बिना नंबर के दौड़ाए जा रहे ऑटो

शहर क्षेत्र में एक हजार ऑटो संचालित किए जा रहे हैं। वाहन चलाने के लिए परमिट होना चाहिए। साथ ही चालक का लाइसेंस होना चाहिए। मानकों का पूरा ध्यान दिया जाता है। लापरवाही पर इसी माह 15 ऑटो चालकों पर कार्रवाई की गई। बिना नंबर के वाहन चलाने वालों पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।- संदीप जायसवाल, एआरटीओ प्रवर्तन शहर में ऑटो चलाने वाले युवकों पर निगरानी की जाती है। साथ ही उनके बारे में समय-समय पर पड़ताल की जाती है। चेकिंग के दौरान बिना मानक के ऑटो चलाते मिलने पर कार्रवाई भी की जाती है।- अतुल सिंह, सदर कोतवाल बिना मानक के ऑटो चलाने वाले चालकों पर कार्रवाई की जाती है। हर माह ऑटो चालकों का चालान काटा जाता है। साथ ही चालकों को सख्त हिदायत दी जाती है कि वह नियमों का पूरा करने के बाद ही ऑटो चलाएं।- प्रशांत सिंह भदौरिया, ट्रैफिक इंचार्ज

रायबरेली। अमेठी की रहने वाली दिव्यांग युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद शहर में ऑटो से सफर करने वाली आधी आबादी की सुरक्षा पर फिर सवाल उठ खड़ा हुआ है।वजह बिना नंबर के ही अधिकतर ऑटो शहर में दौड़ाए जा रहे हैं। खास बात ये भी है कि अप्रशिक्षित युवक ही ऑटो चला रहे हैं। इसमें से ऐसे कुछ लोग हैं, जो नाबालिग हैं।
बावजूद इनके हाथों में ऑटो चलाने की जिम्मेदारी दे दी गई है। साथ ही चालकों के पास लाइसेंस है या नहीं, इसकी पड़ताल तक नहीं की जा रही है। इसी का फायदा उठाकर यह महिलाओं को जाल में फंसाकर उनके साथ वारदात अंजाम दे रहे हैं।

लोगों का कहना है कि परिवहन विभाग के अधिकारियों और पुलिस महकमे के अफसरों को अभियान चलाकर बिना नियम के वाहनों को चलाने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।शहर क्षेत्र में बुधवार रात जिस तरह दिव्यांग के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात हुई, उसने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सोचने पर विवश कर दिया है।

वैसे तो सामूहिक दुष्कर्म की वारदातें पहले भी हुई हैं, लेकिन बुधवार रात जिस तरह की वारदात हुई, उस तरह की शायद पहले कभी नहीं हुई। शर्मसार करने वाली वारदात के बाद गुरुवार को ‘अमर उजाला’ ने शहर में पड़ताल की तो डिग्री कॉलेज चौैराहे, सिविल लाइंस, सुपर मार्केट, जिला अस्पताल चौराहा, घंटाघर चौराहे, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन समेत अन्य स्थानों पर ऐसे ऑटो फर्राटा भरते नजर आए, जिनमें नंबर नहीं लिखा था।

अप्रशिक्षित युवक गाड़ी चला रहा थे। चौराहों पर यह कोई देखने वाला नहीं था, जो इनके लाइसेंस को चेक करने की जहमत उठा सके। बताते हैं कि अधिकतर लोग ऐसे हैं, जिनके पास लाइसेंस नहीं है। बावजूद गाड़ी चला रहे हैं। खास बात ये है कि शहर के अंदर नाबालिग बच्चे गाड़ी चला रहे हैं। यही लापरवाही महिलाओं की सुरक्षा के लिए अब खतरे का सबब बनी है। एक समय था कि शहर में मुसाफिरों को बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन समेत अन्य स्थानों पर छोड़ने के लिए रिक्शे थे, लेकिन इनकी जगह अब ऑटो ने ले ली है। परिवहन विभाग के अधिकारियों की मानें तो इस समय शहर के अंदर एक हजार ऑटो संचालित हैं। बावजूद ऑटो बिना मानक किए ही दौड़ाए जा रहे हैं।

शहर क्षेत्र में एक हजार ऑटो संचालित किए जा रहे हैं। वाहन चलाने के लिए परमिट होना चाहिए। साथ ही चालक का लाइसेंस होना चाहिए। मानकों का पूरा ध्यान दिया जाता है। लापरवाही पर इसी माह 15 ऑटो चालकों पर कार्रवाई की गई। बिना नंबर के वाहन चलाने वालों पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।- संदीप जायसवाल, एआरटीओ प्रवर्तन
शहर में ऑटो चलाने वाले युवकों पर निगरानी की जाती है। साथ ही उनके बारे में समय-समय पर पड़ताल की जाती है। चेकिंग के दौरान बिना मानक के ऑटो चलाते मिलने पर कार्रवाई भी की जाती है।- अतुल सिंह, सदर कोतवाल
बिना मानक के ऑटो चलाने वाले चालकों पर कार्रवाई की जाती है। हर माह ऑटो चालकों का चालान काटा जाता है। साथ ही चालकों को सख्त हिदायत दी जाती है कि वह नियमों का पूरा करने के बाद ही ऑटो चलाएं।- प्रशांत सिंह भदौरिया, ट्रैफिक इंचार्ज

साभार-www.amarujala.com

दुर्गेश सिंह चौहान

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