Sharad Yadav Died: थम गईं JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव की साँसें

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Sharad Yadav Died: JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का दिल्ली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। शरद यादव की बेटी शुभाषिनी यादव ने इसकी जानकारी दी।

Sharad Yadav Died: JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का दिल्ली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। शरद यादव की बेटी शुभाषिनी यादव ने इसकी जानकारी दी। शुभाषिनी ने ट्वीट में लिखा, ‘पापा नहीं रहे’। उनकी उम्र 75 साल थी। शरद यादव की तबीयत काफी दिन से खराब चल रही थी। हालत ज्यादा बिगड़ने पर गुरुवार की शाम उन्हें दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया। रात 9 बजे उनका निधन हो गया।

Sharad Yadav Died: JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का दिल्ली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। शरद यादव की बेटी शुभाषिनी यादव ने इसकी जानकारी दी।
इस तस्वीर में लालू यादव, शरद यादव और रामविलास पासवान हैं। यह तीनों के युवावस्था की तस्वीर है।

बता दें कि शरद यादव का जन्म एक जुलाई 1947 को हुआ था। और 12 जनवरी 2023 को उनका निधन हुआ।  उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लालू यादव, बिहार के डिप्टी CM तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा समेत कई नेताओं ने दुख जताया है।

शरद यादव उन नेताओं में रहे हैं, जो लालू प्रसाद और नीतीश कुमार दोनों के साथ रहे। नीतीश कुमार से राजनीतिक रिश्ते खराब होने के बाद शरद यादव अलग-थलग पड़ गए। गंभीर रूप से बीमार होने की वजह से उनकी राजनीतिक गतिविधियां भी काफी कम हो गई थीं।

Sharad Yadav died: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शरद यादव जी के निधन से बहुत दुख हुआ। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने खुद को सांसद और मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया। वे डॉ. लोहिया के आदर्शों से काफी प्रभावित थे। मैं हमेशा हमारी बातचीत को संजो कर रखूंगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। शांति।

PM मोदी ने ट्वीट कर शरद यादव के निधन पर शोक व्यक्त किया। लालू ने लिखा-बहुत बेबस महसूस कर रहा हूं। लालू यादव ने शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया में वीडियो मैसेज पोस्ट किया है। उन्होंने कहा कि अभी सिंगापुर में हूं और शरद भाई के जाने का दुखद समाचार मिला। बहुत बेबस महसूस कर रहा हूं। आने से पहले मुलाकात हुई थी और कितना कुछ हमने सोचा था समाजवादी व सामाजिक न्याय की धारा के संदर्भ में। शरद भाई…ऐसे अलविदा नहीं कहना था। भावपूर्ण श्रद्धांजलि!

बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा- मंडल मसीहा, राजद के वरिष्ठ नेता, महान समाजवादी नेता मेरे अभिभावक आदरणीय शरद यादव जी के असामयिक निधन की खबर से मर्माहत हूं। कुछ कह पाने में असमर्थ हूं।

Sharad Yadav died: जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव ने कहा कि देश के दिग्गज राजनेता, समाजवाद और सामाजिक न्याय के योद्धा शरद यादव के निधन की खबर सुनकर मर्माहत हैं। शरद यादव के निधन से एक युग का अंत हो गया। एक समाजिक न्याय के नेता के रूप में हमेशा याद किए जाते रहेंगे।

शरद यादव ने 1999 और 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विभिन्न विभागों में मंत्री रहे थे। 2003 में शरद यादव जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष बने थे। वह NDA के संयोजक भी रहे। साल 2018 में जदयू से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) बनाया था। पिछले साल अपनी पार्टी के RJD में विलय की घोषणा कर दी थी।

शरद यादव मुख्य रूप से मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम ( होशंगाबाद) जिले में स्थित बाबई गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म 1 जुलाई 1947 को किसान परिवार में हुआ। जब वे 1971 में जबलपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, तभी उनकी दिलचस्पी राजनीति में हुई। यहां वे छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। छात्र संघ अध्यक्ष बनने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।

शरद यादव छात्र राजनीति करने के साथ-साथ पढ़ाई लिखाई में भी अव्वल थे। उन्होंने बीई ‘सिविल’ में गोल्ड मेडल जीता था। वे राजनीति में राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित थे। वे अक्सर लोहिया के आंदोलनों में हिस्सा लिया करते थे। इस दौरान उन्हें ‘मिसा’ (misa) के तहत कई बार गिरफ्तार किया गया। उन्हें 1970, 72 और 75 में जेल जाना पड़ा। शरद यादव ने मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कराने में भी अहम भूमिका निभाई।

उनका राजनीतिक करियर छात्र राजनीति से ही शुरू हो गया था, लेकिन सक्रिय राजनीति में उन्होंने साल 1974 में पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। यह सीट हिंदी सेवी सेठ गोविंददास के निधन से खाली हुई थी। ये समय जेपी आंदोलन का था। जेपी ने उन्हें हल्दर किसान के रूप में जबलपुर से अपना पहला उम्मीदवार बनाया था। शरद इस सीट को जीतने में कामयाब रहे और पहली बार संसद भवन पहुंचे। इसके बाद साल 1977 में भी वे इसी सीट से सांसद चुने गए। उन्हें युवा जनता दल का अध्यक्ष भी बनाया गया। इसके बाद वे साल 1986 में राज्यसभा के लिए चुने गए।

बता दें कि शरद यादव ने तीन राज्यों से लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे।  राज्यसभा जाने के तीन साल बाद 1989 में उन्होंने उत्तर प्रदश की बदायूं लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीता भी। यादव 1989-90 तक केंद्रीय मंत्री रहे। उन्हें टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग का जिम्मा सौंपा गया था। 

यूपी के बाद शरद यादव ने बिहार में एंट्री मारी। 1991 में वे बिहार के मधेपुरा लोकसभा सीट से सांसद बने। इसके बाद उन्हें 1995 में जनता दल का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया और साल 1996 में वे 5वीं बार सांसद बने। 

साल 1997 में शरद को जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद 1999 में उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया और एक जुलाई 2001 को वह केंद्रीय श्रम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री बनाए गए।

वर्ष 2004 में वे दूसरी बार राज्यसभा सांसद बने। 2009 में वे 7वीं बार सांसद बने, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें मधेपुरा सीट से हार का सामना करना पड़ा। अब शरद यादव इस दुनिया में नहीं हैं। मगर भारतीय राजनीति में और समाज के लिए किए गए उनके  योगदान को कोई नहीं भुला सकता।

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