपर्ट हैं . अहमदाबाद में तीसरे टेस्ट मैच के दौरान जब वे टीवी के लिए लाइव थे तब दर्शकों के उत्साह से उत्साहित होकर होकर उन्होंने स्टेडियम में डांस करना शुरु कर दिया था . उन्होंने एक नहीं मेेरे सामने कम से कम तीन बार कमर में हाथ रख कर डांस किया . गावस्कर ने अपनी पूरी जिंदगी क्रिकेट को समर्पित कर दी . आज जब सचिन तेंदुलकर , विवियन रिचर्ड्स , ब्रायन लारा , जावेद मियांदाद , जैसे तमाम दिग्गजों का खेल प्रशंसकों को कोई पता नहीं है ऐसे में भी सुनील गावस्कर अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए हैं . गावस्कर को क्रिकेट का आभूषण गलत थोडी कहा गया है .

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