रिपोर्ट- अवनीश कुमार मिश्रा
डॉ. अवंतिका
दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 31 मई को नो टोबैको डे यानि विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन तंबाकू या इसके उत्पादों के उपभोग पर रोक लगाने या इस्तेमाल को कम करने के लिए लोगों को जागरुक किया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों को तंबाकू से होने वाले स्वस्थ्य नुकसान के विषय में सचेत करना है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में तंबाकू की वजह से दुनिया भर में हर साल 70 -80लाख से ज्यादा मौतें हो रही हैं।हर साल विश्व तंबाकू निषेध दिवस एक थीम के अनुसार मनाया जाता है। गत वर्ष तंबाकू निषेध दिवस 2020 का थीम ”युवाओं को इंडस्ट्री के बहकावे से बचाते हुए, उन्हें तंबाकू और निकोटीन का उपयोग करने से रोकना है।” रखी गई थी उसी प्रकार इस वर्ष भी इस बात को ध्यान में रखते हुए विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा वर्ल्ड नो टोबैको डे 2021की थीम “विजेता बनने के लिए तंबाकू छोड़ो”रखी गई है।ये बहुत जरुरी है कि वैश्विक स्तर पर तंबाकू सेवन के प्रयोग पर बैन या इसे रोका जाये क्योंकि ये कई सारी बीमारियों का कारण बनता है जैसे दीर्घकालिक अवरोधक फेफड़ों संबंधी बीमारी (सीओपीडी), फेफड़े का कैंसर, हृदय घात, स्ट्रोक, स्थायी दिल की बीमारी, वातस्फीति, विभिन्न प्रकार के कैंसर आदि।इसलिये तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल पर भी रोक लगाने के लिये तंबाकू निषेध बहुत जरूरी है। आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के द्वारा 1987 में इस दिन को प्रभाव में लाया गया था,
साल 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तंबाकू के सेवन से होने वाले रोगों की वजह से मृत्युदर में वृद्धि को देखते हुए इसे एक महामारी माना। इसके बाद पहली बार 7 अप्रैल 1988 को WHO की वर्षगांठ पर मनाया गया और जिसके बाद हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
तंबाकू से होने वाली बीमारियों में ना केवल कैंसर-फेफड़ों और मुंह का कैंसर होना,फेफड़ो का खराब होना शामिल है बल्कि दिल की बीमारी,आंखों से कम दिखना,मुंह से दुर्गंध आना तथा मुख एवं दंत संबंधित जनित रोग भी उत्पन्न होते हैं।धूम्रपान का प्रयोग न केवल धूम्रपान करने वाले को बल्कि उसके आसपास रहने वाले लोगों को विशेषकर बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा हानिकारक होता है पैसिव या रिवर्स स्मोकिंग भी धूम्रपान करने के बराबर ही हानिकारक होती है, बच्चे व्यस्कों से ज्यादा तेज गति से सांस लेते हैं इसलिए उनके फेफड़ों में व्यस्कों के मुकाबले अधिक धुआं जाता है। जिन घरों में सिगरेट या बीड़ी का धुआं रह-रहकर उठता है उन घरों के बच्चे तंबाकू के धुएं में ही सांस लेते हुए बड़े होते हैं इसी प्रकार गर्भवती महिलाओं मे धूम्रपान के कारण जन्म लेने वाले शिशु का वजन अन्य शिशुओं की तुलना में बहुत कम होता है। धूम्रपान या तंबाकू जैसी बुरी आदत को छोड़ने के लिए लॉक डाउन सबसे अच्छा मौका है सिगरेट, सिगार ,बीड़ी, चिलम या हुक्का पीने वालों मे कमजोर फेफड़े होने के कारण कोविड-19 का खतरा भी ज्यादा बना रहता है तंबाकू चबाने पर खतरा दोगुना हो जाता है क्योंकि पहले तो हाथों से इंफेक्शन मुंह तक पहुंच सकता है और थूकने पर दूसरों तक भी आप वायरस को पहुंचा सकते हैं। तंबाकू से कमजोर हुए फेफड़े कोरोना वायरस के संक्रमण का दायरा बढ़ाते हैं। आपको बता दे तंबाकू को किसी भी रूप में लेने पर उसका सीधा असर फेफड़े के कार्य करने की क्षमता पर पड़ता है और सांस लेने से जुड़ी बीमारियां बढ़ती है संक्रमण होने पर कोरोना सबसे पहले फेफड़े पर अटैक करता है इसलिए इसका मजबूत होना बेहद जरूरी है वायरस फेफड़े की कार्य क्षमता को घटाता है अब तक के रिसर्च के मुताबिक धूम्रपान करने वाले लोगों में वायरस का संक्रमण ज्यादा देखा गया है तंबाकू चबाने के दौरान मुंह में अतिरिक्त लार बनती है ऐसे में जब इंसान थूकता है तो संक्रमण दूसरों तक पहुंच सकता है इतना ही नहीं इससे मुंह जीभ और और जबड़े का कैंसर भी हो सकता है। तंबाकू छोड़ने के लिए कम से कम 41 दिन का समय चाहिए होता है अगर 3 महीने तक कोई तंबाकू नहीं लेता या स्मोकिंग नहीं करता तो इसको फिर से शुरू करने की आशंका बहुत कम रह जाती है इस समय आप लाँक डाउन के दौर से गुजर रहे हैं तो इस एडिक्शन से पीछा छुड़ाने का यह बहुत ही उत्तम समय है विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इसे छोड़ने के 20 मिनट के अंदर ही बढ़ी हुई हृदय की धड़कन और ब्लड प्रेशर सामान्य होने लगता है 12 मिनट बाद शरीर के रक्त में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर घटने लगता है 2 से 12 हफ्तों में फेफड़ों के काम करने के हालत में सुधार होता है तथा 1 से 9 माह के अंदर खांसी और सांस लेने में होने वाली तकलीफ काफी कम हो जाती है ।तंबाकू से दुनिया भर में हर साल 80 लाख से अधिक लोगों की मौतें हो रही है इसमें 70 लाख मौत सीधे तौर पर तंबाकू लेने वालों की होती है तथा अन्य 10 से 12 लाख लोग ऐसे होते हैं जो धूम्रपान करने वालों के आसपास होने की वजह से प्रभावित होते हैं। कुछ ऐसे तरीके हैं जिनका अनुसरण कर आप धूम्रपान की लत को छुड़ा सकते हैं,तंबाकू की लत से बचने के लिए व्यस्त रहना बेहद जरूरी है इसलिए आप अपने दिन की शुरुआत नाश्ते, कसरत, ध्यान और काम से शुरू करें।धूम्रपान छोड़ने का प्रयास करते वक्त अक्सर मुंह में कुछ चबाते रहने की इच्छा होती है ऐसे में आप एक कटोरी सलाद अपने पास रख सकते हैं धूम्रपान करने की इच्छा से बचने के लिए आप च्युइंगम भी खा सकते हैं साथ ही इलायची या सौंफ चबाने से भी धूम्रपान करने की इच्छा से लड़ने में सहायता मिलती है।अगर आप भी धूम्रपान की आदत छोड़ना चाहते हैं तो ऐसे में शहद का भी इस्तेमाल आप कर सकेत हैं इसमें विटामिन, एंजाइम और प्रोटीन होते हैं, जो स्मोकिंग छोड़ने में आपकी मदद कर सकते हैं।अगर आप अजवाइन को मुंह में रखते हैं तो ऐसे में आपको इसकी आदत धीरे-धीरे छूट जाएगी , तंबाकू या धूम्रपान के नियमित सेवन से शरीर में निकोटीन जैसे विषैले यौगिकों का जमाव होता है,विटामिन सी से भरपूर फल खाना शुरू करें. संतरा, नीबू, आवंला और अमरुद और सेब आदि खाने आपको तंबाकू की आदत से छुटकारा मिल सकता है। जैसा कि हम सभी समझ ही गए हैं कि तंबाकू का प्रयोग फेफड़ों को कमजोर करता है तथा शरीर में इम्यूनिटी के स्तर को कम करता है और इस पर अगर आप नियमित रूप से ठीक से मुंह की सफाई नहीं कर रहे हैं तो ब्लैक फंगस के होने का खतरा अधिक है ब्लैक फंगस के प्रमुख लक्षण मुंह में भी दिखाई देते हैं जैसे कि तालु तथा जीभ पर काले धब्बे होना ऊपर के दांतो का कमजोर हो जाना, एक तरफ एक तरफ के चेहरे में सूजन सर्दी जुकाम हो जाना सिर दर्द रहना, ऊपर के जबड़े की हड्डी में गलन होना तथा दांत का हिलने लगना यह सब सम्मिलित है। इसलिए आइए हम सभी इस महामारी से लड़ने के लिए आज तंबाकू को पूरी तरह से छोड़ने का प्रण लेते हैं तभी कोरोनावायरस हारेगा और देश जीतेगा।
तंबाकू प्रयोग करने वालों को है कोविड-19 और ब्लैक फंगस का अधिक खतरा
1.9K views
Click