हेनरी फोर्ड – जिसने बदल डाला दुनिया का वर्क कल्चर

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राकेश कुमार अग्रवाल

यूं तो दुनिया में अधिकतर लोग बने बनाए ढर्रे पर चलते हैं . आप दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि ऐसे लोग लकीर के फकीर होते हैं .लेकिन चंद ऐसे भी होते हैं जो लकीर खींचते हैं और दूसरों को उस लकीर पर चलने को विवश कर देते हैं. जी हां ! आज मैं बात कर रहा हूं ऐसे ही शख्स की जिसने आज से ठीक 94 वर्ष पूर्व दुनिया में पहली बार 1926 में एक नई कार्य संस्कृति का सूत्रपात किया था . उस शख्सियत का नाम है हैनरी फोर्ड .

हैनरी फोर्ड ने 25 सितम्बर 1926 को कामगारों के लिए आठ घंटे पाँच दिन अर्थात हफ्ते में 40 घंटे काम के माॅडल को पेश किया था . यह फार्मूला आज भी पूरी दुनिया का कारपोरेट सेक्टर अपना रहा है . भारत में केन्द्र सरकार के दफ्तरों में यही टाइम स्लाॅट लागू है . जिसे फाइव डेज ए वीक के नाम से जाना जाता है.

बचपन में जन्मदिन के उपहार के रूप में पिता द्वारा दी गई घडी का पुर्जा पुर्जा निकालकर उसकी कार्यप्रणाली समझने वाले हेनरी ने न केवल सभी पुर्जों को वापस यथास्थान लगाकर घडी को चालू कर दिया था बल्कि महज 15 वर्ष की उम्र में उनकी ख्याति घडी के इंजीनियर के रूप में फैल गई थी .

15 वर्ष की उम्र में ही स्कूली शिक्षा छोडकर हेनरी मशीनों की दुनिया में उलझ गए . 1879 से लेकर 1896 तक हेनरी ने जहाज से लेकर कृषि यंत्रों एवं बिजली से जुडे उपकरणों पर जमकर काम किया . लेकिन अपने निजी प्रोजेक्ट को उन्होंने नहीं छोडा . 4 जून 1896 को वो दिन भी आया जब हेनरी साईकिल के चार पहियों से चलने वाली स्वचालित गाडी क्वाड्रीसाईकिल का आविष्कार करने में सफल हुए . हेनरी के जुनून को आप इस तथ्य से समझने का प्रयास करिए कि जिस वर्कशाप में उन्होंने क्वाड्रीसाईकिल तैयार की थी उसका दरवाजा इतना छोटा था कि क्वाड्रीसाईकिल को बाहर निकालने के लिए एक दीवार तोडनी पडी थी .

30 नवम्बर 1901 को हेनरी ने अपने कुछ दोस्तों एवं पुरानी कंपनियों के लोगों के साथ मिलकर द फोर्ड कंपनी का गठन किया .

हेनरी फोर्ड की विकास यात्रा को आप कुछ यूं समझ सकते हैं कि 1932 में दुनिया में बिकने वाली एक तिहाई कारें फोर्ड कंपनी की थीं . मतलब हर तीसरी कार फोर्ड कंपनी की थी .

हेनरी की कार्यशाली बडी ही अनूठी थी . 1905 में 300 मजदूर मिलकर रोजाना 25 कारें बनाते थे . 1913 में हेनरी ने पूरी कहानी ही बदल दी . उन्होंने पहली बार कार निर्माण के लिए मूविंग आटोमोबाइल असेम्बली लाइन का प्रयोग कर तहलका मचा दिया था . पहले एक कार को बनने में 15 घंटे तक लगते थे लेकिन असेम्बली लाईन के बाद यह समय घटकर महज दो घंटे आ गया था . उनकी कार का माडल टी तो मध्यवर्ग में जबरजस्त लोकप्रिय हुआ था . 80 साल पहले उनकी फैक्टरी में 40000 से अधिक कामगार कार उत्पादन में लगे हुए थे . वे उस समय कामगार को पांच डालर प्रतिदिन भुगतान किया करते थे . क्योंकि हेनरी का मानना था कि अपने कामगार की क्रयशक्ति इतनी बढाओ कि वह स्वयं अपने वेतन से खरीद कर कार का मालिक बन सके . इससे कंपनी की बिक्री और उत्पादन भी बढेगा .

किताबी पढाई छोड एक नई इबारत लिखने वाले हेनरी फोर्ड मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग दोनों के लिए आज भी शोध का विषय बने हुए हैं . हम आपको समझने की जरूरत है कि खुले दिमाग से आप दुनिया को नया आइडिया दे सकते हैं और ऐसा ही एक आईडिया हम सब की दुनिया बदल सकता है .

Rakesh Kumar Agrawal

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