BOGUS NUMBER PLATE-उत्तर प्रदेश में फर्जी हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट (HSRP) का काला कारोबार चल रहा है. परिवहन विभाग को इसकी शिकायत भी मिली है. उत्तर प्रदेश के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने सभी जिलों के परिवहन अधिकारियों से फर्जी HSRP को लेकर की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा है. ट्रांसपोर्ट कमिश्नर का कहना है कि शिकायत मिली है कि गाड़ियों पर फर्जी HSRP लगाई जा रही है. ऐसे वाहनों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

अपर परिवहन आयुक्त का मानना है कि नंबर प्लेट में हेराफेरी हो रही है. उन्होंने ईटीवी भारत से खुलासा किया की HSRP को लेकर पहले अभियान चलाया गया था, इसमें ऐसी गाड़ियां पकड़ी भी गई हैं. वहीं परिवहन मंत्री का भी कहना है कि सरकारी दफ्तर में अगर ऐसी गाड़ियां डुप्लीकेट HSRP लगाकर चल रही हैं तो विभागों को लेटर लिखकर कार्रवाई की जाएगी.
सरकारी दफतरों में लगी गाड़ियों में नकली HSRP लगी हो सकती है, इसका अंदाजा खुद परिवहन विभाग के अधिकारियों को भी नहीं थी, लेकिन THE REPORTS TODAY के पास ऐसी कई गाड़ियों के नंबर हैं जो कॉमर्शियल में रजिस्टर्ड हैं, लेकिन उनपर फर्जी सफेद रंग की HSRP लगी है. इन गाड़ियों से अधिकारी चलते हैं और इन पर उत्तर प्रदेश शासन का स्टीकर भी लगा है. ऐसी एक या दो गाड़ियां नहीं हैं, बल्कि इनकी संख्या हजारों में है वही एआरटीओ परिवर्तन अम्बुज कुमार ने बताया कि सभी विभागों में जो भी गाड़ियां अटैच है उसके लिए पत्राचार किया जाएगा और इस पर एक बड़ी मुहिम भी परिवहन विभाग द्वारा चलाई जाएगी
परिवहन विभाग के पास आंकड़े तक नहीं : सबसे खास बात यह है कि परिवहन विभाग के पास ऐसी गाड़ियां कितनी हैं, इसका आंकड़ा तक नहीं है. परिवहन आयुक्त की तरफ से सभी जिलों के डीएम को लेटर भेजा गया है कि ट्रेजरी से कितनी कॉमर्शियल गाड़ियों का भुगतान होता है उनकी संख्या परिवहन विभाग को उपलब्ध कराएं. वहीं परिवहन विभाग को HSRP जारी करने वाली कंपनियों ने बताया कि उनकी तरफ से वाहन श्रेणी के मुताबिक ही HSRP जारी होती है.
मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज की तरफ से HSRP के लिए बाकायदा नियम बना है कि सभी कॉमर्शियल गाड़ियों की हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट पीली होनी चाहिए और प्राइवेट गाड़ियों की HSRP व्हाइट होनी चाहिए, लेकिन सरकारी कार्यालयों से अटैच ज्यादातर गाड़ियां ऐसी हैं जिनकी नंबर प्लेट पीले कलर की न होकर प्राइवेट वाहनों की तरह व्हाइट कलर की हैं.
नियमानुसार,कॉमर्शियल गाड़ियों की हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (HSRP) पीली होनी चाहिए, लेकिन सरकारी कार्यालयों से अटैच ज्यादातर गाड़ियों की नंबर प्लेट प्राइवेट वाहनों की तरह सफेद है. शासन में तैनात अधिकारी ठेके की गाड़ियों पर उत्तर प्रदेश शासन का स्टीकर लगाकर चलते हैं. ऐसे में परिवहन विभाग का प्रवर्तन दस्ता और पुलिस चेकिंग अभियान में इन गाड़ियों पर हाथ डालने से कतराती है. परिवहन विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि चेकिंग अभियान के दौरान ऐसी फर्जी HSRP लगी गाड़ियों को पकड़ा भी जा चुका है.
झंझट में नहीं पड़ना चाहते चेकिंग अधिकारी :कॉमर्शियल गाड़ियों पर बड़ी संख्या में सफेद नंबर प्लेट लगाकर इस्तेमाल किया जा रहा है. ये गाड़ियां हर चौराहे से गुजरती हैं, लेकिन पुलिसकर्मियों के साथ ही ट्रैफिक पुलिस की भी इन पर नजर नहीं पड़ती है. अगर कभी कोई पुलिस वाला एक्शन लेने की भी सोचता है तो गाड़ी पर उत्तर प्रदेश सरकार का स्टीकर और अधिकारी के बैठे होने के ख्याल से ही डर जाता है. इन गाड़ियों पर हाथ डालने से वे पल्ला झाड़ लेते हैं.
परिवहन विभाग ने अभी एक जून से लेकर 15 जून तक ऐसे प्राइवेट वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया जो कॉमर्शियल गतिविधियों में शामिल हैं. इन सभी वाहनों को सीज किया और कॉमर्शियल कन्वर्जन के बाद ही छोड़ा. लेकिन सरकारी अधिकारियों की सेवा में लगी इन कॉमर्शियल गाड़ियों की नंबर प्लेट प्राइवेट होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई.
असहज महसूस करते हैं अधिकारी : परिवहन विभाग का नियम है कि कॉमर्शियल गाड़ियों की नंबर प्लेट का बैकग्राउंड पीला होना चाहिए और उस पर काले रंग से नंबर लिखे होने चाहिए, लेकिन अधिकारी इस तरह की गाड़ी से चलना नहीं चाहते. परिवहन विभाग से जुड़े लोग ही बताते हैं कि पीली नंबर प्लेट अगर गाड़ियों पर लगी होती हैं, तो कई जगह चेकिंग अभियान के दौरान गाड़ियों को रोक लिया जाता है. गाड़ी में बैठे अधिकारी इससे असहज महसूस करते हैं.
यही वजह है कि कॉमर्शियल गाड़ियों की नंबर प्लेट को फर्जी तरीके से प्राइवेट गाड़ियों की तरह बना दिया जा रहा है. इससे बार-बार चेकिंग के झंझट से मुक्ति मिल जाती है. परिवहन विभाग फर्जी नंबर प्लेट के लिए 5000 हजार जुर्माना लगाने के साथ ही गाड़ी सीज भी कर सकता है, लेकिन गाड़ी साहब की है इसलिए कोई एक्शन नहीं लिया जाता.
जिलों से मांगी गई कॉमर्शियल गाड़ियों की जानकारी : अपर परिवहन आयुक्त (प्रवर्तन) संजय सिंह भी मानते हैं कि वाहनों पर फर्जी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पहले भी ऐसी फर्जी HSRP लगी गाड़ियों को तत्कालीन आरटीओ प्रभात पांडेय ने पकड़ा था. कई जिलों में ऐसी गाड़ियों पर कार्रवाई हो चुकी है. ट्रांसपोर्ट कमिश्नर की तरफ से जिलाधिकारियों को पत्र भेजा जा रहा है, जिसमें दफ्तर में लगी कॉमर्शियल गाड़ियों की जानकारी मांगी गई है, जिनका पेमेंट ट्रेजरी से होता हो.
उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग को मालूम होना चाहिए कि कितनी गाड़ियां किस विभाग में अनुबंध पर लगी हैं. परिवहन विभाग को ऐसी गाड़ियों से बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. अब ऐसी गाड़ियों की संख्या कितनी है इसका आंकड़ा कलेक्ट किया जाएगा और जो भी सरकारी दफ्तरों में गाड़ियां लगी हैं उनकी नंबर प्लेट पीली की जगह सफेद है तो उन पर निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी. कॉमर्शियल गाड़ियों में सिर्फ पीली नंबर प्लेट ही लग सकती है, सफेद नंबर प्लेट अगर लगी है तो पूरी तरह से फर्जी है. इसकी जांच की जाएगी और कार्रवाई की जाएगी.
प्रवर्तन दस्तों से मांगा गया आंकड़ा : परिवहन आयुक्त बृजेश नारायण सिंह का कहना है कि फर्जी तरीके से चल रहे तमाम वाहन पकड़े भी गए हैं. फर्जी हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट की शिकायतें पहले आती रही हैं. 29 जून तक प्रदेश के सभी प्रवर्तन दस्तों को निर्देश दिया गया है कि वह अपने जिले में फर्जी हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट की कार्रवाई का आंकड़ा मुख्यालय को प्रेषित करें. उसके बाद बड़ी कार्रवाई की जाएगी.
ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर बोले- कार्रवाई होगी : ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर दयाशंकर सिंह ने कहा कि ऐसे प्राइवेट वाहन जो कॉमर्शियल गतिविधियों में शामिल हैं उनके खिलाफ परिवहन विभाग ने अभियान चलाया है और कड़ी कार्रवाई की है. सरकारी दफ्तरों में ऐसी गाड़ियां लगी हैं जो कॉमर्शियल में दर्ज हैं, लेकिन उनकी नंबर प्लेट अलग है तो सभी विभागों से पत्राचार किया जाएगा और कार्रवाई जरूर की जाएगी.
कैसे होती है HSRP की बुकिंग : हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट bookmyhsrp.com या siam.in की वेबसाइट पर जाकर बनवाई जा सकती है. वेबसाइट पर जाकर कुछ स्टेप्स फॉलो करने होते हैं. लिंक पर क्लिक करते ही आरसी का विवरण भरने के बाद नंबर प्लेट बुक की जा सकती है. इसमें यह भी बताना होता है कि आप इसे किस जगह पर लेना चाहते हैं. टाइम और स्लॉट बुक करने के बाद पेमेंट होता है.
HSRP में होती है गाड़ी की पूरी जानकारी : HSRP में एक होलोग्राम लगा होता है. इनमें लेजर कोड, विशेष होलोग्राम और स्नैप-लॉक मेकेनिज्म होता है, जिससे उन्हें बाहर निकालना या इनसे छेड़छाड़ करना मुश्किल जाता है. अपराधी अक्सर वाहन पर फर्जी नंबर प्लेट लगा देते हैं, जिससे पुलिस के लिए परेशानी बढ़ जाती है, लेकिन HSRP वाहन पहचान से जुड़े अपराधों को रोकने में सहायता करती है. हर प्लेट पर एक खास सीरियल नंबर होता है, जिससे वाहन की खास पहचान बनती है.
HSRP के साथ एक कलर-कोडेड स्टीकर भी लगाया जाता है, जिससे पुलिस को व्हीकल के बारे में पूरी जानकारी मिलती है. प्लेट पर रिफ्लेक्टिव कोटिंग भी लगाई जाती है जिससे रात के समय रोड सेफ्टी में सहायता मिलती है. जो HSRP लेजर कोटेड नहीं हैं, वह फर्जी है. इनकी इसी तरह से आसानी से पहचान की जा सकती है. शासन में लगी ज्यादातर कॉमर्शियल गाड़ियों में व्हाइट नंबर प्लेट लगी है और वह लेजर कोटेड नहीं हैं. इससे साबित होता है कि यह हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट पूरी तरह से फर्जी हैं.
ANUJ MAURYA REPORT