Musafir Hoon Yaaro Sudhir: इंटरनेट के युग में सुधीर मिश्र की ‘मुसाफिर हूं यारो’ की धूम

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Musafir Hoon Yaaro Sudhir: पाठकों की पसंद टॉप 10 बेस्ट सेलर बुक ‘मुसाफिर हूं यारो’ (Musafir Hoon Yaaro) लखनऊ के चौपटिया से लेकर यूरोप, अमेरिका से लेकर कई देशों के सफ़र की एक बानगी है। इसमें लेखक सुधीर मिश्र ना सिर्फ छुए-अनछुए पहलुओं पर, सफर के दौरान हुए सभी खट्टे-मीठे अनुभवों को अपनी लेखनी से उकेरते हैं, बल्कि पाठक को ऐसा महसूस कराते हैं, मानो वो खुद ही चौपटिया में लोगों को खस्ता-पूरी खिला रहा हो और यूएस में नामी-गिरामी हस्तियों के बीच में हो। लेखक की ये ख़ूबी ही इस रचना को बड़ी बना रही है। 

Musafir Hoon Yaaro Sudhir: पाठकों की पसंद टॉप 10 बेस्ट सेलर बुक ‘मुसाफिर हूं यारो’ (Musafir Hoon Yaaro) लखनऊ के चौपटिया से लेकर यूरोप, अमेरिका से लेकर कई देशों के सफ़र की एक बानगी है।

हम बात कर रहे हैं सुधीर मिश्र की, जिन्होंने तीन दशक से मीडिया जगत में कई मुकाम हासिल किए। और ये पराक्रम आज भी जारी है।

Musafir Hoon Yaaro Sudhir: अब बात सीनियर जर्नलिस्ट सुधीर मिश्र के यात्रा वृत्तांत ‘मुसाफिर हूं यारो’ (Musafir Hoon Yaaro) के लखनऊ में हुए समारोह की। लखनऊ के गोमती नगर स्थित यूनिवर्सल बुक डिपो में इस पुस्तक के लोकार्पण के मौक़े पर जानी-मानी हस्तियों का समागम था। 

यूनिवर्सल बुक डिपो के संचालक चन्दर जी ने लोकार्पण कार्यक्रम की शुरुआत की। वरिष्ठ पत्रकार जेपी शुक्ला, रिटायर्ड संपादक नवीन जोशी, लेखक रवि भट्ट और लेखक-संपादक सुधीर मिश्र को मंचासीन कराकर उनका स्वागत किया। 

समारोह में आए मेहमानों ने अपनी कुछ बातें कहीं। कुछेक ने अपने सवाल पूछे। 

इस असपर पर वरिष्ठ पत्रकार जेपी शुक्ला ने सुधीर शिक्षा से लेकर पत्रकारिता और फिर शादी तक के सफ़र का हमराज होने का ज़िक्र किया। उन्होंने बताया, वह उनके गुण-दोष के प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं। साथ ही आज की पत्रकारिता पर उन्होंने कहा… ‘तकनीक से ही पत्रकारिता फली-फूली, अब तकनीक की वज़ह से उसका पराभव हो रहा है।’  

वरिष्ठ पत्रकार जेपी शुक्ला ने सुधीर शिक्षा से लेकर पत्रकारिता और फिर शादी तक के सफ़र का हमराज होने का ज़िक्र किया। 

इतिहासकार रवि भट्ट ने सुधीर मिश्र के अनगिनत संस्मरण उनके ही मुख से सुनवा कर उपस्थित जनसमूह को सराबोर करा दिया। एक हिंदीभाषी पत्रकार से लेकर संपादक तक के सफ़र में उतार-चढ़ाव को जानने-समझने का लोगों को अवसर दिया।

इतिहासकार रवि भट्ट ने सुधीर मिश्र के अनगिनत संस्मरण उनके ही मुख से सुनवा कर उपस्थित जनसमूह को सराबोर करा दिया।

हिंदुस्तान अख़बार के संपादक रहे नवीन जोशी ने कहा- ‘सुधीर की बच्चा वृति.. जिज्ञासु प्रवत्ति..ही उनको इस मक़ाम तक ले गई है।

हिंदुस्तान अख़बार के संपादक रहे नवीन जोशी ने कहा- ‘सुधीर की बच्चा वृति.. जिज्ञासु प्रवत्ति..ही उनको इस मक़ाम तक ले गई है।

रवि भट्ट बोले…’ सत्य के तर्क पर विज्ञान, आस्था के तर्क पर धर्म और संवेदना को जब तर्क के साथ परखते हैं तो साहित्य का सृजन होता है। सुधीर ने हिंदीभाषी पत्रकार का परचम लहराया है।’

इस दौरान तमाम जिज्ञासुओं ने सवाल किए, मिश्र ने सरलता से सहज होकर उत्तर भी दिए। 

Musafir Hoon Yaaro Sudhir: सवालों की श्रंखला में चंद्रशेखर वर्मा, वर्षा,एसपी सिंह, शिखा चतुर्वेदी, गौरव, अलका, मनसा, मनोरमा, राकेश, जयंत आदि ने लेखक सुधीर मिश्र से सवाल किए… उन्होंने सभी का जबाव दिया। कहा-विनम्रता ही इंसान को आगे तक ले जाती है। अब उनको लीडरशिप में आनंद आ रहा है। लोगों का बेस्ट निकलवाने की उनकी ललक अब बढ़ी है। 

मुसाफिर हूं यारो (Musafir Hoon Yaaro) के लोकार्पण कार्यक्रम में पूर्व संपादक मनीष मिश्र, अरविंद मिश्र, रश्मि, नवलकान्त सिन्हा, सुचित सेठ, आफ़ताब, आशुतोष शुक्ल उपस्थित रहे।

नवभारत टाइम्स दिल्ली के स्थानीय संपादक सुधीर मिश्र की पुस्तक मुसाफिर हूं यारो (Musafir Hoon Yaaro) में लिखी गई दिल को छू लेने वाली वाली चंद लाइनों पर ग़ौर करिए।

लेखक ख़ुद के बारे बगैर लाग-लपेट के बिंदास लिखता है…

“एक लोअर मिडिल क्लास का लड़का जो कभी ट्यूशन पढ़ाता तो कभी साइकिल पर लॉटरी बेचता तो कभी खस्ते-पूरी की दुकान खोल लेता।”

“एक लोअर मिडिल क्लास का लड़का जो कभी ट्यूशन पढ़ाता तो कभी साइकिल पर लॉटरी बेचता तो कभी खस्ते-पूरी की दुकान खोल लेता।”

अपनी पहली विदेश यात्रा का ज़िक्र कुछ इस तरह से – जब जहाज़ कुछ हवा में झटके लेने लगता है, “मैंने ईश्वर को याद किया। भगवान ने तुरंत अपना प्रभाव दिखाया, झटके बंद हो गए।”

“मैंने ईश्वर को याद किया। भगवान ने तुरंत अपना प्रभाव दिखाया, झटके बंद हो गए।”

Musafir Hoon Yaaro Sudhir: लेखक पाठक को अपने साथ लेकर चलता है, यह तब देखने को मिलता है जब वह टोरंटो में इंटरनेशनल कॉंफ्रेंस का हिस्सा बनता है “हॉलीवुड के पॉपुलर एक्टर रिचर्ड गेर लोगों के बीच थे। सुधीर का मन किया, वह अपने साथ एक फोटो खिंचवाएं, पर कुछ हिचकिचाहट कि लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे! संभवत: यह आम आदमी की हिचकिचाहट थी, तभी रिचर्ड गेर को ना जाने क्या सूझी, उन्होंने मुखर्जी से कहा,” पीटर, वी शुड हैव वन फोटोग्राफ विद सुधीर।”

”पीटर, वी शुड हैव वन फोटोग्राफ विद सुधीर।”

इसी में आगे चलकर वो बिल क्लिंटन की प्रेस कॉफ्रेंस का ज़िक्र करते हैं। “रिसेप्शन पर बैठा बंदा अमेरिकन अंग्रेज़ी में क्या गिटिर-पिटर कर रहा था, मैं कुछ समझ नहीं पाया। वह 10 दिन बाद चेक आउट करते समय पता चला कि फ्रीजर से जितना भी मैंने खाया-पिया था, उसका भुगतान मुझे अपनी ज़ेब से करना है।”

“रिसेप्शन पर बैठा बंदा अमेरिकन अंग्रेज़ी में क्या गिटिर-पिटर कर रहा था, मैं कुछ समझ नहीं पाया। वह 10 दिन बाद चेक आउट करते समय पता चला कि फ्रीजर से जितना भी मैंने खाया-पिया था, उसका भुगतान मुझे अपनी ज़ेब से करना है।”

Musafir Hoon Yaaro Sudhir: कोपेनहेगेन में यूनाइटेड नेशन की क्लाइमेट चेंज़ कॉंफ्रेंस में अपनी बेहतरीन रिपोर्ट पर पत्रकारिता जगत में हुई चर्चा को साझा करते हुए कहते हैं कि “अगले दिन नेट पर जब यह ख़बर अंग्रेज़ी चैनलों और अख़बारों के साथियों ने देखी तो वे चौंक गए…हिंदी की ख़बर अंग्रेज़ी में फॉलो हो रही थी। आख़िर पठनीयता भी कोई चीज़ है।”

“अगले दिन नेट पर जब यह ख़बर अंग्रेज़ी चैनलों और अख़बारों के साथियों ने देखी तो वे चौंक गए…हिंदी की ख़बर अंग्रेज़ी में फॉलो हो रही थी। आख़िर पठनीयता भी कोई चीज़ है।”

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