रायबरेली- जिले के प्रमुख सरकारी कार्यालयों में स्वच्छ भारत मिशन की स्थिति चिंताजनक है। विकास भवन और जिला कलेक्ट्रेट परिसर में स्वच्छता के बुनियादी नियमों का पालन नहीं हो रहा है। स्वच्छता का पाठ पढ़ने वाले कार्यालय खुद के कार्यालय की गंदगी नहीं हटा पा रहे हैं।
जिलाधिकारी कार्यालय के सामने बना सार्वजनिक शौचालय गंदगी से भरा पड़ा है। यहां न तो पानी की व्यवस्था है और न ही बाल्टी-मग की सुविधा। आपदा कार्यालय के पास बने दूसरे सार्वजनिक शौचालय की भी यही स्थिति है। गंदगी के कारण आम लोग इनका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। कलेक्ट्रेट में रोजाना सैकड़ों लोग आते हैं, लेकिन उन्हें इन सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था की गई है।
विकास भवन की स्थिति और भी खराब है। यहां की कई जगह की दीवारें पान-गुटखे के दागों से भरी हैं। मुख्य विकास अधिकारी के कार्यालय के सामने की सीढ़ियों पर भी थूक के निशान मौजूद हैं। दीवारों पर थूकने पर 500 रुपए जुर्माने की चेतावनी लिखी है, लेकिन इसका कोई असर नहीं दिख रहा।
विकास भवन में बने लगभग सार्वजनिक शौचालयों में भी गंदगी का अंबार लगा है। वहीं विकास भवन की दूसरी मंजिल पर डीपीआरओ ऑफिस के बगल में बालकनी में पानी और गंदगी फैली है। जिसके चलते यहां पर गंदगी भरमार है।
गांव में स्वच्छता अभियान चलाने वाला विभाग खुद ही स्वच्छ नहीं नजर आ रहा है। यहां भी प्रतिदिन सैकड़ों लोग आते जाते हैं लेकिन शौचालय का उपयोग नहीं कर पाते हैं। स्वच्छता का पाठ पढ़ाने वाले इन कार्यालयों की यह स्थिति सरकारी व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है।
सवाल यह भी है कि जहां पर कार्यालय खुद के परिसर की साफ सफाई और गंदगी से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। वह ग्राम पंचायत में स्वच्छता और साफ सफाई का क्या पाठ पढ़ाएंगे और कितनी साफ सफाई संभव हो सकती है?
मामले को लेकर जब मुख्य विकास अधिकारी से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो संपर्क नहीं हो पाया है वहीं विकास भवन के दूसरी मंजिल पर डीपीआई ऑफिस के बगल बालकनी पर पानी और गंदगी है। जिसके चलते भी यहां पर गंदगी की भरमार है। गांव में स्वच्छता अभियान चलाने वाला विभाग खुद ही स्वच्छ नहीं नजर आ रहा है। यहां भी प्रतिदिन सैकड़ों लोग आते जाते हैं। लेकिन शौचालय का उपयोग नहीं कर पाते हैं।
अनुज मौर्य रिपोर्ट


